खबरी पोष्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

नौगढ(चन्दौली)।वर्ष 2022 मे अवर्षण का प्रकोप से अन्नदाता एकदम बेहाल सा हो गया है।जिससे किसानों को पेट की आग तृप्त करने की चिंता तो बनी हुई है।साथ ही कैसे होगी अन्य आवश्यक आवश्यकताओ की पूर्ति से बेचैनी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।खरीफ की फसल तो नाकाफी खेतों में उग पाई तो रबी की फसल के लिए पानी का टोंटा लगा हुआ है।जबकि सरकार द्रारा जनपद के पर्वतीय वनांचल क्षेत्र के किसानों को कोई भी सुविधा अभी तक देय किए जाने की संभावना भी जागृत नहीं हो पाई है।क्षेत्र में उद्मोग धंधो का एकदम अभाव होने से खेती किसानी मे मेहनत मजदूरी करके आय अर्जन करनेवाले श्रमिकों को भी इस वर्ष काम नहीं मिल पाने से भूखमरी के कगार पर पहुंचने तक की नौबत नजदीक आती दिख रही है।जिससे मजदूरों का दल पलायन करने को मजबूर हो जाएगा।

कहने को तो क्षेत्र में 3 बड़े बड़े जलाशयों का साम्राज्य है।लेकिन इसका लाभ चकिया शहाबगंज बबुरी सहित अन्य स्थानों व बिहार राज्य के आंशिक भू भाग को देय होता है।

प्रदेश सरकार ने अभी तक नहीं घोषित किया क्षेत्र को सूखाग्रस्त

क्षेत्र की कुल 97 सरकारी बंधियों मे मौजूद थोडा़ बहुत पानी की सिंचाई मे आपुर्ति पर मछली ठेकेदारों ने प्रतिबंध लगा दिया है।ताल तलैया पोखरा ईत्यादि जलस्रोतों मे दरारें दिखने लगी है।पानी के अभाव में अन्न उत्पादन पर तो काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा ही।साथ ही आगामी दिनो मे पेयजल की भी घोर किल्लत हो जाने की संभावना प्रबल होती दिखने लगी है।