सलिल पांडेय

सुबहो-शाम और दिन से रात तक चल रही चरण-वन्दना

अमृत-योजना हुई बिष-योजना पर कोई महादेव बनने को तैयार नही

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चंदौली। नगर निकाय चुनाव में जनपद के एक नगरपालिका व तीन नगर पंचायतों के अध्यक्ष के सिंहासन पर भाजपा सहित अन्य दलों तथा निर्दल चुनाव पड़ने के इच्छुकों की लगभग शतकीय साझेदारी दिख रही है क्योंकि अनेक प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि इन दिनों सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। यह हाल केवल चंदौली जनपद का ही नही है बल्कि प्रायः आम तौर पर सारे नगर निकायों का हो रहा है।

नगर निकाय चुनाव में मुश्किलों का कारण

1-घर से निकलते चरण-स्पर्श का ताबड़तोड़ सिलसिला शुरू हो जाता है।
2-इतनी श्रद्धा से चरण-स्पर्श होता है कि हर प्रबुद्ध व्यक्ति खुद को किसी भगवान का अवतार समझने लगता है।
3-बड़ी मुश्किलों से ‘वत्स, उठो ! अपनी इच्छा बताओ ?’ कहना पड़ता है।
4-बड़े आर्त-भाव से चरण-धर्ता बोलता है कि चुनाव लड़ रहे हैं।
5-पूछने पर कि सभासद के लिए लड़ रहे हो ?’
6-जवाब आता है- ‘नही चयरमैनी के लिए !’
7-साथ ही आरजू-मिन्नत-‘मुझसे योग्य कोई नहीं, मैं इस शहर को सँवार दूँगा । कहते उसी स्टाइल में जिस स्टाइल में युधिष्ठिर ने ‘अश्वत्थामा मारा गया लेकिन हाथी’, क्योंकि मन में रहता है कि करोड़ों खर्च कर चुनाव लडूंगा तो खाक शहर चमकाउंगा ?
8-मन में अपनी, अपने बाल-बच्चों की जिंदगी सँवारने का ‘महान संकल्प’ रहता है।
9-इसी तरह सभासद के लिए भी शहर में भगवान के सहस्र नामों की प्रार्थना की तरह तकरीबन सहस्र (हज़ार) लोग सलाम, बन्दगी, चरण-रज मस्तक पर लागते मिल जाएंगे।
10-सभासद वाले तो इस धरती पर ही नरक उतार चुके हैं।
11-जाड़े के दिनों में प्रातः से देर रात तक घर पर आतंकवादियों की तरह धमक जा रहे हैं।
12-दरवाजा पीटने लगते हैं ।
13-दरवाजा खोलते प्रणाम-आशीर्वाद के बाद सेल्फी लेने लगते हैं।
14-कोई लुंगी-गमछा में है तो भी सेल्फी जब लेने लगते हैं तब बहुतों को संकोच होता है फिर भी नहीं मानते।
15- महिलाएं दरवाजा खोलती हैं तो चुनाव की मजबूरी में ‘रट्टू-तोता’ की तरह अपने से कम उम्र की महिलाओं को ‘माता जी’ सम्बोधित करते हैं।
16-महिलाएं शरमा जाती हैं।

नगर निकाय चुनाव में यह दुर्गति किसी को नहीं दिख रही

1-अमृत योजना में पूरा शहर कब्रगाह बना है और लोग बाग उसका मुआयना करने के लिए गड्ढे में अकारण समाहित हो रहे हैं।
2-खोदी गई सड़कों का पाठ पढ़ा दिया गया है कि टेस्टिंग के बाद सड़क बनेगी।
3-बड़े-बड़े विद्वान तक यही पाठ पढ़ रहे हैं।

होना क्या चाहिए ?

1-गड्ढे में पाइप डालने के बाद जगह-जगह चेम्बर बनाना चाहिए।
2-टेस्टिंग चेम्बर के जरिए ही होता है।
3-ऐसी स्थिति में पाइप डालने के बाद गड्ढे में मिट्टी डाल कर पानी भरा जाए और उसके बाद बालू डाला जाए।
4-बालू के बाद गिट्टी डालकर रोलर चलाया जाए।

किसी प्रत्याशी से मतलब नहीं

1-मिट्टी के चलते फिसल-फिसल कर पब्लिक गिर रही है।
2-टू-ह्वीलर और ई रिक्शा अनगिनत संख्या में गिर गए लेकिन किसी कथित दावेदार प्रत्याशियों का दिल नहीं धड़का।

नगरीय निकाय चुनाव में वोट सबको चाहिए पर चोट तो जनता के खाते में लिखा है!

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