सोन साहित्य संगम ने गाँधी और शास्त्री जी को काब्यांजलि के माध्यम से किया याद

विशेष संवाददाता खबरी पोस्ट 
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क 

सोनभद्र। सत्य- अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री सरलता सादगी व ईमानदारी के प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती समारोह संस्था के नगर स्थित कार्यालय पर उल्लास पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर संस्था से जुड़े कवियों ने  अपनी रचनाओं के द्वारा भारत माँ के दोनों महान सपूतों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व संस्था के उपनिदेशक सुशील राही ने और सफल संचालन संयोजक राकेश शरण मिश्र ने किया।  कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जाने माने गीतकार ईश्वर बिरागी, विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार अमरनाथ 'अजेय' उपस्थित रहे। साहित्य मनीषियों द्वारा माँ सरस्वती, महात्मा गांधी व शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण, द्वीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पित करके गोष्ठी की शुरुआत की गई तथा राष्ट्र नायकों को शत शत नमन कर उन्हें याद किया गया।   तदोपरांत उपस्थित कवियों अमरनाथ अजेय, सरोज सिंह, सुशील राही, मदन चौबे, राधेश्याम पाल,गोपाल जी कुशवाहा, धर्मेश चौहान,  प्रभुनारायण सिंह, राकेश शरण मिश्र एवं कवयित्री कौशल्या कुमारी द्वारा दोनों महान विभूतियों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित अपनी लब्ध प्रतिष्ठित रचनाएं सुना कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए।गोष्ठी की शुरुआत कवि सरोज सिंह द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। 
तत्पश्चात  "प्यार हमको वतन बांटता है" सरोज सिंह ने  सुनाकर लोगो  की वाहवाही लूटी। वही कवि गोपाल सिंह कुशवाहा ने "अर्पित करे श्रद्धा सुमन" सुनाकर लोगो को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया। 

“कई जन्मों से बुला रहे हो कोई तो रिश्ता जरूर होगा” जैसे गीतो से गुलजार रही महफिल

कवि मदन चौबे ने “हे राजनीति हे राष्ट्रनीति”सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी। कवि प्रभुनारायण सिंह ने “कई जन्मों से बुला रहे हो कोई तो रिश्ता जरूर होगा” प्रस्तुत कर लोगो को आनंदित कर दिया। वही कवि राधेश्याम पाल ने “आजादी तूम आज भी झूठी हो”
सुनाकर देश की वर्तमान दशा पर करारा चोट किया। कवि धर्मेश चौहान ने “देश से कुछ भी बड़ा नही है इंसान के लिए” सुनाकर लोगो को राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत कर दिया। महिला कवयित्री कौशल्या कुमारी ने “ग़ांधी अगर ना होते तो कैसे खिलता मेरा चमन” के द्वारा बापू को अपना श्रद्धासुमन अर्पित किया। गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि कवि अमरनाथ अजेय ने बेहतरीन गीत सुनाकर लोगों को श्रृंगार रस में डुबोने का सफल प्रयास किया। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित कवि ईश्वर बिरागी ने “गन्ध अल्को में समाए ठहर जाओ” सुनाकर खूब तालियां बजवाई। वही गोष्ठी का सफल संचालन करने वाले राकेश शरण मिश्र ने “बहुत परेशानियों में हूँ मगर मैं मस्त रहता हूँ” सुनाकर श्रोताओं को वाह वाह कहने के लिए मजबूर कर दिया। और अंत मे गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे सुशील राही ने “मेरे आस्तीनों में बसने वाले साँप” सहित एक से बढ़कर एक मुक्तक सुनाकर खूब तालियां बटोरी।
अंत मे संस्था के संयोजक राकेश शरण मिश्र ने आये हुए सभी कवियों व अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कवियों के अतिरिक्त श्रोताओं में आकाश मिश्र, बच्चा चौबे, अनुराग,अनिल कुमार मिश्र, अभय सिंह, नीलेश मिश्र, विकास केशरी सहित तमाम साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।