नियुक्ति फर्जी करार दिलवाने की धमकी देकर वसूलता रहा पैसा
यूपी में प्राइमरी शिक्षकों को फर्जी नियुक्ति के आरोप में फंसाने और जांच शुरू कराने का डर दिखाकर रंगदारी वसूलने वाले इस गैंग के सदस्ये शिक्षकों को उनकी नियुक्ति की जांच बीएसए कार्यालय और एसटीएफ से कराने की धमकी देकर मोटी रकम की वसूली करते रहे मंगलवार को इस गैंग के तीन सदस्य एसटीएफ के चढे हत्थे ।
खबरी नेशनल न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। प्राइमरी के शिक्षको को ब्लेकमेल करने के माहिर शातीर अपराधियों को आखिरकार एस टी एफ ने धर दबोचा। आरोपितों में एक शिक्षक एक बर्खास्त शिक्षक भी शामिल है। बर्खास्त शिक्षक गैंग का लीडर बताया जा रहा है। टीम ने तीनों के खिलाफ कैंट थाने में केस दर्ज कराया है। एसटीएफ ने इनके पास से 6 मोबाइल फोन , 3 सोने की अंगूठी, एक आधार कार्ड,एक वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड,डीएल,शिकायती पत्र आदि कई सामान बरामद किए हैं।,
प्राप्त समाचार के अनुसार गोला इलाके के जानीपुर के रहने वाले महेंद्र सिंह प्राथमिक स्कूल जानीपुर कौड़ीराम में शिक्षक हैं। महेंद्र सिंह ने बीते दिनों कैंट थाने में केस दर्ज कराया था। उनका कहना था कि विभाग के कुछ लोग शिक्षकों को फोन कर धमकी देते हैं। वे कहते हैं कि उनकी नियुक्ति फर्जी डाक्यूमेंट के आधार पर हुर्ह है और इसकी जांच बीएसए कार्यालय और एसटीएफ से होने जा रही है।
नियुक्ति फर्जी डाक्यूमेंट के आधार पर बताकर और जांच बीएसए कार्यालय और एसटीएफ से होने का ढौस दिखाकर करते रहे लम्बी वसूली
जांच न कराने के नाम पर यह गैंग शिक्षकों से लाखों रूपए वसूलता रहा।
फर्जी नियुक्ति की जांच कर रही एसटीएफ को जब इसकी सूचना मिली तो एसटीएफ ने अपने स्तर से जांच शुरू कर दी। इंस्पेक्टर एसटीएफ सत्यप्रकाश सिंह और उनकी टीम ने सोमवार की देर रात तहसील गेट के पास से गैंग के तीन शातिरों को मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार कर लिया।
उनकी पहचान गिरधारी लाल जायसवाल, निवासी आम बाजार,थाना गौर, बस्ती, राजकुमार यादव, निवासी गांधीपुरम आरोग्य मंदिर शाहपुर गोरखपुर और रूद्र प्रताप यादव निवासी जोतबगही, भौवापार बेलीपार, गोरखपुर के रूप में हुई। इनमें गिरधारी लाल शिक्षक है जबकि राजकुमार यादव बर्खास्त शिक्षक है। वहीं रूद्रप्रताप के नाम से यह गैंग शिकायत कराता था।
महेंद्र को लेटर भेज मांगी थी रंगदारी
गिरफ्तार अभियुक्त राजकुमार यादव ने एसटीएफ को बताया कि गिरधारी लाल जायसवाल ने ही उसे और रूद्र प्रताप को बताया कि महेंद्र्र प्रताप सिंह फर्जी अध्यापक हैं। इस पर इन तीनों ने मिलकर आपस में प्लानिंग कर एक लेटर महेंद्र सिंह को रजिस्टर्ड डाक से भेज दिया। लेटर राजकुमार ने अपनी हैंड राइटिंग में लिखी थी। लेटर में रंगदारी न देने पर एसटीएफ और बीएसए से जांच कराने की धमकी दी गयी थी। इतना ही नहीं शातिरों ने महेंद्र को अपना मोबाइल नंबर देकर संपर्क करने को भी कहा था। इन लोगों ने महेंद्र्र प्रताप सिंह को एक बैंक खाता नंबर भी दिया था। जोकि सुनील कुमार के नाम से था।
इतना शातिर कि दो स्कूलों से वेतन उठाता था राजकुमार
सुनील कुमार के बारे पूछने पर आरोपियों ने बताया कि सुनील कुमार यादव के नाम से राजकुमार ही विशुनपुर फुलवरिया प्राथमिक पाठशाला लक्ष्मीपुर ब्लाक महराजगंज में शिक्षक के पद पर तैनात था। फिलहाल नौकरी छोड़कर कुछ दिन तक वह फरार रहा लेकिन इसके बाद एक बार फिर उसने कूटरचित शैक्षणिक दस्तावेज के आधार पर धनगढ़ा प्राथमिक विद्यालय ब्लाक परतावल महराजगंज में राजकुमार के नाम से नौकरी करनी शुरू कर दी है।
राजकुमार इतना शातिर है कि वह दोनों स्कूलों से सरकारी वेतन उठा रहा था। वहीं रूद्र प्रताप यादव राजकुमार के साथ ही रहता है। गिरधारी लाल जायसवाल और राजकुमार के कहने पर रूद्र प्रताप अपने नाम से शिकायती पत्र और शपथ पत्र देता रहता है। इस दौरान रंगदारी से जो भी पैसा मिलता है उसी हिसाब से कुछ प्रतिशत तक हिस्सेदारी उसे भी दी जाती है।