खबरी नेशनल न्यूज नेटवर्क 

चन्दौली। जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए ब्लॉक स्तरीय व्यापक रूप से जागरूकता लाने की दिशा में बाल विकास सेवा एवं पुष्ठाहार विभाग राष्ट्रीय पोषण माह के तहत जन जागरूकता के लिए प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका एवं बालवाड़ी के निर्माण हेतु निर्देशित किया गया है | जिला कार्यक्रम अधिकारी जया त्रिपाठी ने बताया कि इसके लिए ब्लॉक स्तरीय स्कूलों में शिक्षा के दौरान ही छात्र-छात्राओं को स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक एवं पौष्टिक पोषण के संबंध में उच्च प्राथमिक स्कूल भतीजा एवं उच्च प्राथमिक नर्सिंगपुर आदि में एनीमिया (खून की कमी ) के लक्षण के विषय में और किस तरह का खान-पान रखा जाये इस बारे में बताया जा रहा है | साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता के माध्यम से समुदाय गर्भवती प्रसव पूर्व अपनी देखभाल कैसे करे इसकी भी जानकारी दी जा रही है | उन्हें बताया जा रहा है गर्भधारण अवधि या उससे पूर्व उन्हें आवश्यकतानुसार पोषणयुक्त भोजन करना जरूरी है ताकि कुपोषण से दूरी बनी रहे | गर्भवती सिर्फ संतुलित आहार लें बल्कि स्वच्छता, समय से चिकित्सीय जांच, परिवार नियोजन के प्रति भी जागरूक हों जिससे स्वस्थ महिला स्वस्थ समाज और परिवार की नींव रख सकें |

राष्ट्रीय पोषण माह में समुदाय को पोषण व स्वास्थ्य के प्रति किया जा रहा जागरुक


माधुरी यादव छह माह के गर्भ से हैं। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी चंद्रकला दीदी नियमित सलाह देती रहती हैं | दीदी के साथ नियमित वीएचएसएनडी में स्वास्थ्य जांच भी करा रहें है | साथ ही आयरन की गोलियों का भी नियमित सेवन करते है | दीदी के कहने के बाद अब अब हरी सब्जी, फल और दूध को भी खाने में शामिल किया है |

बरहनी परियोजना में अतिकुपोषित लाल श्रेणी के 73 बच्चे, मध्यम कुपोषित पीले श्रेणी के 431 बच्चे तथा सामान्य श्रेणी के कुल 18202 बच्चे


बाल विकास परियोजना अधिकारी बरहनी (सीडीपीओ) राम प्रकाश मौर्या ने कहा कि पोषण माह के तहत आँगनबाड़ी द्वारा उन घरों में विशेष तौर पर पोषण वाटिका के लिए प्रेरित किया जा रहा है |जिन घरों में कुपोषित,अतिकुपोषित एवं मध्यम कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए थे | पोषण वाटिका के महत्व कि जानकारी दी जारही है ताकि घर के आँगन से बच्चों को पोषण युक्त आहार मिल सकें | बरहनी परियोजना में अतिकुपोषित लाल श्रेणी के 73 बच्चे, मध्यम कुपोषित पीले श्रेणी के 431 बच्चे तथा सामान्य श्रेणी के कुल 18202 बच्चे हैं | आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे अन्नप्राशन, गोदभराई, वजन दिवस, किशोरी दिवस, हैंडवाश, सुपोषण दिवस आदि कार्यक्रम के आयोजन के साथ गृह भ्रमण कर गर्भवती एवं धात्री माताओं तथा बच्चों एवं किशोर –किशोरियों को पोषण की जानकारी दी जाती है | उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों में हुए प्रयासों से जिले में कुपोषण स्तर में कमी आई है। लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में काफी कार्य किए जाने की आवश्यकता है। हम विशेष तौर पर महिलाओं को पोषणयुक्त भोजन, स्तनपान की महत्ता, गर्भधारण के दौरान स्वास्थ्य जांच, बच्चों का प्रतिरक्षण के लिए आवश्यक टीकाकरण, साफ-सफाई आदि की महत्ता के संबध में भी व्यापक रूप से जागरूक कर जनपद को कुपोषण मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।