काशी में देव दीपावलीः 84 घाट, 5 लाख दीप काशी में देव दीपावली प्रतीक है त्रिपुरासुर पर भगवान शिव के विजय का। तैंतीस कोटि देवता आज काशी में आते हैं और भगवान शिव तथा मां गंगा की पूजा करते और दिवाली मनाते हैं। पुराणों में कथा आती है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण किया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। उसके बाद उन्होंने इस तिथि को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 

लगा ऐसे कि मानो आसमान से झिलमिलाते सितारे जमीं पर उतर आए हो

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चंदौली वाराणसी। चकिया के स्थानीय काली जी मंदिर परिसर में पोखरे पर 5100 दीपों से माँ काली परिषर जगमगा उठा। दीपक की लौ प्रतिबिम्बित हो कर विखेर रही थी आलौकिक छटा। वही ज्ञात हो कि ओम सेवा समिति के तत्वावधान में देव दीपावली मनाया जाता है। सजावट व आतिशबाजी का नजारा अदृभुत रहा।

जो देखते ही बनता था। जिसे देखने के लिए हजारों लोगो का शैलाब महिला व पुरूष बच्चे तालाब पर उमड पडे थे। उसके बाद लोगो ने माँ काली जी के आरती का भी लुत्फ उठाया । इसके साथ ही ओम सेवा समिति द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी रखा गया था जिसमें विरेन्द्र कुमार सिंह निरहुआ की टीम द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

जिसका उद्घाटन विधायक कैलाश खरवार ‚ और समाज सेवी व मदर टेरेसा कही जाने वाली डॉ गीता शुक्ता ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

‘सात वार नौ त्यौहार‘ के शहर में देव दीपावली की छटा रही अद्भुत, अकल्पनीय

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को देव दीपावली का पर्व उमंग एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर शहर के गंगा घाटों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के घाटों की सजावट कर आकर्षक बिजली की झालरों से उनका श्रृंगार कर उन्हें दीपों की रोशनी से जगमग किया गया था। दीपों के जलते ही ऐसी अनुपम छटा दिखाई दी मानो आसमान से झिलमिलाते सितारे जमीं पर उतर आए हो।

 काशी को ‘सात वार नौ त्यौहार‘ का शहर कहा जाता है। फिलहाल यह शहर आज साल के अपने आखिरी महापर्व देव दीपावली को मना रहा है। देव दीपावली को लेकर शिव की नगरी काशी में गजब का उत्साह अद्भुत, अकल्पनीय और भव्य… दीप मालिकाओं की सुनहरी आभा से दमकते घाटों का आकर्षण आंखों के रास्ते हृदय में उतरता चला गया।

दीपों की लड़ियों की ज्योतिगंगा उत्तरवाहिनी के समानांतर दोनों छोर पर प्रवाहित हो रही थी। शंखनाद, घंटा-घड़ियाल, कपूर और लोबान की सुवास के साथ ही 84 घाटों के दोनों छोर 10 लाख से अधिक दीपों से जगमग हो उठे। नमो घाट से रविदास घाट तक अनंत दीप आसमान के सितारों को भी अपनी चमक से मात दे रहे थे। ऐसा दृश्य जो न कभी देखा, न सुना और न किसी ने सुनाया।

पंचगंगा घाट पर जैसे ही हजारा दीप प्रज्ज्वलित हुआ, गंगा के किनारे साढ़े सात किलोमीटर का तट भी एक-एक करके जगमग हो उठा

सोमवार की शाम को पंचगंगा घाट पर जैसे ही हजारा दीप प्रज्ज्वलित हुआ, गंगा के किनारे साढ़े सात किलोमीटर का तट भी एक-एक करके जगमग हो उठा। अर्द्धचंद्राकार घाटों पर चंद्रहार की तरह दीपक झिलमिलाने लगे। पर्यटकों ने इस अलौकिक नजारे को देखा तो बस देखते ही रह गए।गंगा की लहरों पर सतरंगी इंद्रधनुष आकाश से उतर आया। घाटों पर देवलोक का साक्षात अलौकिक दृश्य मन मोह रहा था। 

गंगोत्री सेवा समिति ने मां गंगा की 108 किलो अष्टधातु की प्रतिमा का पूजन

देवाधिदेव महादेव की नगरी में गंगधार पर स्वर्ण रश्मियों की फुहार अठखेलियां कर रही थीं। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित हुई तो गंगोत्री सेवा समिति ने मां गंगा की 108 किलो अष्टधातु की प्रतिमा का पूजन किया। 

बीएचयू परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर को 5000 से अधिक दीयों से सजाया गया

बीएचयू परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर को 5000 से अधिक दीयों से सजाया गया। विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने उत्साह के साथ रंगोलियां बनाकर भगवान विश्वनाथ और महामना को दीपदान किया। विश्वविद्यालय सहित समग्र राष्ट्र के उत्थान की कामना की। मंदिर के व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पांडेय रहे। 

खुशी की उड़ान संस्था ने मनाया वाराणासी के अस्सी घाट पर देव दीपावली

वाराणासी।भारतवर्ष त्यौहारों का देश है ,यहां एक त्यौहार बीतते ही नए त्यौहार का आगमन हो जाता है परन्तु कुछ ऐसे त्यौहार है ,जिसको मनाने में कितना भी उमंग लगाए कम ही लगता है।ऐसा ही उत्सव देवोत्सव कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
इस शुभ अवसर पर वाराणासी के अस्सी घाट पर खुशी की उड़ान संस्था एवं मां गंगा सेवा समिति तथा ब्रम्हराष्ट्र एकम के संयुक्त तत्वावधान में देव दीपावली का आयोजन दीप प्रज्जवल एवं रंगोली प्रतियोगिता कराकर किया।रंगोली अपनी अनुपम छटा पूरे घाटों में सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ था कही महिला सशक्तिकरण को प्रदर्शित करने वाले रंगोली तो कही सेव द ब्लड की रंगोली ने लोगो को जागरूक किया।रंगोली को 10 टीमो में 50 से ज्यादा लोगो ने सहर्ष प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर संस्था की संस्थापिका सारिका दुबे ने कहा की काशी की देव दीपावली विश्व प्रसिद्ध देव दिवाली है जिस दिन छत्तीस कोटि के देवी देवता धरती भ्रमण करने निकलने है इसलिए धरती को स्वर्ग की तरह सजाते है, हमारा सौभाग्य है की हमारी संस्था खुशी की उड़ान को आज के दिन घाटों को सजाने और प्रतिभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ।

वही मां गंगा सेवा समिति के श्रवण मिश्र जी ने कहा की हम वर्षों से मां गंगा की सेवा तथा देव दीपावली का आयोजन करते आ रहे है। इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली को देखने 3 लाख से ज्यादा बाहरी श्रद्धालु आए है। हम सभी श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार है।

वही इस मौके पर संस्था के पदाधिकारी वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयप्रकाश कुशवाहा, महासचिव देव जायसवाल, उपाध्यक्ष जनार्दन शर्मा,सचिव विकास गुप्ता, सचिव ऋतिक कुमार,सुकन्या,कृतिका, रितेश, विशाल, विवेक, आदित्य उपस्थित रहे।

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