खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 36 जिले ऐसे हैं जहां वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक भी कर्मचारी नहीं है। वहीं, 46 जिलों में वक्फ निरीक्षक ही नहीं हैं। प्रदेश के सभी 75 जिलों में इन संपत्तियों के हिफाजत और निगरानी के लिए सिर्फ सर्वे वक्फ विभाग में ूमात्र 60 कर्मचारी ही हैं। ऐसे में इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे व अवैध विक्री के मामले में इजाफा होता जा रहा है।
संपत्तियों की निगरानी और सुरक्षा के लिए वर्ष प्रदेश में 1976 में बनाया गया वक्फ विभाग
प्रदेश में 1.30 लाख वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें से करीब 1.22 लाख सुन्नी और 8 हजार सम्पत्तियां शिया की हैं। इन संपत्तियों से अवैध कब्जे हटवाने, उनकी हदबंदी करवाने, खाली जमीनों पर पौधरोपण, कब्रिस्तानों की बाउंड्री कराकर उनका पंजीकरण कराने की जिम्मेदारी मुख्य वक्फ निरीक्षक और सर्वे वक्फ निरीक्षक की होती है। अभी वक्फ निरीक्षक के 70 पद सृजित हैं, लेकिन तैनाती सिर्फ 32 मुख्य वक्फ निरीक्षक व सर्वे वक्फ निरीक्षक की है।
जिलों में नही है कोई अधिकारी ‚सारे पद लगभग है खाली
हर जिले में एक मुख्य वक्फ निरीक्षक/ सर्वे वक्फ निरीक्षक, वरिष्ठ सहायक, कनिष्ठ सहायक और एक अनुसेवक के जिला संवर्ग में कुल 280 पद सृजित हैं। इनमें से कनिष्ठ सहायक, निरीक्षक, अनुसेवक के पद सीधी भर्ती से और मुख्य निरीक्षक, वरिष्ठ सहायक के पद विभागीय प्रोन्नति से भरने का प्रावधान है।
प्रदेश के 75 जिलोें में वाराणसी ‚चंदौली सहित कुल 38 जिलों में नही है कोई कर्मचारी
मैनपुरी, मथुरा, हाथरस, एटा, कासगंज, बलिया, मऊ, प्रयागराज, कौशांबी, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, बांदा, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, पीलीभीत, सोनभद्र, बिजनौर, संभल, अमरोहा, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बागपत, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और शामली में एक भी कर्मचारी तैनात नहीं है। इन 36 जिलों में 144 पदों पर न तो सीधी भर्ती से और न ही विभागीय प्रोन्नति से रिक्त पदों को भरा गया है।मुख्यालय से लेकर जिलों का 68 कर्मचारियों पर भार
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए वर्तमान में सर्वे वक्फ कमिश्नर विभाग में मुख्यालय और जिला संवर्ग में कुल 300 पद सृजित हैं। सभी 75 जिलों में वक्फ संपत्तियों की निगरानी के लिए 7 मुख्य वक्फ निरीक्षक, 25 सर्वे वक्फ निरीक्षक, 9 वरिष्ठ सहायक, 4 कनिष्ठ सहायक और 15 अनुसेवक तैनात हैं जबकि विभाग के मुख्यालय स्तर पर 20 सृजित पदों पर सिर्फ 8 कर्मचारी ही तैनात हैं।कानपुर सहित पांच जिलों में चपरासी के भरोसे सुरक्षा
कानपुर नगर, फतेहपुर, रामपुर, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर ऐसे हैं जहां पर वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा चपरासी के भरोसे हैं। यहां पर न तो मुख्य वक्फ निरीक्षक/सर्वे वक्फ निरीक्षक, वरिष्ठ सहायक और न ही कनिष्ठ सहायक तैनात है। इसके अलावा कन्नौज, बदायूं और सहारनपुर में सिर्फ कनिष्ठ सहायक को तैनाती है।वक्फ एक्ट को चुनौती ‚दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर
वक्फ कानून देश का सबसे खतरनाक कानून है..भारत सिर्फ कहने को सेक्युलर है। यह बात बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वक्फ बोर्ड कानून में ऐसा क्या है जिसको लेकर ये बात कही गई। टीवी डिबेट में अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि 1991 में स्पेशल पूजा स्थल अधिनियम बना। इसके तहत हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन को कोर्ट जाने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि 1992 में माइनॉरिटी कमिशन एक्ट बना। इसके तहत हिंदुओं को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में बांट दिया गया। हिंदू बहुसंख्यक और जैन, बौद्ध, सिखों को अल्पसंख्यक बना दिया गया। 1995 में वक्फ एक्ट बनाया गया।
उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 33 साल पुराने शासनादेश को निरस्त करते हुए वक्फ की संपत्तियों के पुनर्परीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश
प्रदेश सरकार मदरसों के बाद अब वक्फ संपत्तियों की जांच कराने जा रही है। इसके तहत सरकार सामान्य संपत्तियों (बंजर भूमि, भीटा, ऊसर आदि) को वक्फ संपत्तियों के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराए गए सभी मामलों को खंगालेगी। सरकार ने सभी जिलों में राजस्व विभाग के वर्ष 1989 के शासनादेश को भी खत्म करते हुए जांच के निर्देश 20 सितम्बर को ही दे दिये हैं।
इस शासनादेश के तहत बंजर, ऊसर, भीटा आदि संपत्तियों को भी प्रयोग के आधार पर राजस्व अभिलेखों में वक्फ के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से प्रदेश के सभी मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है वक्फ अधिनियम-1995 के पूर्व उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1960 की व्यवस्था प्रचलित थी।
वक्फ’ क्या होता है?
प्रदेश सरकार मदरसों के बाद अब वक्फ संपत्तियों की जांच कराने जा रही है। इसके तहत सरकार सामान्य संपत्तियों (बंजर भूमि, भीटा, ऊसर आदि) को वक्फ संपत्तियों के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराए गए सभी मामलों को खंगालेगी। सरकार ने सभी जिलों में राजस्व विभाग के वर्ष 1989 के शासनादेश को भी खत्म करते हुए जांच एक माह में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
इस शासनादेश के तहत बंजर, ऊसर, भीटा आदि संपत्तियों को भी प्रयोग के आधार पर राजस्व अभिलेखों में वक्फ के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से प्रदेश के सभी मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है वक्फ अधिनियम-1995 के पूर्व उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1960 की व्यवस्था प्रचलित थी।
वक्फ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द वकुफा से हुई है।
-इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं, जो अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है। एक बार संपत्ति वक्फ हो गई तो फिर उसे मालिक वापस नहीं ले सकता ।
ये दान पैसे या संपत्ति का हो सकता है. इस्लाम में किसी इंसान का धर्म के लिए किया गया किसी भी तरह का दान वक्फ कहलाता है।
इसके अलावा अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा हो, तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है।
वक्फ बोर्ड क्या होता है?
-जब कोई मुस्लिम अपनी संपत्ति दान कर देता है तो उसकी देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास ही होता है.। -वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है. वक्फ का काम देखने वालों को मुतावली कहा जाता है।
-वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार होता है. वक्फ की संपत्ति को किसी को भी ट्रांसफर करने, बेचने, तोहफे के तौर पर देने या लीज पर देने की मनाही है. ऐसा तभी हो सकता है जब बोर्ड के दो तिहाई सदस्य इसकी मंजूरी दे।
देशभर में वक्फ बोर्ड
-देश में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 स्टेट बोर्ड है।
-केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ काउंसिल का पदेन अध्यक्ष होता है।
-वर्तमान में स्मृति ईरानी सेंट्रल वक्फ काउंसिल की चेयरपर्सन हैं।
-हर राज्य के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होते हैं. इस समय देश के 32 राज्यों में वक्फ बोर्ड है।
वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष
-वक्फ बोर्ड में एक अध्यक्ष, राज्य सरकार की ओर से एक या दो नामित व्यक्ति, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य और इस्लाम के जानकार होते हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति
-वक्फ बोर्ड के पास भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है।
-यानी, वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है।
-वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं जो करीब 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली है।