आज स्विगी, जोमैटो, बायजू, ओयो और ओला जैसी कंपनियों ने रिस्क लिया। तब वह इस स्तर पर काम कर पाए। लाइफ का यही फंडा है ‘नो रिस्क, नो रिटर्न’।” निकेश ने कहा, ”मैंने BHU से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में B-Tech किया था। मगर आज वह दुनिया की सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनी के CEO हैं। यह सब कुछ रिस्क लेने और टाइम-टाइम पर सीखते रहने से हुआ है।”
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। BHU दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है। इसमें BHU में पढ़ चुके दुनिया के टॉप प्रोफेशनल्स पहुंचे। उन्होंने छात्रों को जिंदगी के सक्सेस मंत्र दिए। कार्यक्रम के चीफ गेस्ट अमेरिकी बिजनेस प्रोफेशनल पालो आल्टो के CEO निकेश अरोड़ा रहे। निकेश BHU के एल्युमिनाई रह चुके हैं।
उन्होंने कहा, ”आजकल मां-बाप बेटे के रिस्क लेने की क्षमता कम कर रहे हैं। बचपन में बच्चों को सिखाते थे कि बेटा इसको मत छुओ। बेटा सड़क पार करने से पहले बाईं ओर, फिर दाएं देखो। वे हमें रिस्क मैनेजमेंट सिखाते थे। मगर, बड़े होने पर बेटा सेटल हो जाओ, घर खरीद लो, बेबी प्लान करो, ये सब बातें होती हैं। हम रिस्क लेने से डर रहे हैं।
3 एकेडमिक सेशन के छात्रों को मिल रही उपाधि 38 हजार स्टूडेंट्स को डिग्री
BHU दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है जिसमें 38 हजार स्टूडेंट्स को डिग्री दी जा रही है। इसमें 91 मेधावियों को चांसलर, स्व. महाराजा विभूति नारायण सिंह गोल्ड और BHU मेडल दिए गए। यह संख्या इस बार इसलिए बड़ी है क्योंकि 3 एकेडमिक सेशन के छात्रों को एक साथ उपाधि मिल रही है।
आइए देखते है छात्रों के क्या है थीम वे क्या कहते है
BHU दीक्षांत समारोह के दौरान मौजूद उपाधि प्राप्त जिंक एंड परफॉर्मिंग आर्ट के छात्र प्रशांत मिश्रा 15 साल से वायलिन बजा रहे हैं। वे यहां से Ph.D कर रहे हैं। प्रशांत को चांसलर के साथ ही स्व. महाराजा विभूति नारायण सिंह गोल्ड और BHU मेडल भी मिल रहा है। उन्होंने MPA इन इंस्ट्रूमेंटल में सबसे ज्यादा स्कोर किया था। प्रशांत का कहना है कि उनकी गुरु पद्मभूषण एन राजम हैं, जिन्होंने BHU में संगीत के बड़े-बड़े धुरंधरों को खड़ा किया है।
इसके अलावा उनके पिता वीरेंद्र मिश्रा BHU के इसी फैकल्टी में डीन रह चुके हैं। प्रशांत का यह भी कहना है कि वायलिन की दुनिया सबसे अलग होती है। आप सॉफ्टवेयर पर हर तरह के साउंड की-बोर्ड पर क्रिएट कर सकते हो, मगर वायलिन की धुन नहीं बजा सकते। आज भी वायलिन के प्रति लोगों को क्रेज कम नहीं हुआ है।
चांसलर मेडल के लिए चयनित भद्रा प्रिया ने अपने 10 साल दिये बांसुरी को
BHU दीक्षांत समारोह में चांसलर मेडल के लिए चयनित भद्रा प्रिया ने अपने 10 साल बांसुरी को दिए हैं। उन्हें चांसलर मेडल के साथ गोल्ड और BHU मेडल से सम्मानित किया जा रहा है। भद्रा प्रिया मूलत: केरल से हैं। वह BHU से बांसुरी में PG कर रहीं हैं। आगे वह म्यूजिक में ही Ph.D करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि काशी और बांसुरी के मेल ने उन्हें जीवन का सबसे खास लम्हा दिया।
फिर से देश बढ़ रहा उसी वेस्टर्नाइजेशन की ओर
BHU दीक्षांत समारोह में चांसलर मेडल पाए अभिनायक मिश्रा ने कहा कि उन्हें गोल्ड के साथ ही BHU मेडल भी मिल रहा है। उन्होंने वेदांत स्ट्रीम से आचार्य में टॉप किया है। अभिनायक बनारसी हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने वेदांत का प्रतिपादन किया। इसके बाद स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों ने उसे आगे बढ़ाया। आज फिर से देश उसी वेस्टर्नाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। हमें वेदांत की ओर रुख कर इस समस्या को रोकना होगा।
BHU देश का तीसरा सबसे बड़ा विश्वविद्यालय
भारतरत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की नींव डाली थी। आज नॉर्थ और साउथ कैंपस को मिलाकर कुल 4 हजार एकड़ में फैला यह दुनिया का सबसे बड़ा एलुमनी नेटवर्क वाला विश्वविद्यालय है। यहां पर करीब 15 लाख से ज्यादा छात्र अब तक पास आउट हो चुके हैं। एरिया के हिसाब से BHU अब देश का तीसरा और यूपी का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। आज यही BHU अपना 102वां दीक्षांत समारोह मना रहा है।
जानिए BHU के बारे में कुछ खास बाते
- साल 1916 स्थापना और 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने BHU स्थापना के सिल्वर जुबली ईयर महोत्सव में आए थे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में BHU के दीक्षांत को संबोधित किया था।
- प. जवाहरलाल नेहरू 1916 से 1962 के बीच 13 बार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिरकत की थी।
- पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और 1950 में पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने एक बार दीक्षांत को संबोधित किया था।
- पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम दो बार 1991 और 2006 दीक्षांत को संबोधित कर चुके हैं।
- 1970 का दीक्षांत समारोह भी खूब याद किया जाता है, जब कांग्रेस की सरकार में जननायक डॉ. जयप्रकाश नारायण ने छात्रों को संबोधित किया था।
- 1990 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष नेल्सन मंडेला भी BHU के दीक्षांत समारोह को एड्रेस किए थे। उस समय BHU के चांसलर और काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया था
- सुप्रसिद्ध खगोल साइंटिस्ट डॉ. जयंत विष्णु नार्लिकर 1997 और 2014 में दो बार दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि रहे। नार्लिकर BHU के सेंट्रल हिंदू स्कूल के ही प्रोडक्ट थे।
- 2008 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद, शंकर दयाल शर्मा तक ने BHU के दीक्षांत को एड्रेस किया है।