खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। अघोरपीठ बाबा कीनाराम स्थल, क्रींकुण्ड आश्रम रवीन्द्रपुरी कॉलोनी में शरद-पूर्णिमा की रात्रि श्वांस, दमा और एलर्जी के मरीजों में औषधि का निःशुल्क वितरण किया गया। बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के आशीर्वाद से आश्रम व्यवस्थापक मंडल ने रविवार की रात औषधि वितरित किया। बता दे कि यह औषधि वितरण का कार्य हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन किया जाता रहा है।
शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की रश्मियों के प्रभाव में रखी गयी औषधि युक्त खीर खाने से श्वांस, दमा और एलर्जी से संबंधित रोगों में मिलता है लाभ
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की रश्मियों के प्रभाव में रखी गयी औषधि युक्त खीर खाने से श्वांस, दमा और एलर्जी से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है। और वे ठीक हो जाते है। जिससे आश्रम में औषधि पाने के लिए देर शाम से ही भक्तों की लाईने लग गई थी। अर्धरात्रि के बाद तय समय पर भक्तों के औषधि वितरित कर इसके सेवन की विधि बताई गई। वहीं दूसरी ओर गड़वा घाट आश्रम में श्वास रोगों की दवा का वितरण किया गया। दूर-दराज से सैकड़ों की तादाद में लोग दवा लेने के लिए पहुंचे। गुरु शरणानंद महाराज ने दवा वितरित की।
बाबा कीनाराम के बारे में जहाँ तक जानकारी प्राप्त हुई है वह यह है–
बाबा कीनाराम के बारे में जहाँ तक जानकारी प्राप्त हुई है वह यह है कि बाबा कीनाराम जी पर आने से पहले कुछ आवश्यक चर्चा ज़रूरी है …. यूँ तो अघोर-परंपरा में हर रास्ते से चलकर अवस्थित हुआ जा सकता है, मग़र अध्यात्म जगत के बड़े हिस्से को कीनारामी-परम्परा में ज़्यादा सहजता व् विश्वसनीयता नज़र आती है । कारण है कि अध्यात्म के बड़े स्थानों में शुमार ज़्यादातर स्थान या तो सुसुप्तावस्था में चले गए या अनादर के चलते शक्तिविहीन होकर महज़ सांकेतिक रह गए हैं । 8वीं-9वीं शताब्दी से पहले ये स्थान (‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’) भी अज्ञात बनने की ओर अग्रसर था , मग़र बाबा कीनाराम जी के आगमन के पश्चात ये स्थान पुनः प्रज्वल्लित हो उठा ।
‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ एक विश्व-विख्यात तपोस्थली के रूप में हमेशा से ही विद्यमान
‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ एक विश्व-विख्यात तपोस्थली के रूप में हमेशा से ही विद्यमान था , ये स्थली आज भी दिन-प्रतिदिन अध्यात्म जगत की विभूतियों की प्रेरणा स्थली बनी हुई है और हमेशा ही रहेगी । बींसवी सदी के विश्वविख्यात महान संत , जिन्हें आम जनता ईश्वर का दर्ज़ा देती है, अघोरेश्वर भगवान् राम जी ने स्वयं कहा है कि — ” यह स्थान (‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’) तीर्थों का तीर्थ है और यहाँ हर पल बड़ी संख्या में ऐसी विराट आध्यात्मिक विभूतियाँ, हर-पल, मौजूद रहती हैं जो कई ब्रह्मनिष्ठ साधकों को एक ही साथ अलग-अलग जगहों पर एक साथ दर्शन देती हैं ।
बाबा कीनाराम ने शोषित की रक्षा की और शोषक वर्ग का बहिष्कार किया
सन 1601 में वाराणसी जिले की चंदौली तहसील ( जो अब स्वतंत्र जिले के रूप में स्थापित है) के रामगढ़ नामक स्थान में जन्मे, बाबा कीनाराम जी ने, अपने 170 साल के नश्वर शरीर में रहते हुए अपार जन-कल्याण किया । निराश्रितों की सेवा की । शोषित की रक्षा की और शोषक वर्ग का बहिष्कार किया । समय-काल के हिसाब से अद्भुत-अविश्वसनीय-अकल्पनीय घटनाओं को अंजाम दिया । भारतवर्ष के कोने-कोने में घूम-घूम कर मानवता का सन्देश दिया। श्रद्धा-भक्ति से लबालब अनगिनत लोग , बाबा कीनाराम जी से, आशीर्वाद पाकर अपनी ज़िंदगी को खुशहाल बना लिए और कई लोग अपनी उद्दंडता-अशिष्टतता के चलते उनके क्रोध का भाजन भी बने ।
उनकी मर्ज़ी में वो प्रकृति निवास करती रही जो इस सृष्टि के संचालन हेतु है ज़िम्मेदार
उनकी मर्ज़ी में वो प्रकृति निवास करती रही जो इस सृष्टि के संचालन हेतु ज़िम्मेदार है । “बाबा कीनाराम स्थल” को सुसुप्तावस्था से बचाने और हमेशा जागृत रखने हेतु , बाबा कीनाराम जी द्वारा, यहां पर पीठाधीश्वर व्यवस्था द्वारा स्थापित की गयी और बाबा कीनाराम जी यहाँ के प्रथम पीठाधीश्वर बने । Khabari Post.com