24 घंटे में तीन दर्जन से ज्यादा की माैते बयां कर रही खौफनाक दास्तान‚ एक के बाद एक की जा रही थी जान‚लगातार बज रहे एम्बुलेंस के सायरन‚दहला रही थी लोगो की जान । शराबबंदी का फैसला सीएम नीतीश ने नैतिक और सामाजिक आधार पर 5 अप्रैल, 2016 को लिया था. नीतीश की ख्याति बढ़ी और राज्य का घाटा बढ़ा. और घाटा केवल राजस्व का नहीं हुआ………………….

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

छपरा । पूर्णरूप से शराब बन्दी के राग अलापने वाले बिहार राज्य के छपरा में शराब से मरने वालों का शिलसिला जारी है। छपरा में पूरी तरह से बवाल मचा हुआ है। 24 घंटे में जहरीली शराब के कारण तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत चुकी हैं। मौत का ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मशरक (मशरक) अस्पताल में सबसे ज्यादा मौत हुई ।यहां की स्थिति भयावह थी। अस्पताल में गूंजता एंबुलेंस का सायरन दौड़ते-भागते लोग बेड पर पड़े शव और सड़कों पर पसरा सन्नाटा कुछ खास बयां कर रहा था।

महज 24 घंटे में तीन दर्जन से ज्यादा लोगों ने अस्पताल की बेड पर दम तोड़ा। औसतन हर घंटे 4 मरीज अस्पताल पहुंच रहे थे। मंगलवार आधी रात से शुरू हुआ पीड़ितों के आने का सिलसिला बुधवार रात भर तक जारी रहा। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना काल में भी इस तरह के हालात यहां नहीं थे। ये उससे भी ज्यादा भयावह यह मंजर है। यह सिलसिला गुरूवार को भी जारी रहा।

अस्पताल के आला अधिकारी की जुबानी सुनिए पूरी शराबबंदी की कहानी

ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मंगलवार रात के लगभग 11 बजे हालात अन्य दिनों की तरह सामान्य थे। अचानक 4 मरीज पहुंचे। उनकी सांसे उखड़ रहीं थी। आंख की रोशनी जा चुकी थी। मन मचला रहा था.. बेचैन थे.. उनकी स्थिति काबू से बाहर थी।जिस हालात में वे यहां पहुंचे थे उनका बच पाना मुश्किल था। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए छपरा रेफर कर दिया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
शाम में जितने मरीज आए थे सभी ने बताया कि उन्होंने देसी शराब पी रखी थी। सुबह होते-होते ऐसे मरीजों की कतार लग गई। 10 बजते-बजते स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी। मरीजों को देखने के लिए संसाधन कम पड़ने लगे थे। सभी की एक ही शिकायत थी, जहरीली शराब पी थी । आनन-फानन में अस्पताल के सभी डॉक्टर्स बुलाए गए। जिले भर के एंबुलेंस को आनन फानन में हास्पीटल में बुला लिया गया।

शराब बन्दी के डर ने कितनो को मार डाला‚समय से अस्पताल पहुंचते तो बच सकती थी कई जानें

अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि इनमें कई मरीजों की जान बच सकती थी, लेकिन शराब बंदी के डर और पुलिस स्टेशन के बगल में हॉस्पिटल होने के कारण डर से कई लोग हॉस्पिटल तक पहुंचे ही नहीं।उनके शरीर में फैलते जहर को बर्दाश्त नही कर पाये और जब घरेलू ईलाज भी काम नही कर पाया और जब स्थिति आउट आफ कंट्रोल होने लगी तब वे अस्पताल पहुंचे। इसके कारण लोगों को बचा पाना मुश्किल हुआ।

नीतिन की दहशत ऐसी कि कई शवों का बिना पोस्टमार्टम कर दिया अंतिम संस्कार

सच में देखा जाय तो जो सरकारी आकड़े बया कर रहे है उनसे कई ज्यादा है मौत के आंकड़े। लोगों की माने तो मंगलवार रात से ही मौतें होने लगी थी। जो थोड़े भी सामर्थ्य थे वे मरीज को लेकर बड़े अस्पताल चले गए। वे कहीं भी सरकारी रिकॉर्ड में नहीं हैं। वहीं पुलिस की दहशत के कारण कई परिजन शवों का बिना पोस्टमार्टम कराए घर से ही अंतिम संस्कार कर दिए।

