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वाराणसी। सावन का पावन महीना चल रहा है। शास्त्रों के अनुसार बाबा भोलेनाथ को सावन माह सभी मासों से सबसे अधिक प्रिय है। बाबा भोलेनाथ इस महीने में अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। जिस तरह सावन का सोमवार काफी मायने रखता है। उसी तरह सावन का शिवरात्रि भी का भी काफी महत्व है। मंगलवार को सावन की शिवरात्रि Shivratri का पर्व है।
भगवान आशुतोष का रूद्राभिषेक या जलाभिषेक करने पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसती है।
इस दिन भगवान आशुतोष का रूद्राभिषेक या जलाभिषेक करने पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसती है। सावन की शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है व अनजाने में हुये पापों से मुक्ति भी मिलती है।
समुंद्र मंथन के समय हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में रखा था, ताकि संसार के समस्त प्राणियों पर विष का कोई दुष्प्रभाव न पड़े। इसी विष की अग्नि को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने उनका जल व पंचामृत से अभिषेक किया था।
शास्त्रों के अनुसार समुंद्र मंथन के समय हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में रखा था, ताकि संसार के समस्त प्राणियों पर विष का कोई दुष्प्रभाव न पड़े। इसी विष की अग्नि को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने उनका जल व पंचामृत से अभिषेक किया था। इसलिये श्रावण माह में भगवान शिव का जल व पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है।