Krishna Janmashtami 2022:

खबरी नेशनल न्यूज नेटवर्क:
वाराणसी। रक्षाबंधन की तिथियों को लेकर काफी मतभेद रहे। कोई 11 को तो कोई 12 तारीख को रक्षाबंधन का पर्व मनाया। हालांकि ‘खबरी पोस्ट’ ने अपने पाठकों को पहले ही बता दिया था कि रक्षाबंधन 11 की बजाय 12 को मनाना उत्तम होगा। रक्षाबंधन के बाद अब कृष्णा जन्माष्टमी Krishna Janmashtami 2022 की तिथियों को लेकर भी लोगों में काफी कन्फ्यूजन है। कोई 18 अगस्त तो कोई 19 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व की बात कर रहा है।

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रक्षाबंधन के बाद अब जन्माष्टमी की तिथियों को लेकर भी लोगों में काफी कन्फ्यूजन है।


अगर आपके के साथ ही ऐसा है तो घबराइए नहीं, खबरी पोस्ट अपने पाठकों के इस दुविधा को समाप्त करेगा। दरअसल भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को हुआ था। इस बार भाद्रपद की अष्टमी दो दिनों तक है। अष्टमी तिथि का प्रवेश 18 अगस्त गुरुवार को रात्रि में हो रहा है। इसलिए कई लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनायेंगे। वहीं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है, इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव संपद्राय भी 19 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएगा।

भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को हुआ था।

हम आपको बता दें कि जन्माष्टमी और कृष्ण जन्मोत्सव में एक चीज सर्वमान्य होती है और वह है रोहिणी नक्षत्र। क्योंकि रोहिणी नक्षत्र में ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। मजे की बात है कि इस बार दो तिथियों में अष्टमी तिथि होने के बाद भी 18 और 19 को रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा है। रोहिणी नक्षत्र 20 को 01.53 बजे प्रवेश कर रहा है।

बनारसी पंचाग के अनुसार अष्टमी शुक्रवार की रात 1.08 बजे तक है इसलिए 19 को ही जन्माष्टमी मनाना सर्वमान्य होगा।

दोनों तिथियों का है अपनी मान्यता


महाविर पंचाग के अनुसार 18 अगस्त को रात्रि में 9.21 बजे अष्टमी का प्रवेश हो रहा है। इसलिए इस तिथि में भी लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। जबकि बनरासी पंचाग में 19 को जन्माष्टमी मनाने पर जोर दिया गया है। वैसे भी उदया तिथि मानने वाले लोग 19 अगस्त शुक्रवार को जन्माष्टमी मनाएंगे। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि चूंकि यह व्रत निशाव्यापनी है, 18 को मनाया जा सकता है। वेदाचार्य पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी बतातें हैं कि बनारसी पंचाग के अनुसार अष्टमी शुक्रवार की रात 1.08 बजे तक है इसलिए 19 को ही जन्माष्टमी मनाना सर्वमान्य होगा। मिथिला पंचाग में भी 19 को जन्माष्टमी दर्शाया गया है।