सोनभद्र जिला इन दिनों सोने की खदान को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सोनांचल की खदानों से स्वर्ण धातु का खनन आरंभ हो जाएगा।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क सोनभद्र। यूपी की योगी सरकार ने खनिज विभाग के माध्यम से कवायद तेज कर दी है। खनन कार्य के लिए ग्लोबल टेंडर कराया जा रहा है। यहां जमीन में हजारों टन सोना दबा होने का पता चला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को सोनभद्र में सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में टीले के नीचे लगभग 3 हजार टन सोना मिला है। बता दें कि ये भारत के पास मौजूदा स्वर्ण भंडार से करीब 5 गुना ज्यादा है।देश.दुनिया की नामी कंपनियां इसमें हिस्सा लेंगी। सोनभद्र में स्वर्ण धातु के अलावा ग्लूकोनाइट और लौह अयस्क का भी खनन होना है। नए वर्ष से खनन कार्य शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सोनांचल की खदानों से सोना निकलना आरंभ हो जाएगा। बता दे कि इसके लिए पिछले वर्ष भू.वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण में जिले के अलग.अलग क्षेत्रों में पहाड़ियों के नीचे प्रचूर मात्रा मे ंस्वर्ण भण्डार के साथ ही सायथ खनिज संपदा होने का तथ्य सामने आया था। इसके बाद से ही सरकार ने उनका चिह्नांकन कराते हुए वृहद सर्वे के निर्देश दिए थे। सर्वे के दौरान स्वर्ण धातु के तीन और लौह धातु के एक और ग्लूकोनाइट का एक ब्लाक चिह्नित किया गया था।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को सोनभद्र में सोन पहाड़ी और हरदी इलाकों में टीले के नीचे लगभग 3 हजार टन सोना होने की सम्भावना
वन और राजस्व विभाग की ओर से खनन क्षेत्र का निर्धारण कर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इसके बाद से ही लोगों की निगाहें यहां होने वाले खनन कार्य पर टिकी थीं। सरकार की मंजूरी के बाद खनिज विभाग ने खनन कार्य के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सोनभद्र जिले में में पांच ब्लाकों से खनन के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया है।
पांच ब्लाकों से खनन के लिए सरकार द्वारा टेंडर आमंत्रित
इसमें हरदी पूर्वी सोना पहाड़ी और धुरवा.बियाडांड ब्लाक में स्वर्ण धातु, भरहरी ब्लॉक में लौह अयस्क और कुरछा ब्लॉक में ग्लूकोनाइट का खनन होना है। टेंडर की यह प्रक्रिया नवंबर तक पूरा किया जाना है। माना जा रहा है कि अन्य औपचारिकताओं के बाद नए वर्ष से खनन कार्य आरंभ होगा।
फिलहाल जिले में मुख्य रूप से गिट्टी कोयला की खदानें हैं। इसके अलावा बालू का खनन होता है। समूचे पूर्वांचल में गिट्टी.बालू की आपूर्ति यहीं से होती है जबकि यहां का कोयला मप्र राजस्थान हरियाणा पंजाब तक जाता है। अभी तक केवल मात्र दक्षिणांचल को ब्लैक डायमंड की खान के नाम से जाना पड़ता था अब इसे गोल्ड के खान के रूप में भी जाना जायेगा। वही अब लौह और स्वर्ण धातु के खनन के माध्यम से यहां खनन के नए क्षेत्र विकसित होंगे।