खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ।उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण के मामले में 59 ऐसे मामले दर्ज किए गए, जो नाबालिगों के धर्म परिवर्तन से संबंधित थे। बरेली जिले में सर्वाधिक ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। योगी सरकार इसको लेकर काफी सख्त है। गौरतलब है कि नवंबर 2020 में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून लागू किया था। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि दो साल पहले अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम लागू होने के बाद से राज्य में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
बरेली दर्ज हुआ था धर्मांतरण का पहला मामला
प्रदेश में इस कानून के तहत पहला मामला बरेली में दर्ज किया गया था. इस कानून के तहत अमरोहा में दर्ज हुए एक मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा भी सुनाई जा चुकी है
दो साल में जबरन धर्मांतरण के 291 मामले दर्ज किए गए
उत्तर प्रदेश में पिछले दो साल में जबरन धर्मांतरण के 291 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामले में कुल 507 लोगों की गिरफ्तारी की गई। अब तक 150 मामलों में अभियुक्तों ने जबरन धर्म परिवर्तन कराने की बात कुबूल की है। अधिकारी ने बताया कि इस अधिनियम के तहत सबसे ज्यादा मामले बरेली जिले में दर्ज किए गए हैं। हालांकि, यहां दर्ज मामलों की संख्या फिलहाल मौजूद नहीं है।
धर्मान्तरण के मामले में 10 साल की जेल व 15 से 50हजार के जुर्माने का प्रावधान
इसके तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और 15 से 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो माह पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अंतरधार्मिक विवाह को लेकर जारी घमासान के बीच उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020′ को मंज़ूरी दे दी है.
इस क़ानून के अनुसार ‘जबरन धर्मांतरण’ उत्तर प्रदेश में दंडनीय होगा. इसमें एक साल से 10 साल तक जेल हो सकती है और 15 हज़ार से 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना.का प्रावधान है। जिसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद लागू कर दिया जायेगा।