दीपावली (संस्कृत : दीपावलिः = दीप + अवलिः = दीपकों की पंक्ति, या पंक्ति में रखे हुए दीपक) शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातन त्यौहार है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है।
जाने महत्वपूर्ण बातें
आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) आज 24 अक्टूबर दिन सोमवार है. आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. आज शाम 05:29 बजे से अमावस्या तिथि शुरू हो रही है, जिससे कार्तिक अमावस्या लग जाएगी. इस वजह से आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. दिवाली के दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा करने का विधान है।
लक्ष्मी पूजा करने से धन, दौलत में वृद्धि होती है, कुबेर धन के रक्षक हैं और भगवान गणेश की कृपा से जीवन में हर काम शुभ और सफल होता है. दिवाली के अवसर पर श्री यंत्र, कुबेर यंत्र आदि की पूजा करने का विधान है. दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्ति का पूजन करते हैं, पुरानी मूर्तियों को पूजा स्थान से हटाकर विसर्जित कर दिया जाता है।
दिवाली के अवसर पर दीपों से घर और आसपड़ोस को रोशन करते हैं, ताकि कहीं पर अंधकार न रहे. इस दिन धन और संपत्ति में वृद्धि के लिए ज्योतिष उपाय भी किए जाते हैं. दिवाली की पूजा में माता लक्ष्मी को खील, बताशे, सफेद मिठाई, खीर आदि का भोग लगाते हैं और माता को कमल का फूल, कमलगट्टा, लाल गुलाब आदि अर्पित करते हैं। गणेश जी को पूजा में दूर्वा और मोदक अवश्य अर्पित करें. इससे वे प्रसन्न रहते हैं. गणेश जी को तुलसी का पत्ता न चढ़ाएं, वरना वे क्रोधित हो जाएंगे।
5 दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और पांचवें दिन गोवर्धन पूजा होती है। दिवाली पर कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ विध्नहर्ता भगवान गणेश,देवी सरस्वती और कुबेर देवता की पूजा होती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त सूर्यास्त होने के बाद प्रदोष काल में होता है। 24 अक्तूबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। आप लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
शुभ दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप कर सकते हैं. इसके अलावा श्री लक्ष्मी चालीसा या कनकधारा स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से अपार धन-संपदा प्राप्त होती है. पूजा के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती जरूर करनी चाहिए. इससे आपकी पूजा की कमियां दूर हो जाएंगी।
जाने आज कब से कब तक रहेगी कार्तिक अमावस्या तिथि
कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर, 2022 को शाम 05 बजकर 29 मिनट से।
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर।
दिवाली पर क्यों होती है लक्ष्मी जी की पूजा ?
दिवाली की तैयारियां कई दिनों पहले से होने लगती हैं। घरों की विशेष रूप से साफ-सफाई और सजावटें की जाती है। मान्यता है कि धन और सुख की देवी मां लक्ष्मी कार्तिक अमावस्या की रात को स्वर्गलोक से पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं। पृथ्वी पर भ्रमण के दौरान वह घर-घर जाकर देखती हैं कि कौन से घर में साफ-सफाई और सुंदरता मौजूद है। जहां पर साफ-सफाई होती है उसे देखकर मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने अंशरूप में उस घर में वास करने लगती हैं। इसी कारण से दिवाली की शाम को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी का आहवान किया जाता है।
आज शाम लक्ष्मी पूजा का समय और मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 18:54 से 20:16 मिनट तक
पूजा अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल: 17:43 से 20:16 मिनट तक
वृषभ काल: 18:54 से 20:50 मिनट तक
वर्षों बाद बना दिवाली पर ग्रहों का ऐसा संयोग
