SI की भर्ती के लिए अजय व उसके साथियों ने 20 लाख रुपये दाम तय किया था। इसमें 75 प्रतिशत रकम एडवांस में कुछ खाते तो कुछ नकदी में लेते थे। पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह ने कम से कम 50 करोड़ रुपये वसूले हैं।

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ।

एसआई भर्ती परीक्षा 20-21 में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया।एसआई भर्ती फर्जीवाड़े में तीन आरोपियों रितेश, अजय चौहान और बृजीत सिंह की गिरफ्तारी के साथ ही चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। यह फर्जीवाड़ा गोरखपुर के न्यू सर्वोदय आन लाइन सेंटर पर किया गया है। पुलिस इस मामले में उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के एसपी की तहरीर पर 11 के खिलाफ जासलाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करना, साजिश रचने और आईटी एक्ट का केस दर्ज किया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के साथ ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है।

SP हफीर्जुरहमान की तहरीर पर 11 के विरूध्द दर्ज हुआ FIR

डीसीपी मध्य अपर्णा रजत कौशिक के मुताबिक उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के एसपी हफीजुर रहमान ने तहरीर दी। जिसमें एसआई भर्ती 2020-21 में 20 लाख में बना रहे थे SI फर्जी तरीके से युवकों को नौकरी दिलाने वाले गिरोह के बारे में जानकारी दी। तहरीर के मुताबिक इस मामले में 11 लोगों के नाम सामने आये हैं।

इन सभी ने मिलकर भर्ती बोर्ड की परीक्षा में गलत तरीके से अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए मोटी रकम हासिल की और प्रमाण पत्र लगाये। एसपी हफीजुर रहमान की तहरीर पर पुलिस ने जौनपुर के कान्हापुर सोनहिता के रितेश, प्रतापगढ़ आसपुर देवसरा के अतुल यादव, किला चौराहा आशियाना का अजय चौहान, बांगरकला करौंदी सुल्तानपुर का वीके सिंह उर्फ बृजीत सिंह, बलिया बैरिया के शशि, फरीदाबाद हरियाणा के बृजपाल यादव , गोरखपुर गुलहरिया शिवपुर सहबाजगंज के अनुभव सिंह, न्यू सर्वोदय आन लाइन सेंटर गोरखपुर के एपीओसी आनंद कुमार सिंह, न्यू सर्वोदय आन लाइन सेंटर गोरखपुर सीपी सूरज कुमार मिश्रा, संस्था के आनंद मिश्रा व आईटी सुपरवाइजर जगदीश्वर पांडेय के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

भारी मात्रा में बरामद किये गये कूटरचित दस्तावेज व मुहर

20 लाख में बना रहे थे SI के मामले में डीसीपी मध्य के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने आरोपी जौनपुर के रितेश कुमार, मूलरूप से बलिया मनियर सूर्यपुरा  का अजय चौहान ( आशियाना के किला चौराहे पर रहता है) और बृजीत सिंह उर्फ वीके सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास से पुलिस टीम ने 104 अभ्यर्थियों के हाई स्कूल व इंटरमीडिया के अंक पत्र व प्रमाण पत्र, कूटरचित चरित्र प्रमाण पत्र, 104 ब्लैंक चेक, पांच मोबाइल, 7100 नकदी, कूट रचित दस्तावेज व मुहर बरामद किया है।

2 घंटे की जगह मात्र 27 मिनट 18 सेकेंड में 158 सवालों के दे दिए सही जवाब तो वही 80 सवालों के 13 मिनट तो 40 के महज पांच मिनट में दिए जवाब

परीक्षा में आए 160 सवालों के जवाब दो घंटे में देने थे, लेकिन गोरखपुर के एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र के अभ्यर्थी रितेश कुमार ने महज 27 मिनट 18 सेकेंड में 158 सवालों के सही जवाब दे दिए थे।
यह खुलासा अभ्यर्थी के कैंडीडेट रिस्पॉन्स लॉग (सीआरएल) और कैंडीडेट एग्जाम डे परफॉर्मेंस रिपोर्ट की समीक्षा में हुआ।
उप्र. पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड ने 2020-21 की एसआई भर्ती के लिए 12 नवंबर को हर जिले में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की थी।
इसमें जाली प्रमाण पत्राें पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर गिरोह ने कई अभ्यर्थियों से वसूली की थी। पिछले दिनाें लखनऊ पुलिस लाइन में शारीरिक परीक्षा के दौरान इसका खुलासा होने के बाद कई गिरफ्तारियों की गईं थीं।

….इस तरह फर्जीफिकेशन आया सामने

इसी तरह के एक और गिरोह का खुलासा मंगलवार देर शाम को भर्ती बोर्ड के एसपी हफीजुर रहमान ने किया।
एसपी के मुताबिक, पुलिस लाइन में सात मई 2022 को शारीरिक परीक्षण व अभिलेखों की जांच की जा रही थी, लेकिन रितेश शैक्षणिक दस्तावेजों की फोटो कॉपी लेकर गया था।
मूल प्रति न देने पर उसे बाहर कर दिया गया था। इस पर उसने हाईकोर्ट इलाहाबाद में याचिका दायर की। 16 मई को आदेश आया कि प्रमाणपत्रों की फोटो कॉपी के आधार पर चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाए।

इसके बाद ही गिरोह की करतूतों की परतें उधड़ती चली गई

इसके बाद 13 दिसंबर को भर्ती बोर्ड के सामने आकर रितेश ने नियुक्ति नहीं मिलने की जानकारी दी थी। बताया था कि उसने शैक्षणिक प्रमाण पत्र अजय चौहान के पास जमा कराए हैं।
दस्तावेज लौटाने के एवज में वह 3.5 लाख रुपये मांग रहा है। इसके बाद ही गिरोह की करतूतों की परतें उधड़ती चली गई थीं।
भर्ती बोर्ड के अफसर के अनुसार, पूछताछ में रितेश ने उगला कि परीक्षा पास कराने के लिए गिरोह ने 15 लाख जमा कराने को कहा था। बाकी के पांच लाख नियुक्ति के बाद देने की बात कही थी।

एडवांश में जमा करा लिये गये थे ब्लैंक चेक

शैक्षणिक प्रमाण पत्र, ब्लैंक चेक व अन्य दस्तावेज अजय ने जमा करा लिए थे। कहा था कि नियुक्ति के बाद की रकम मिलने पर दस्तावेज लौटा दिए जाएंगे।

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