खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चंदौली । जिले के बसनी जन्सों की मड़ई गांव में श्रीमद्भागवत कथा का संगीतमय आयोजन किया गया । जिसमें सहज ध्यान योग साधना के संस्थापक व कथा ब्यास मंगलम दीपक जी महराज ने सप्तम दिवस की कथा मे बताया कि सनातन धर्म के पुजारी गरीब परिवार को रोजगार देते है।

लोग घरो मे जो हवन होता है उसका विरोध किया जाता है मगर हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है । बडे-बडे मंदिरों का विरोध होता है मगर क्या आप को पता है जब हम अपने परिवार के साथ मंदिर जाते है,पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया , चढ़ाने के लिए माला ली, तुरंत दर्शन कर लिये ,जिज्ञासु प्रवृत्ति से हम मंदिर के चारों तरफ घूमते है।

हर दुकान , हर ठेलिया को देखते है कौन क्या बेच रहा है…फिर सब लोग खाना-पीना करते हैं! महिलाएं अपने लिए समान लेती है । पुरुष अपने लिए व बच्चो के लिए जरूरत के हिसाब से सामान लेते है । मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को रोजगार दे रहा है।
यह काम तो हजार करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है…लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है। मंदिर किसको रोजगार दे रहा है ! यह वह लोग है ,जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है। इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें। अर्थव्यवस्था में समाज के निचले स्तर के लोग है..मंदिर करोड़ो लोगों को रोजगार देते हैं. कैसे…

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१.धार्मिक पुस्तक बेचने वालों को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।
२. माला बेचने वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
३. फूल वालों को माला बनाने और किसानों को रोजगार देते हैं।
४. मूर्तियां-फोटो बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
५. मंदिर प्रसाद बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
६. कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देते हैं।
७. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।
८. लाखों पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।
९. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।
१०. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती है उन्हे भी रोजगार मिलता है
11, मंदिरों के कारण अँगूठी रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।
12, मंदिरों के कारण दिया बनाने व कलश बनाने वाले लोगों को भी मिलता है रोजगार।
13, मंदिरों से उन 65000 खच्चर वालों को रोजगार मिलता है। जो दुर्गम पहाड़ों पर श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुचाते है।
14, भारत में दो लाख से उपर होटल व धर्मशाला है जो मंदिरों के कारण चल रहे हैं।
15, तिलक बनाने वाले, नारियल, सिंदूर बेचने वाले लोगों को मंदिर से रोजगार मिलता है।
16, गुण व चना बेचने वाले मंदिरों में कारण करते हैं भरणपोषण।
17 मंदिरों के कारण लाखो अपंग भिखारी तथा अनाथो को सहारा व रोटी नसीब हो रही है।
18, मंदिर के वजह से लाखो वानरो व सापों कि हत्या नहीं होती।
19, मंदिर के कारण हिंदू धर्म के कारण आम, पीपल-बरगद,निम आदि बृक्षों कि रक्षा होती है।
20, मंदिरों के कारण हजारों, लाखो मेले लगते है जिसमें झूले चरखा चलाने वाले लोगों को रोजगार मिलता है।
21, मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घुमने आते हैं जिससे छोटे-छोटे चाय,पकौड़े बेचने वाले लोगों के परिवार का भरणपोषण होता है।
यह मंदिर पता नहीं कितने दिनों से है और रहेगा। और जबतक रहेगा रोजगार देता रहेगा। अगर सही तरीके से देखा जाये तो आर्थिक दृष्टि से देखें तो मंदिर अपने निवेश से कई गुना रोजगार देता है।
कथा मे मुख्य रूप से ऋषि नारायण मिश्रा, आशुतोष मिश्रा, अभिषेक मिश्रा, दिपक मिश्रा, प्रकाश मिश्रा, प्रतीक मिश्रा, रवि मिश्रा, धिरेंन्द्र प्रताप मिश्रा, विरेंद्र प्रताप मिश्रा आदि लोगों ने आरती में सम्मिलित रहे।