इस बार की दिवाली बहुत ही खास है क्योंकि कार्तिक अमावस्या तिथि पर लक्ष्मी पूजा होगी फिर फौरन बाद ही साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी अमावस्या पर लगेगा। वहीं बुध, गुरु, शुक्र और शनि स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। इन ग्रहों के ऐसा संयोग सभी के जीवन में सुख-समृद्धि और लाभ के संकेत है।
आज लक्ष्मी पूजा के लिए क्या रहेगा शुभ समय
आज कार्तिक अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है। दीपावली पर शाम के समय प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश पूजा का विधान होता है। अमावस्या तिथि शाम को प्रारंभ होगी ऐसे में शाम 5 बजे के बाद लक्ष्मी पूजा की जा सकेगी। इसके अलावा रात को महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजा और काली पूजा की जाएगी।
गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों विराजती हैं मां लक्ष्मी
माता लक्ष्मी निसन्तान थीं और उन्हें एक पुत्र की कामना थी। ऐसे में वह माता पार्वती के पास गईं। माता पार्वती से उन्होंने प्रार्थना कर कहा कि वे उन्हें अपना एक पुत्र सौंप दें। माता अपर्वती ने उनकी विनती स्वीकार की और गणेश जी को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में प्रदान किया। गणेश जी तभी से माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र के रूप में जाने जाते हैं।
माता लक्ष्मी गणेश जी को पुत्र स्वरूप पाकर बेहद प्रसन्न हुईं। उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा मैं उसके यहां वास करूंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसलिए लक्ष्मी जी के साथ हमेशा उनके ‘दत्तक-पुत्र’ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती है इसलिए मां लक्ष्मी गणेश जी के दाहिने ओर विराजमान है।
लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि
लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा के लिए एक चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी के दायीं दिशा में गणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। उनके सामने बैठकर चावलों पर कलश की स्थापना करें। वरुण के प्रतीक इस कलश पर एक नारियल लाल वस्त्र में लपेटकर इस प्रकार रखें कि केवल अग्रभाग ही दिखाई दे। दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें। एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाई तरफ रखें। चौकी पर रखें गणेशजी के सामने एक छोटा सा दीपक रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूपबत्ती, गुड़, फूल, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें। फिर सारे दीपकों को जलाकर उन्हें नमस्कार करें। उनपर चावल छोड़ दें। पहले पुरुष और बाद में स्त्रियां गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत् षोडशोपचार पूजन, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष श्रीसूक्त का पाठ करें और आरती उतारें। वहीं, अगर आप व्यापार करते हैं तो बही खातों की पूजा करने के बाद नए लिखने की शुरुआत करें। तेल के अनेक दीपक जलाकर घर के हर कमरे में, तिजोरी के पास, आंगन और गैलरी आदि जगह पर रखें। ताकि किसी जगह पर अंधेरा न रह जाए। खांड की मिठाइयां, पकवान और खीर आदि का भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटे।
कुबेरजी के साथ इनकी भी जरूर करें पूजा
diwali puja mantra दिवाली के दिन लक्ष्मी, गणेशजी के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर रखें। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा सफल नहीं हो पाती है और अधूरी रह जाने से पूजन का लाभ नहीं मिलता है। इसलिए भगवान विष्ण के बायीं ओर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर इनकी पूजा करें।
diwali 2021 pujan samagri list यहां जानिए, दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री
दीवाली पूजन मंत्र और विधि
