जियरा भी धक-धक करने लगा

गिफ्ट की गाड़ी, गलीचा और गले के जंजीर का क्या होगा कालिया ?

यह कालिया शोले फ़िल्म वाला नहीं बल्कि नम्बर-2 वाले कालिया के लिए है

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चंदौली। नगरीय निकाय चुनाव चकिया में सोने की थाली में सुंदर-सी और हीरे-सी चमकती कुर्सी तथा चारों तरफ व्यंजन-ही व्यंजन देखकर ललचाते कलेजे पर कभी सांप लोटता रहा होगा, पर अब तो बुल्डोजर युग में बुल्डोजर ही लोट ही नहीं बल्कि चढ़कर अरमानों को जमींदोज कर गया है ।

यह तब हुआ जब नगरीय निकाय चुनाव चकिया में आरक्षण को लेकर मामला कानूनी-चौखट पर चला गया। चकिया नगर पंचायत की सीट सामान्य महिला के खाते में सरकार ने जब किया तब महिला वीरांगनाओं की धूम मच गई। नगरपालिका होती क्या चीज है, राजनीति न जानने वाली वीरांगनाएं मैदाने-जंग में कूद ही नहीं पड़ी बल्कि ललकारते दिखीं कि यदि वे अध्यक्ष हुईं तो सबसे पहले पाकिस्तान और चीन को वैसे ही पीस देंगी जैसे सब्जी के लिए मिक्सी और बिजली न रहने पर खल-बट्टे में मसाला और चटनी पीस देती हैं, लेकिन अदालत का तड़का लग गया है और फिलहाल मंगलवार से अब बुधवार, 14/12 तक के लिए ‘बुकिंग बंद’ की स्थिति में थी पर लगातार यह सिलसिला बढता ही जा रहा है।

नगरीय निकाय चुनाव पर 21 दिसम्बर को आना था तो अब 22 दिसम्बर को सुनवाई होने को हो गई है लिहाजा फिर अनेक मातृशक्तियाँ बच्चों के स्वेटर बुनने में लग जायेगी। लेकिन यहाँ पर ऐसा नही है मातृशक्तियां पूरे जोशो खरोश के साथ झुंड में चलती दिखाई दे रही है। यह अपनी दावेदारी साबित करना चाह रही है। जो कभी नही भी गली देखी होगी तो वे भी गलियों को पहले से आती जाती रही है बतला रही है। और यही नही महिलाओं की समस्याओं से रूबरू भी हो रही है। और बतला रही है कि अमुक पार्टी का चेयरमैन बनते ही यहाँ एक चीज काफी पहले की कही हुई याद आ जा रही है जिसे कहे बिना रहे भी नही जा रहा है कि सडक को तो ……………………………गाल की तरह बनवा दॅूंगा।

गिफ्ट का क्या होगा कालिया?

अदालती चक्कर में यदि महिला सीट पर साढ़े साती शनि की कुदृष्टि लग गई तो फिर टिकट के लिए जो गिफ्ट दिए गए, उसका क्या होगा, इसको लेकर फिलहाल ब्लड-प्रेशर हाई और लो दोनों हो रहा है। क्योंकि मजबूत पार्टियों के टिकट के लिए कोई गाड़ी का बयाना दे चुका है तो कोई गलीचा भेंट कर चुका है तो कोई गले का मोटा वाला जंजीर न्योछावर कर चुका है। इसी बीच इन वीरांगनाओं को संभवत: छकाने के ही उद्देश्य से किसी ने बहती नदी में कंकड़ की तरह एक कंकड़ मार दिया कि चकिया सीट महिला अनुसूचित के लिए अब आरक्षित होगा। चूंकि इस वर्ग की कोई महिला सामान्य सीट होने पर वीरांगना का चोला पहनकर नहीं कूदी थी बल्कि जो मैदाने-जंग में कला भाजने लगीं थीं उन्हें घरेलू विवादों में दी जाने वाली उपाधियों से नवाज रही थीं।

अधिसूचना जारी होने पर फिलहाल न्यायालय ने लगाया ग्रहण

अधिकांश ने उम्मीद लगाई थी कि 15 दिसंबर को नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। ऐसी स्थिति में 16 दिसम्बर को सायँ 7:14 बजे से खरमास (खरवास) के पहले इष्टदेवताओं को शीश झुका कर विजयी होने का आशीर्वाद ले लेने का इरादा था। पुरोहितों से सलाह-मशविरा भी शुरू हो गया था पर स्थिति आसमान से गिरे तो खजूर पर लटके जैसी स्थिति हो गई । पहले तो न्यायालय ने जैसे वज्रपात किया‚ फिर तारीख पर तारीख यहाँ तक कि न्यायालय का 21 दिसम्बर को डिसीजन आने वाला था वह भी टल गया 22 दिसम्बर के लिए । अब देखना है न्यायालय का 22 दिसम्बर को क्या रूख होता है।

बहरहाल रस्सा-कस्सी जारी है

जीत के नजदीक पहुँचाने वाली पार्टियों में रस्साकस्सी जारी है। मत चूको ‘चौहान की जगह’ ‘मत चूको महारानी’ का राग सुनाई पड़ रहा है। जिन दलों की स्थिति कोमा जैसी है, उसमें ‘होइए वही जो राम रची राखा…’ का जाप हो रहा है।