वाराणसी DISTRICT JUDGE की अदालत पर टिकीं सबकी निगाहें

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज की अदालत को ORDER 7 RULE 10 के तहत दिया था सुनवाई का आदेश

खबरी नेशनल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी ।

Gyanvapi Case : आज सेामवार को वाराणसी जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, पर फैसला होगा। तीन महीने से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी – अपनी दलीलें दी हैं। हिंदू पक्ष की ओर से इस मामले को सुनवाई योग्य करार देने के लिए कई साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। उधर, मुस्लिम पक्ष ने इस वाद को खारिज कराने के लिए अदालत को सबूत सौंपे हैं। बेहद महत्वपूर्ण इस मामले में बहस के दौरान तानाशाह शासक औरंगजेब तक के आदेशों का हवाला दिया गया है।

तीन महीने से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने दी अपनी – अपनी दलीलें

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बता दें कि सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर में कराए गए सर्वे के बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज की अदालत को ORDER 7 RULE 10 के तहत सुनवाई का आदेश दिया था। इस मामले में न्यायालय इस बात पर सुनवाई कर रही थी कि आजादी के समय विशेष उपासना स्थल कानून ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में लागू होता है या नहीं। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे की पोषणीयता यानी मुकदमा चलने योग्य है या नहीं, इस बात पर फैसला सुनाएगी। मई और जून में पूरे देश में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ था।अब अदालत का फैसला आने से पहले वाराणसी का प्रशासन पूरी तरह से ALERT हो गया है। रविवार को कचहरी परिसर की गहन चेकिंग की गई। बम निरोधक दस्ता और डाग स्क्वाड के संग पुलिस ने चप्पे-चप्पे की चेकिंग की।

पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने सभी से की शांति की अपील

पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश

पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने सभी से शांति की अपील की और शहर में 144 धारा भी लागू कर दी गई।

वाराणसी शहर में धारा 144 लागू

अदालत के बाहर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता और पैरोकार हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आदेश अपने पक्ष में आएगा, इसमें कोई संशय नहीं है। क्योंकि सारे साक्ष्य हम लोगों के पक्ष में है। कोर्ट स्वीकार करेगा कि यह मामला चलने योग्य है। सनद रहे कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं।

कोर्ट का आदेश ही माना जाएगा, उसके बाद जो प्रक्रिया होगी उसे किया जाएगा-अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता मुमताज अहमद

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पक्ष वकीलअंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा कि आदेश जो भी आएगा उसे स्वीकार किया जाएगा। कोर्ट का आदेश ही माना जाएगा, उसके बाद जो प्रक्रिया होगी उसे किया जाएगा।
जिला जज की अदालत में चार महिला वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन पक्ष रखा। इसमें उन्होंने 26 फरवरी 1944 के गजट को फर्जी करार दिया और दलील दी थी कि यह धौरहरा बिंदु माधव मंदिर के लिए था। बादशाह आलमगीर ने हिंदू मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई।
वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह की दलील थी कि मंदिर के स्ट्रक्चर पर मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया गया। यह विशेष उपासना स्थल एक्ट से बाधित नहीं है। औरंगजेब आतताई था और उसने तमाम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया, लेकिन मस्जिद के पीछे मंदिर का दीवार छोड़ दी। उन्होने वक्फ मामले में दीन मोहम्मद के केस का भी हवाला दिया गया है।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता शमीम अहमद ने काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एक्ट और विशेष उपासना स्थल कानून का हवाला दिया था। इसमें उन्होंने 1944 के गजट और 1936 के दीन मोहम्मद केस के निर्णय का हवाला दिया। इसमें उन्होंने दावा किया कि यह मस्जिद औरंगजेब के जमाने के पहले से है।
विशेष उपासना स्थल कानून 1991 का जिक्र कर कहा गया है कि अदालत में आजादी के बाद जो भी धर्म स्थल जिस रूप में होगा, उसी रूप में रहेगा। इसमें मुस्लिम पक्ष ने मामले को सुनवाई योग्य नहीं मानने के लिए दलील दी है। श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन पूजन मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की पोषणीयता पर सुनवाई हो रही थी। जिसका आज फैसला आने वाला है। जिसके लिए भारी संख्या में चाक चैबन्द ब्यवस्था की गई है। वाराणसी में धारा 144 लगा दी गई है।