किसी ने पारिवारिक कार्यक्रम में तो किसी ने थकान मिटाने के लिए पी थी शराब

अस्पताल में आधा दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस चक्कर लगा रहीं थी। इनमें हर तरह की सुविधा के इंतजाम किए गए थे।
अस्पताल में आधा दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस चक्कर लगा रहीं थी। इनमें हर तरह की सुविधा के इंतजाम किए गए थे।
किसी ने पारिवारिक कार्यक्रम में तो किसी ने थकान मिटाने के लिए पी थी शराब। शराब से मरने वाले सभी लोग शहर के तीन किलोमीटर के दायरे के रहने वाले हैं। ये बात तो तय है कि सभी का शराब एक ही जगह से गया था लेकिन सभी ने एक साथ शराब नहीं पी थी।

नगर परिषद चुनाव में लड़ रहे प्रत्याशियों ने फ्री की पिलाई थी शराब

जैसा कि पूछताछ में मरीजों ने बताया कोई पारिवारिक कार्यक्रम के दौरान शराब पिया था तो कोई दिनभर के काम की थकान मिटाने के लिए शराब पिया था । कई तो ऐसे भी थे जिन्हें नगर परिषद चुनाव में लड़ रहे प्रत्याशियों ने शराब पिलाई थी।

ताज्जुब की बात यह कि का सप्लायर भी शराब का हुआ शिकार हो गई मौत

घटना के बाद पूरे इलाके में गम के साथ आक्रोश का माहौल है। हालांकि कोई भी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। कोई फिलहाल इस बात को स्पष्ट नहीं बता रहे हैं कि जहरीली शराब की ये खेप कहां से आई थी? कहां-कहां इसे पी गई थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की माने तो इस जहरीली शराब को सप्लाई करने वाला सप्लायर भी इसका शिकार हो गया है। शराब पीने से उसकी भी मौत हो गई है, लेकिन बार-बार पूछने के बाद भी कोई उसका नाम बताने के लिए तैयार नहीं हैं।

घटना के बाद पुलिस हुई अलर्ट मूड में ‚कई थानों के पुलिस कर रही है कैंप

घटना के बाद इलाके के लोगों में आक्रोश है। आक्रोशित सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं या किसी प्रकार की हिंसा की घटना को अंजाम न दे इसके लिए पुलिस की तरफ से पूरी तैयारी की गई है। कई थानों की पुलिस को मशरक थाने में अलर्ट मोड पर रखा गया है। इलाकों में लगातार शराब की तलाश में छापेमारी की जा रही है।

मौत के लगातार बढ़ते आंकड़ों के बीच आक्रशित ग्रामीणों ने किया हंगामा ‚इाइवे किया जाम

मौत के लगातार बढ़ते आंकड़ों के बीच आक्रशित ग्रामीणों ने बुधवार को आठ घंटे तक मशरक को बंद रखा। मशरक चैक के पास जमकर हंगामा किया। हाईवे को पूरी तरह जाम कर दिए। सभी प्रशासन और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे थे। इसके कारण पूरे मशरक बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। गुरुवार को भी इस तरह के प्रदर्शन की आशंका जाहिर की गई है।

मौत के सही आंकड़े की जानकारी में जुटा प्रशासन

वहीं जहरीली शराब से मौत के सही आंकड़ों की जानकारी जुटाने में प्रशासन जुट गया है। इसकी जिम्मेदारी आशा दीदी को दी गई है। ये मोहल्लेवार अलग-अलग घरों में दस्तक देंगी और वहां से मौत की संख्या और उसके कारण जानेंगी। गुरुवार सुबह से ही उन्हें ये कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया है। दो दिन के भीतर उन्हें रिपोर्ट सब्मिट करने के लिए कहा गया है। 24 से ज्यादा लोग अलग-अलग प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं। मौत का आंकड़ा अब भी बढ़ सकती हैं।

पुलिस की हिरासत मे दो दर्जनख‚ पूछताछ जारी

अब तक 22 शवों का पोस्टमार्टम हुआ। कई लोगों ने शवों का चोरी चुपके भी अंतिम संस्कार कर दिया है। पुलिस ने अब तक 24 लोगों को हिरासत में लिया है। जिनसे पूछताछ जारी है।

बिहार में यूपी-महाराष्ट्र से ज्यादा शराब

करीब 8 महीने पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट आई थी. इसमें बताया गया था कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से ज्यादा शराब तो लोग बिहार में पी जाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 15 साल से ऊपर के 15.5 फीसदी लोग शराब पीते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में 15.8 फीसदी, जबकि शहरी इलाकों में 14 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं. 2020-21में यह आंकड़ा 28 फीसदी था. यानी शराबबंदी के बाद शराबियों की संख्या केवल 12.5 फीसदी कम हुई।

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