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धर्म कर्म डेस्क नई दिल्ली। देशभर में चार दिन तक चलने वाला CHHATH PUJA का त्योहार 28 अक्टूबर, शुक्रवार से शुरू हो रहा है। भगवान सूर्य व छठी माता को समर्पित CHHATH PUJA हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व चार दिन तक चलता है।

इस साल 2022 में ये 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलेगा। छठ पूजा में संतान के स्वास्थ्य, सफलता व दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत को महिलाओं के साथ पुरुष भी रखते हैं।हिंदू धर्म में छठ पर्व (Chhath Puja 2022) का खास महत्व है।

CHHATH PUJA का महापर्व हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलती है. इस साल छठ 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व (Chhath Parv) की शुरुआत नहाय-खाय (Chhath Nahay Khay ) के साथ होती है. दूसरे दिन खरना (Kharna ) होता है. जबकि तीसरे दिन संध्याकालीन अर्घ्य और चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन होता है।

CHHATH PUJA (Chhath 2022) लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. व्रती इस व्रत में 36 घंटे तक व्रत रखते हैं. आइए जानते हैं कि साल 2022 में छठ महापर्व (Chhath Puja Dates 2022) कब से कब तक पड रहा है। 

CHHATH PUJA 2022 तिथि | Chhath 2022 Date

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार छठ (Chhath 2022 Dates) महापर्व 28 अक्टूबर, शुक्रवार से शुरू हो रहा है. छठ के पहले दिन (Chhath 2022 Day 1) को नहाय-खाय (Nahay Khay) कहते हैं. व्रती इस दिन घर की साफ-सफाई पर व्रत की तैयारी शुरू कर देते हैं. 29 अक्टूबर, शनिवार को खरना (Kharna Chhath 2022) है. इस दिन व्रती खरना करते हैं और इसी दिन से व्रत विधिवत शुरू होता है. इस दिन व्रती महिलाएं गुड़ से बनी खीर खाकर व्रत आरंभ कर देती हैं।

इस साल 30 अक्टूबर, रविवार को छठ महापर्व का संध्याकालीन अर्घ्य है। ऐसे में इस दिन व्रती संध्या काल में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। छठ पर्व के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है. इस साल सुबह का अर्घ्य 31 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है।

28 अक्टूबर से छठ पूजा की विधिवत शुरूआत –

कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाए खाए किया जाता है। इस साल चतुर्थी तिथि 28 अक्टूबर को है। ऐसे में छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार से होगी। नहाए खाए के दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं। घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है। इस भोजन में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।

29 अक्टूबर को खरना-

छठ पर्व का दूसरा दिन खरना का होता है। इस साल खरना 29 अक्टूबर को होगा। इस दिन महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और रात को ग्रहण करती हैं। इसे प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

छठ पूजा का पहला अर्घ्य-

छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। व्रती महिलाएं या पुरुष पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 37 मिनट है।

छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य-

चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है। फिर व्रत पारण किया जाता है। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 31 मिनट है।

छठ 2022 तिथियां |  Chhath Puja 2022 Dates

Chhath Puja 2022 Day 1 – Nahay Khay – नहाय खाय- 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार 

Chhath Puja 2022 Day 2 – Kharna – खरना- 29 अक्टूबर 2022, शनिवार 

Chhath Puja 2022 Day 3 –Evening Arghya- संध्याकालीन अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022, रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य 

Chhath Puja 2022 Day 4 – Morning Arghya – उदीयमान सूर्य को अर्घ्य – 31 अक्टूबर 2022, सोमवार, छठ का पारण 

छठ पूजा का महत्व
छठ पर्व को महापर्व कहा जाता है. क्योंकि इस पर्व को आस्था और श्रद्धापूर्वक किया जाता है. यही कारण है कि आज देश से लेकर विदेशों में भी छठ पूजा मनाई जाती है. छठ पर्व में साफ-सफाई के नियमों का विशेष पालन करन होता है. छठी माई की पूजा में घर पर मांस-मंदिरा, लहसुन-प्याज और जूठन करना वर्जित होता है. छठ व्रत करने से घर पर सुख-शांति आती है. इस व्रत से संतान और सुहाग की आयु लंबी होती है।

छठ पूजा सामग्री Chhath Puja samagri

1. अपने लिए नए वस्त्र जैसे सूट, साड़ी और पुरुषों के लिए कुर्ता-पजामा या जो उन्हें सुविधाजनक हो।
2. छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां खरीद लें।

3. सूप, ये बांस या फिर पीतल के हो सकते हैं।

4. दूध तथा जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली।

5. 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों।

6. नारियल, जिसमें पानी हो।

7. चावल, सिंदूर, दीपक और धूप।

8. हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा।

9. बड़ा वाला मीठा नींबू (डाभ), शरीफा, केला और नाशपाती।
10. शकरकंदी तथा सुथनी।

11. पान और साबुत सुपारी।

12. शहद।

13. कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती या धूप तथा कपूर।

14. मिठाई।

15. गुड़, गेहूं और चावल का आटा।

छठ पूजा विधि Chhath Puja vidhi
छठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें।

: बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास
: चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी
: नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई
: प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

अर्घ्य देने की विधि- बांस की टोकरी में उपरोक्त सामग्री रखें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
छठ पर्व पर छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक कथा के अनुसार प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वे दुःखी रहते थे। महर्षि कश्यप ने राजा से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। महर्षि की आज्ञा अनुसार राजा ने यज्ञ कराया। इसके बाद महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह शिशु मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा और अन्य परिजन बेहद दुःखी थे। तभी आकाश से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं। जब राजा ने उनसे प्रार्थना कि, तब उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं। मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं।”

इसके बाद देवी ने मृत शिशु को आशीष देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह जीवित हो गया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। ऐसी मान्‍यता है कि इसके बाद ही धीरे-धीरे हर ओर इस पूजा का प्रसार हो गया।


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. खबरी पोस्ट न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.)