रिपोर्ट -अनमोल कुमार
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
कोर्ट ने 10 फीसदी आरक्षण को वैध करार दिया
नई दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को मिलने वाले EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 10 फीसदी आरक्षण को वैध करार दिया है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडल्ब्यूएस आरक्षण को सही करार दिया।
उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया लेकिन कहा कि आखिर कब तक जारी रहेगा आरक्षण, इस पर विचार करना चाहिए।
EWS कोटा वैध और संवैधानिक
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि मेरा फैसला जस्टिस माहेश्वरी की राय से के साथ है। उन्होंने कहा कि EWS कोटा वैध और संवैधानिक है। हालांकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवींद्र ने इस कोटे को अवैध और भेदभावपूर्ण करार दिया।
5 जजों की संवैधानिक बेंच में हुआ फैसला
इस तरह सामान्य वर्ग के गरीब वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने 3-1 से मुहर लगा दी है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ही ऐसे थे, जिन्होंने इस कोटे को गलत करार दिय़ा। उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभाव से पूर्ण है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 2019 में संसद से EWS आरक्षण को लेकर कानून किया गया था पारित
बता दें कि संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 2019 में संसद से EWS आरक्षण को लेकर कानून पारित किया गया था। इस फैसले को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है।
विचार करने की जरूरत है कि आरक्षण कब तक जरूरी है?– जस्टिस जेबी पारदीवाला
EWS कोटे पर वैधता को लेकर फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह भी विचार करने की जरूरत है कि आरक्षण कब तक जरूरी है? उन्होंने कहा कि गैर-बराबरी को दूर करने के लिए आरक्षण कोई अंतिम समाधान नहीं है। यह सिर्फ एक शुरुआत भर है। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की वैधता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूर किए जाने के बाद इस तर्ज पर राज्यों में भी कुछ जातियों को आरक्षण प्रदान करने पर विचार हो सकता है।