सभी जिलों से मिले निकायों के रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर वार्डों के साथ ही महापौर व चेयरमैन की सीटों के आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही आरक्षण की सूची जारी कर दी जाएगी।

खबरीे पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। नगर निकायों में सीटों के आरक्षण का इंतजार जल्द खत्म हो सकता है। नगर विकास विभाग ने आरक्षण सूची को अंतिम रूप दे दिया है। जल्द ही आरक्षण की प्रस्तावित सूची मुख्यमंत्री के समक्ष पेश की जाएगी। वहां से हरी झंडी मिलते ही सूची को जारी कर दिया जाएगा। शासन स्तर पर सूची का परीक्षण हो रहा है।

रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया प्रस्ताव

सभी जिलों से मिले निकायों के रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर वार्डों के साथ ही महापौर व चेयरमैन की सीटों के आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अनंतिम आरक्षण सूची जारी कर दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक दिसंबर अंत तक नगर निकायों में चुनाव कराने को लेकर नगर विकास विभाग युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है।

आपत्तियाें के लिए दिये जायेंगे सात दिनों का समय

सूत्रों के मुताबिक सीएम की मुहर लगते ही अनंतिम आरक्षण सूची जारी कर उस पर आपत्तियां मांगी जाएंगी। सात दिनों की सीमा इस काम के लिए दी जा सकती है। आपत्तियों को दूर करने के साथ ही अंतिम आरक्षण जारी होगा और आयोग को प्रस्ताव सौंप दिए जाएंगे।

BJP की तैयारी तेज, हर पैनल से तैयार हो रहे 3-3 नाम

उत्तर प्रदेश में उपचुनाव (UP By-Election) के बीच BJP ने राज्य में नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी है. इसके लिए बीजेपी विशेष प्लानिंग कर रही है. इसके लिए बीजेपी में हर वर्ग में तीन-तीन नाम का पैनल तैयार किया जा रहा है. ये पैनल नगर निगम , नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के साथ ही वार्ड से प्रत्याशियों के नाम का पैनल तैयार हो रहा है।  

आरक्षण जारी होने के साथ ही बीजेपी प्रत्याशी घोषित कर देगी

नगर निकाय चुनाव के लिए अनुसूचित जाति से तीन-तीन नाम का पैनल हर निकाय से बीजेपी में तैयार हो रहा है. इस तैयारी से आरक्षण जारी होने के साथ ही बीजेपी प्रत्याशी घोषित कर पाएगी. जब तक अन्य दल प्रत्याशी तय करेंगे, तब तक बीजेपी अपने प्रचार और जनसंपर्क अभियान को तेज कर चुकी होगी. बीजेपी पिछले कई महीनों से निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी है.

निकाय चुनाव में इस बार कुल चार करोड़ 27 लाख 40 हजार 320 वोटर्स डालेंगे वोट

मतदाता सूची के जारी आंकड़ों के अनुसार यूपी निकाय चुनाव में इस बार कुल चार करोड़ 27 लाख 40 हजार 320 वोटर्स वोट डालेंगे। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होने के बाद वोटरों की कुल संख्या बढ़कर चार करोड़ 27 लाख से ज्यादा हो गई है.जबकि 2017 में हुए निकाय चुनाव पर गौर करें तो उसकी तुलना में इस बार पूरे प्रदेश में 91.44 लाख मतदाता बढ़े हैं. 2017 में 652 निकायों के चुनाव में तीन करोड़ 33 लाख से ज्यादा मतदाता थे। बताते चले कि राज्य में बीते पांच साल में 111 नई नगर पंचायतों का गठन हुआ है. इसके अलावा पांच सालों के दौरान 130 नगर पंचायतें नगर पालिका परिषदों और नगर निगम में सीमा विस्तार हुआ है।

आइए बताते है निकाय चुनाव में आरक्षित और अनारक्षित सीटों का फॉर्मूला

सबसे पहले वार्डों का आरक्षण जारी होगा फिर मेयर और चेयरमैन की सीटों का जल्द ही आरक्षण को अंतिम रूप देकर जारी किया जाना है. जानिये वो फार्मूला जिसके तहत ये आरक्षण लागू होता है-

नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों से टिकट की उम्मीद लगाकर बैठने वालों को आरक्षण जारी होने का बेसब्री से इंतजार है। सबसे पहले वार्डों का आरक्षण जारी होगा फिर मेयर और चेयरमैन की सीटों का जल्द ही आरक्षण को अंतिम रूप देकर जारी किया जाना है।

आरक्षण भले ही जारी नहीं हुआ हो, लेकिन हम आपको बताते हैं कि आखिर महापौर की कौन सी सीट इस बार किसके लिए आरक्षित होने के आसार हैं और कौन सी अनारक्षित होने वाली है। जानिये वो फार्मूला जिसके तहत ये आरक्षण लागू होता है।

आरक्षण लागू करने का एक तय फार्मूला है। इसे चक्रानुक्रम फार्मूला कहा जाता है। इस फॉर्मूले के तहत कोई भी सीट सबसे पहले महिला एससी के लिए आरक्षित होती है। इससे अगली बार चरणवार तरीके से एससी के लिए, फिर अगली बार ओबीसी महिला के लिए, फिर ओबीसी, फिर महिला आरक्षित और फिर इसके अगली बार यही अनारक्षित सीट होती है. अब बात राजधानी से ही शुरू करते हैं. लखनऊ नगर निगम में महापौर की सीट 2017 में महिला आरक्षित थी. बीजेपी के टिकट पर संयुक्ता भाटिया चुनाव जीतकर मेयर चुनी गई. चक्रानुक्रम फॉर्मूले को देखें तो इस बार ये सीट अनारक्षित होने की संभावना है।

लखनऊ के अलावा कानपुर और गाजियाबाद की सीट हो सकती अनारक्षित

नगर निगम में महापौर की सीट के संभावित आरक्षण की बात करते हैं. लखनऊ के अलावा कानपुर और गाजियाबाद की सीट अनारक्षित हो सकती है।अयोध्या, अलीगढ़ और झांसी की सीट महिला के खाते में आ सकती है।

वाराणसी की ओबीसी और मथुरा की सीट हो सकती है महिला आरक्षित

आगरा, प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद की सीट एससी महिला की हो सकती है. मेरठ की सीट एससी, सहारनपुर और गोरखपुर में महिला, फिरोजाबाद और वाराणसी की ओबीसी और मथुरा की सीट महिला आरक्षित हो सकती है। हालांकि अभी ये सिर्फ संभावना है। सभी को इंतजार है कि आरक्षण जारी हो जिससे सही स्थिति की पता चले।

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