बिहार में पकड़े गए कारतूसों की सप्लाई चंदौली व अन्य जिलों से होने की बात सामने आई है। इस मामले में एक गन हाउस संचालक व अन्य की भूमिका की जांच की जा रही है। – अंकुर अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक चंदौली
खबरीे पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चंदौली : जनपद से सटे बिहार प्रांत के डिडखिली टोल प्लाजा के पास कैमूर पुलिस द्वारा एक कार वाहन से कारतूसों की बड़ी खेप बरामद होने के बाद जिले के गन हाउस जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए । बताते चलें कि बनारस से चन्दौली होते हुए बिहार प्रांत के लिए ले जाए जा रहे कारतूसों की सप्लाई एक बालू माफिया को की जानी थी।
2200 कारतूस एवं एक तमंचा के साथ ही चार कारतूस तस्करों भी किये गये थे गिरफ्तार
बिहार एसटीएफ और दुर्गावती थाना की संयुक्त टीम ने 17 नवंबर को डिडखिली टोल प्लाजा के पास एक कार से 2200 कारतूस एवं एक तमंचा बरामद किया साथ ही चार कारतूस तस्करों को भी गिरफ्तार किया था,पुलिस के अनुसार बरामद कारतूस 315 बोर के थे।
बरामद कारतूसों की सप्लाई चंदौली स्थित एक गन हाउस से भी हुई थी
बिहार के मोहनिया स्थित डिडखिली टोल प्लास के पास एक कार से बरामद कारतूसों की सप्लाई चंदौली स्थित एक गन हाउस से भी हुई थी। तस्करी कर बिहार में सप्लाई के लिए ले जाई जा रही कारतूसों की खेप में तीन अलग-अलग प्रकार के कारतूस थे। इस प्रकरण में बिहार व जिले की पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। गन हाउस संचालक को पुलिस अभी तक नहीं पकड़ पाई है।
तस्करों ने चंदौली स्थित एक गन से भी कारतूस की खेप खरीदने की बात की कबूल
बिहार एसटीएफ और दुर्गावती थाना की संयुक्त टीम ने कार से 2200 कारतूस एवं एक तमंचा बरामद किया। इस दौरान टीम ने बिहार प्रांत के रहने वाले विपिन पासवान, प्रशांत कुमार, ओमप्रकाश कुमार व सोनू सिंह के पास से .315 व .32 समेत .30 बोर के कारतूस बरामद किए थे। सूत्रों के अनुसार पुलिस टीम की पूछताछ में तस्करों ने चंदौली स्थित एक गन से भी कारतूस की खेप खरीदने की बात कबूल की थी।
गन हाउस का नाम सामने आते ही बिहार व चंदौली की पुलिस ने गन हाउस की भूमिका की शुरू की जांच संचालक फरार
चंदौली स्थित एक गन हाउस का नाम सामने आते ही बिहार व चंदौली जिले की पुलिस ने गन हाउस की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। गन हाउस संचालक को पुलिस अभी तक नहीं पकड़ पाई है।
शराब तस्करी के लिए जिला पहले से मुफीद ट्रांजिट जोन बन चुका है। वहीं अब चंदौली स्थित एक गन हाउस से कारतूसों की खरीदारी और आसानी से बिहार में सप्लाई होने का मामला सामने आने के बाद पुलिस के सूचना तंत्र पर सवाल खड़ा होना शुरू हो गया है।
मुखबिर तंत्र के बजाय सर्विलांस पर निर्भरता जमीन पर तंत्र हुआ फेल
जिले में पुलिस जमीन पर मौजूद अपने मुखबिर तंत्र के बजाय सर्विलांस पर ज्यादा निर्भर हो गई है। नतीजतन पुलिस की नाक के नीचे से कारतूसों की सप्लाई हो जा रही है और उसे भनक तक नहीं लग पा रही है। हालांकि पुलिस अपनी पीठ थपथपाने के लिए मादक पदार्थों की तस्करों को पकड़कर वाहवाही लूटती है लेकिन लेकिन गन हाउस से बड़ी संख्या में अवैध तरीके से कारतूसों की सप्लाई होना पुलिस के एक्टिव मुखबिर तंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है।