………यूं तय करते हैं हजारों किमी की दूरी

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राम आशीष भारती

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया, चंदौली। गुलाबी मौसम का आकर्षण मनुष्यों को ही नहीं अपितु परिंदों को भी आकर्षित करता है। विशेषकर वनांचल गुनगुनी सर्द हवाएं। हर वर्ष यहां अक्टूबर के अंत से प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। यहां प्रवासी आते हैं। सर्दियों की धूप सेंकते हैं और अपने घोंसले भी बनाते हैं। मार्च के अंत से प्रवासी परिंदे अपने अपने देशों के लिए उड़ान भर जाते हैं। लेकिन आपको हैरत होगी इनके बारे में कुछ रोचक बातें जानकर।

पक्षियों पर अध्ययन करने वाली विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रियंका पटेल के अनुसार

पक्षियों पर अध्ययन करने वाली विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रियंका पटेल के अनुसार वनांचल में केवल बड़े आकार वाले पक्षी ही प्रवास नहीं करते। हजारों किलोमीटर की यूरोप, साइबेरिया, हिमालय और मध्य एशियाई देशों से अनोखी यात्रा करके कई रंग बिरंगे छोटे छोटे स्थलीय पक्षी भी वनांचल के सौन्दर्य को बढाते हैं। यह प्रवासी पक्षी वनांचल के जंगल, झाड़ियों पर पहुंच कर प्रकृति के सौन्दर्य में चार चांद लगा रहे हैं।

स्थलीय पक्षी भी आते हैं सर्दियों के प्रवास पर

बड़े आकार के जलीय प्रवासी पक्षियों जैसे डक, वेडर व शोर बर्ड, क्रेन आदि पर सभी की नजर आसानी से पड़ जाती है लेकिन छोटे आकार के प्रवासी पक्षियों का अलग ही रंगीन संसार होता है। इनमें प्रमुख रूप से ब्लूथ्रोट जो कि अलास्का से वनांचल पहुंचती है। हिमालय के क्षेत्र से वेगटेल की पांच प्रजातियां हर साल वनांचल में दिखाई देती हैं। इसके अलावा फिंच, स्टोनचैट, पिपिट, थ्रस, बंटिंग आदि की प्रजातियां शामिल हैं।