खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर में मात्र 24 घंटे के अंदर आत्महत्या का दूसरा मामला सामने आया है. पहला मामला शाहपुर इलाके में गीता वाटिका स्थित घोसीपुरवा का था. जहां मंगलवार की सुबह पिता और दो बेटियों ने आर्थिक तंगी के कारण गले में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया. उसी दिन देर रात 10 बजे गोरखनाथ थाना क्षेत्र की जनप्रिय विहार कॉलोनी में मां-बेटे ने भी जहर खाकर अपनी जान दे दी।

आत्महत्या के दो मामलों से इलाकों में सनसनी ‚आत्महत्या की वजह आर्थिक तंगी

आत्महत्या के दो मामलों से इलाकों में सनसनी फैल गई. दोनों ही मामलों में आत्महत्या की वजह आर्थिक तंगी बताई जा रही है. पुलिस ने बताया कि  जनप्रिय विहार कॉलोनी की रहने वाली सरोज पत्नी स्वर्गीय सत्यनारायण राव और उनके बेटे मनीष राव ने मंगलवार देर रात 10:00 बजे जहर खा लिया।
गंभीर हालत में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टर ने मेडिकल कालेज रेफर कर दिया. लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।  

………..परंतु मैं गलत थी

मान्या ने अंग्रेजी में अपनी डायरी में लिखा है कि मैं कभी यह कल्पना नहीं कर सकती थी कि जिसको मैंने अपना इतना घनिष्ठ दोस्त माना, वह मेरे बारे में इतनी घटिया सोच रखती है। शायद मैं मूर्ख थी, जो किसी के भी दुख में दुखी हो जाती थी, तो किसी की भी खुशियों में खुलकर हंसती थी और सबका उत्साहवर्धन करती थी। परंतु मैं गलत थी।

मरना पसंद है, पर अपने परिवार के सम्मान और प्रतिष्ठा को ताक पर रखना कतई बर्दाश्त नहीं

मान्या ने आगे लिखा है कि यह जरूर है कि हमारी मां नहीं है, परंतु हम भी एक अच्छे और सम्मानित परिवार से आते हैं। हमें मरना पसंद है, पर अपने परिवार के सम्मान और प्रतिष्ठा को ताक पर रखना कतई बर्दाश्त नहीं है। अब मैंने प्रण किया है कि चाहे कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, अपने दिल की भावनाएं किसी भी परिस्थिति में किसी से भी साझा नहीं करूंगी।

अनुभूतियां मुझे अंदर से झकझोर देती हैं

मान्या ने लिखा है कि इन सबके बावजूद मैंने खुद को संभाल कर रखा है, परंतु मैं नहीं जानती कि कब तक मैं इसमें सफल रहूंगी। यह जीवन परेशानियों और दुखों से भरा पड़ा है। यहां कोई किसी का साथ नहीं देता, कोई किसी को समझने का प्रयास नहीं करता। ये अनुभूतियां मुझे अंदर से झकझोर देती हैं। अगर इस पूरे संसार में मेरा कोई अपना है, तो वे हैं मेरे पिता और मेरी बहन, पर कभी-कभी वे भी मुझे नहीं समझते। मैं हमेशा से एक शांत स्वाभाव कि लड़की रही हूं और खुद को खुश रखने का प्रयास भी बहुत किए हैं। पर अब मैं पूरी तरह से टूट चुकी हूं। अपना संबल खो चुकी हूं। मुझमें अब हिम्मत नहीं बची है। अब मैं आराम करना चाहती हूं। कृपया मुझे माफ कर दें।

मान्या (16) और मानवी (14) की कला और संस्कृति में गहरी रुचि

गोरखपुर शाहपुर इलाके के घोषीपुरवा में पिता जीतेंद्र श्रीवास्तव के साथ आत्महत्या करने वाली मान्या (16) और मानवी (14) की कला और संस्कृति में गहरी रुचि थी। दोनों बहनें सेंट्रल एकेडमी शाहपुर में कक्षा नौ और सात में पढ़ती थीं।

सुबह दोनों बहनों की मौत की सूचना मिलने के बाद से शिक्षकों के साथ सहपाठी भी सदमे में हैं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था एक दिन पहले बालदिवस पर जिस मान्या को समूह गीत में प्रतिभाग करते देखा, वह आज हमारे बीच नहीं है। कार्यक्रम में मान्या ने आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं, दिल से दिल तक राह बनाएं… गीत की प्रस्तुति दी थी। छोटी बहन मानवी अपनी बहन का हौसला बढ़ा रही थी। चेहरे से मासूम और हंसमुख मिजाज की दोनों बहनें पढ़ाई के साथ ही गैर शैक्षणिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं।

पिता और दो बेटियों की आत्महत्या से पूरा शहर स्तब्ध

शाहपुर इलाके के घोसीपुरवा में पिता और दो बेटियों की आत्महत्या से पूरा शहर स्तब्ध है। बुधवार को हर किसी की जुबां पर घटना की चर्चा रही। मान्या के दादा ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को ही शाहपुर पुलिस छानबीन के लिए मकान में ताला बंद कर चाबी अपने पास रखी ली। बीपी की दवा देने के लिए ताला पुलिस ने खोला था। इसके बाद से ताला बंद है। जीतेंद्र, मान्या और मानवी की आत्मा की शांति के लिए बुधवार की दोपहर ओम प्रकाश ने घर के बाहर दरवाजे की सीढ़ी पर ही गायत्री परिवार की ओर से हवन-पूजन किया। यह कहते-कहते ओमप्रकाश भावुक हो गए। बोले, गार्ड की नौकरी से जब वेतन मिलता था, तो दोनों बच्चियों को प्रत्येक माह 50-50 रुपये देता था, जो आर्थिक तंगी के चलते इधर तीन माह से नहीं दे पाया था।

बेटी की फीस के साथ छह माह का बिजली का बिल भी बकाया

ओमप्रकाश श्रीवास्तव की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से जीतेंद्र काफी परेशान रहते थे। बेटी की फीस के साथ छह माह का बिजली का बिल भी बकाया था। करीब सात हजार रुपये बिजली का बिल हो चुका था। कई बार जमा करने की कोशिश हुई, लेकिन रुपये इकट्ठा नहीं हो पा रहे थे।

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