Children bargaining under the guise of orphanage

गोरखपुर में तिवारीपुर के डोमिनगढ़ इलाके में बच्चा चोरी के शक में पकड़े गए दम्पति मऊ में अनाथालय चलाता है। अनाथालय की आड़ में बच्चों की सौदेबाजी का शक है। गगहा के एक युवक को भी पुलिस ने इस मामले में हिरासत में लिया है

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर ।
Child Trafficking : अनाथालय की आड़ में बच्चों की सौदेबाजी की जा रही है। गगहा के एक युवक को भी पुलिस ने इस मामले में हिरासत में लिया है। तिवारीपुर के डोमिनगढ़ इलाके में बच्चा चोरी के शक में गिरफ्तार दम्पति मऊ में अनाथालय चलातें है। अनाथालय की आड़ में बच्चों की सौदेबाजी का शक है। उसकी निशानदेही पर उस महिला को पकड़ लिया गया है जो बच्चे को लेकर डोमिनगढ़ पुल पर आई थी और उसे कार सवार लेकर अपने साथ चले गए थे।



अब इन सभी को आमने-सामने बैठाकर पुलिस टीम ने पूरी गुत्थी सुलझाने का प्रयास शुरू कर दिया है हालांकि शुरुआती जांच में यह एक गिरोह बताया जा रहा है जिसमें कई लोग शामिल हैं। गिरोह बच्चे का खरीद फरोख्त तक करता है। गिरोह में किस की क्या भूमिका है इसी को समझने के बाद पुलिस इसका खुलासा कर सकती है।

मऊ जिले के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के सेखबाड़ा गांव निवासी शेखर तिवारी सोमवार की रात अपनी पत्नी साधना तथा चालक रियाज के साथ स्कार्पियो से डोमिनगढ़ पुल के पास रुका था। यहीं पर एक महिला बच्चे को लेकर आई थी। फिर कार सवार उस महिला को बच्चे सहित अपने साथ लेकर सहजनवां की तरफ चले गए थे। इस घटना के बाद बच्चा चोर बताकर स्थानीय लोगों ने स्कार्पियो को घेर कर शीशा तोड़ दिया और गाड़ी पंक्चर कर दी।

पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया।पूछताछ में पता चला कि शेखर मऊ में अनाथालाय चलाता है। शेखर ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी बीमार हैं, उसे डॉक्टर को दिखाने के लिए अंकित के कहने पर स्कार्पियों बुक कराकर गोरखपुर आया था। शेखर ने बताया कि उसके साथ उनका कर्मचारी मनीष भी था।



पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंकित की निशानदेही पर मंगलवार की रात में पुलिस ने महिला और बच्चों को बरामद कर लिया है। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नाई ने बताया कि पूरे मामले की जांच पुलिस गहनता से कर रही है, जल्द ही पूरे घटना का पर्दाफाश कर लिया जाएगा।

अमूमन किसी संस्था से बच्चे को गोद लेने के लिए भावी मां-बाप को कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है

केन्द्र सरकार ने इसके लिए सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी गठित की है. ये संस्था महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है। सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को ब्।त्। नाम से जाना जाता है. यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है. ब्।त्। मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है।




बच्चे को गोद लेना एक लंबी कानूनी प्रक्रिया जरूर है, लेकिन इसमें कहीं भी पैसे के लेन-देन का जिक्र नहीं है. यहां तक कि गोद लेने वाले माता-पिता से नियमानुसार ये भी नहीं कहा जा सकता कि वे बच्चे के नाम पर कोई बॉन्ड लें या इनवेस्टमेंट करें।

मां-बाप को इन योग्यताओं को पूरा करना जरूरी

  • संभावित मां-बाप को शारीरिक रूप से, मानसिक तौर पर, भावनात्मक रूप से और आर्थिक दृष्टि से सक्षम होना जरूरी है. यह बात प्रमाणित होनी चाहिए कि संभावित अभिभावकों को कोई जानलेवा बीमारी न हो।
  • कोई भी संभावित माता-पिता जिनकी अपनी कोई जैविक संतान हो या न हो, वे बच्चा गोद ले सकते हैं. बशर्ते…अगर संभावित अभिभावक शादीशुदा हैं तो उन दोनों की आपसी सहमति होना जरूरी है।
    .एक सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है.जबकि एक सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है।
  • संभावित मां-बाप अगर दो साल से ज्यादा वक्त से शादीशुदा हों, तभी वो बच्चा गोद ले सकते हैं।
  • बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप की उम्र एक बेहद अहम पहलू है. इसके तहत कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए मां-बाप की औसत उम्र कम होनी चाहिए. संभावित माता-पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच उम्र का फासला कम से कम 25 साल होना ही चाहिए।
  • लेकिन यह नियम उस समय लागू नहीं होता है जब गोद लेने वाले संभावित माता-पिता रिश्तेदार हों या फिर सौतेले हों।
  • जिन लोगों के पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चे हैं वे लोग बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं. लेकिन विशेष स्थिति में वे भी बच्चा गोद ले सकते है। KhabariPost.com