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बख्शी का तालाब 18 सितंबर।

Phylum Arthropoda : बख्शी का तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि कीट विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रो डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने शोध में पाया कि जिस तरह से वातावरण में निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं जो कीट पहले फसलों को नुकसान पहुंचाते थे अब वह उपजाऊ भूमि में पाई जाने वाली कार्बन एवं उर्वरा शक्ति को समाप्त कर रहे हैं।

ऐसे तो बहुत से आर्थ्रोपोडा समुदाय के कीट फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, पिछले कई वर्षों से आर्थोपोडा समुदाय के क्लास डिप्लोपोडा जिसमें लगभग 80000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं प्रमुख रूप से कुछ प्रजातियां फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं अभी हाल ही में प्रयोगशाला से खेत तक शोध के द्वारा यह सिद्ध हो गया है की डिप्लोपोडा क्लास की यह गिजाई जिसे हम मिलीपिड कहते हैं अब किसानों की जैविक कार्बन एवं उर्वरता (Soil Fertility) को समाप्त कर रही हैं।

किसानों को खेतों में जहां पर एक तरफ जैविक खेती (Bio Farming) के द्वारा मृदा की खोई हुई उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक परेशान हैं वहीं पर क्लास डिप्लोपोडा की मिलीपिड जमीन की उर्वरा शक्ति को कम करने कर रहे हैं यह बात चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने कही।

डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से इस कीट पर हम कार्य कर रहे हैं प्रमुख रूप से यह कीट जहां पर अच्छी सड़ी हुई कंपोस्ट या गोबर की खाद होती है वहां पर अधिक मात्रा में दिखाई पड़ते हैं पिछले वर्ष इसका ट्रायल हमने अपने किचन गार्डन में लगाया था पिछले वर्ष इस कीट की पापुलेशन बहुत कम रही इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा 60 से 70% कीट की पापुलेशन बढी है इससे यह प्रतीत होता है कि भूमि की जैविक कार्बन को यह कीट बड़ी रफ्तार से खाता है।

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अभी शोध कार्य पर चल रहा है कम से कम 5 वर्ष तक इस कीट को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में पाला जाएगा और उसमें कंपोस्ट एवं जैविक खादों का प्रयोग करके इन्हें खाने के लिए दिया जाएगा जिससे यह तय होगा कि यह कीट कितना नुकसान पहुंचाते हैं। डॉ सिंह ने इसके पूर्व भी आवारा मवेशियों के प्रबंधन के लिए बायोपेस्टिसाइड बनाया था जिसके बहुत अच्छे परिणाम आए थे आप अपने शोध के द्वारा किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों की आय मे बढ़ोतरी हो रही है।