दिवाली पूजन शुरू करें पवित्री यानी शुद्धि मंत्र ‘सेः अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।’ इन मंत्रों को 3 बार बोलकर अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। इसके बाद ‘ऊं केशवाय नम:,’ ‘ऊं माधवाय नम:’ और ‘ऊं नारायणाय नम:,’ मंत्र से आचमन करें फिर हाथ धोएं। इसके बाद ‘ ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥’ मंत्र से आसन शुद्ध करें फिर चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र ‘चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।’ पढ़ें।
आइए देखे दीवाली पर्व मनाने का भोजपुरिया अंदाज
दीया-दीयरी पर्व पहिले अइसे ना मनावल जात रहल ह–
आज के नवका पीढ़ी ई सुनि के चिहा जाई कि पहिले के जमाना में दीपावली का दिने पटाखा ना बाजत रहल ह। पटाखा के शोर के परंपरा बाद में आइल. हम अपना लइकाईं के बात बतावतानी. ओह घरी गांव में कोंहार (कुम्हार) लोग रही. ऊहे लोग माटी के दीया- दीयरी, जांत, भोंभा (लंबा खोखला डंडा के अगिला भाग लाउडस्पीकर नियर चौड़ा रही) आ घंटी बनावत रहल ह।
माटी क खिलौना क कही पता ना चलता बा-
हमनियो का घरे ऊ आई. त ई कुल माटी के खेलौना जब घरे आ जाई त हमनी का भोंभा बजावे लागत रहनीं हं जा. एसे ध्वनि प्रदूषण ना होई, पूs,पूs के आवाज निकली जौना के सुनि के बड़ा मजा आई. जइसे शंख बाजेला ओही नियर आवाज निकली।
गांव में जेने देखीं, सबेरे- सांझ भोंभा के शंखनुमा आवाज सुनाई आ सुनि के आनंद आई. ओह घरी हमनी के कल्पनो ना करत रहनीं जा कि दीपावली में पटाखा बाज सकेला. ई लागता पटाखा इंडस्ट्री के लोग पहिले सिनेमा वगैरह में शुरू करावल भा खुद सिनेमा वाला लोग प्रचलन शुरू कइल।
गांव में भी लोग दीपावली के पटाखा बजावे लागल बा
ओकरा बाद अब त गांव में भी लोग दीपावली के पटाखा बजावे लागल बा. ई त रउरा सब के मालुमें बा कि पटाखा के बनावे में गन पाउडर के इस्तेमाल होला, जौना का वजह से हवा में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रेट पदार्थ आ कार्बन मोनो आक्साइड गैस हमनी के आसपास के हवा में फइल जाला।
कौनो बच्चा, जवान बूढ़ एह जहरीला हवा के संपर्क से होला परेशान
ई वायु प्रदूषण दमा के रोगियन खातिर जहर के काम करेला। जहां दवा के मरीज कौनो बच्चा, जवान भा बूढ़ एह जहरीला हवा के संपर्क में आइल आ ओमें सांस लिहलस बस दमा रोग ट्रिगर हो जाई माने दमा रोग उपटि जाई, तेज हो जाई। दमा अनुवांशिक भी होला, माने जदि हमरा बाप- दादा के दमा रहल ह त हमरो होखे के चांस बा। दोसरका होला पर्यावरण के प्रदूषण से. त एहू से अदालत पटाखा पर रोक लगा देले।
पर्यावरण क होला भारी नुकसान
हमनी के पर्यावरण अइसहीं कौनो खराब गतिविधि से प्रदूषित होत रहेला। अच्छा ई त अचरज के बात बा कि जौना हवा में सांस लेबे के बा, ओकरा के लोग तिरस्कृत कइके ताबड़तोड़ पटाखा बजा के अउरी जहरीला बना देला. कहेला लोग कि पटाखा बजावला में बड़ा मजा आवेला. आरे भाई ई कइसन मजा ह? एही हवा में सांस लेतार आ एही के गंदा करतार?
पटाखा के फैक्ट्रिन में ब्लास्ट से टोटल कइल जाउ त हर साल सैकड़न लोग मरि जाले.
पटाखा के फैक्ट्रिन में ब्लास्ट से टोटल कइल जाउ त हर साल सैकड़न लोग मरि जाले. पिछले जुलाई में बिहार के छपरा में एगो पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से छव लोग मरि गइले. ई पटाखा फैक्ट्री तीन मंजिला मकान में रहुए. बिहारे ना देश भर में अइसन घटना के भरमार बा. एमें से एकाध गो उदाहरन दिहला पर रउरा बुझा जाई कि कतना खतरनाक स्थिति बा. मीडिया रिपोर्ट कहतारी सन कि उत्तर प्रदेश में पिछला 11 साल में पटाखा फैक्ट्रियन में 97 गो विस्फोट भइल बा।
एकरा वजह से करीब 267 मजदूर मरि चुकल बाड़े।करीब 374 मजदूर पटाखा फैक्ट्री के धमाका में घायल भइल बा लोग. एमें से करीब अस्सी प्रतिशत लोग झुलसि गइल रहे. हम नइखीं जानत कि ई आंकड़ा कतना करेक्ट बा, बाकिर एह आंकड़ा के अनुसार मरे वाला लोगन में 40 गो बच्चा आ 52 गो मेहरारू लोग बा।
अब ध्वनि प्रदूषण के नोकसान पर आईं
अब ध्वनि प्रदूषण के नोकसान पर आईं. आमतौर पर 60 से 70 डेसिबल तक ध्वनि सीमा स्टैंडर्ड मानल बा. पटाखा सौ से अधिका डेसीबल के आवाज करेलन स. बंदूक के आवाज 130 से 160 डेसिबल होला. एकरा से कान के पर्दा फाट सकेला, कम सुनाए के बेमारी हो सकेला, कान में हरदम सीटी के आवाज सुनाए के बेमारी, भा बहिर हो जाए के खतरा रहेला. बाकिर के सुनता।