योगी सरकार ने एठाएं बड़े कदम
यूपी के आयुष एडमिशन घोटाले में अब धरपकड़ शुरू हो गई है. यूपी एसटीएफ ने इस मामले में आयुर्वेद विभाग के पूर्व डायरेक्टर एसएन सिंह, काउंसलिंग के नोडल ऑफिसर रहे उमाकान्त यादव सहित एक दर्जन को गिरफ्तार कर लिया है।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। UP के आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिलों के मामले में STF ने बड़ी कार्रवाई करते हुए निलंबित आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह समेत दर्जन भर लोगो को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड काउंसिलिंग वेंडर कुलदीप सिंह वर्मा भी शामिल है।
डाटाबेस में हेराफेरी करते हुए ऐसे 891 छात्रों को दाखिला दिलाया गया। इनमें से 22 ऐसे मिले जो नीट में शामिल ही नहीं हुए थे। जबकि अन्य की मेरिट काफी कम थी। मामले की सीबीआई से जांच के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से पहले की सिफारिश कर रखी थी।
गिरफ्त में आते ही इस हेराफेरी की सभी परतें पूरी तरह से खुली
कुलदीप के गिरफ्त में आते ही इस हेराफेरी की सभी परतें पूरी तरह से खुल गईं हैं। इसी के आधार पर निलंबित आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह, दाखिला काउंसिलिंग प्रभारी प्रो. उमाकांत यादव, आयुर्वेद निदेशालय में काउंसिलिंग की फीस जमा करने की जिम्मेदारी संभालने वाले लिपिक राजेश सिंह और उसके सहयोगी लिपिक कैलाश चंद्र भास्कर को गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके अलावा काउसिलिंग कराने वाली एजेंसी बी3 सॉफ्ट सॉल्यूशन से जुड़े 8 कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। इनमें गौरव गुप्ता, हर्षवर्धन तिवारी, सौरभ मौर्य, रूपेश श्रीवास्तव, रूपेश रंजन पांडेय, इंद्र देव मिश्रा और प्रबोध कुमार सिंह शामिल हैं।
प्रो. सिंह से कुलदीप के साथ सांठगांठ कर कॉलेजों के दाखिलों में की बड़ी हेराफेरी
काउसिलिंग कमेटी के सचिव होने के नाते प्रो. एसएन सिंह की दाखिला सकुशल संपन्न कराने की जिम्मेदारी थी, जिसे वह ठीक से नहीं निभा पाए। बताया जा रहा है कि प्रो. सिंह से कुलदीप के साथ सांठगांठ कर कॉलेजों के दाखिलों में बड़ी हेराफेरी की। इसमें निदेशालय के प्रभारी अधिकारी प्रो. उमाकांत यादव और फाइनेंस का काम देखने वाले बाबू राजेश सिंह की मिलीभगत भी सामने आई है।
प्रो. सिंह ने 4 नवंबर को हजरतगंज थाने में दर्ज कराया था मुकदमा
गिरफ्तार किए गए प्रो. सिंह ने 4 नवंबर को हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने दाखिला काउंसिलिंग के लिए कार्यदायी संस्था अपट्रॉन पावरट्रॉनिक्स लि. और उसके द्वारा नामित वेंडर वी-3 सॉल्यूशन के कर्ताधर्ता कुलदीप पर आरोप लगाए थे। कहा था कि उसी के द्वारा नीट परीक्षाफल के मूल डाटाबेस और अधिकृत वेबसाइट में छेड़छाड़ कर यूजी पाठयक्रमों में ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से ऐसे छात्रों को प्रवेश दे दिया जो अर्हता पूरी नहीं करते थे।