खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बृहस्पतिवार को जनहित याचिकाओं पर समय की कमी के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को नियत की है। इसके साथ ही अधिसूचना जारी करने पर लगी रोक भी शुक्रवार तक के लिए बढ़ा दी है।उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया।
बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।
ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता
राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार ने कहा कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।
तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी किये बगैर OBC को कोई आरक्षण नहीं
जनहित याचिकाओं में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दे उठाए गए हैं। याचियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता। राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया। यह भी दलील दी कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने गत 5 दिसंबर को अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया। इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है। साथ ही सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई है।
जनवरी से मार्च तक भाजपा की प्रदेश से लेकर जिलों तक नई टीमों का गठन
निकाय चुनाव टला तो जनवरी से मार्च तक भाजपा की प्रदेश से लेकर जिलों तक नई टीमों का गठन कर दिया जाएगा। वहीं पार्टी निकाय चुनाव को लेकर तैयार रणनीति के अनुसार संगठनात्मक कार्यक्रम भी जारी रखेगी। मुख्यमंत्री आवास पर बुधवार शाम आयोजित पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में निकाय चुनाव, विधान परिषद की शिक्षक स्नातक क्षेत्र चुनाव सहित अन्य मुद्दों पर मंथन किया गया।
ट्रिपल टेस्ट के जरिये आरक्षण निर्धारण का रास्ता अपनाने में लगभग तीन महीने का लगेगा समय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल की मौजूदगी में हुई बैठक में निकाय चुनाव को लेकर उच्च न्यायालय के संभावित निर्णयों पर मंथन किया गया। सूत्रों के मुताबिक उच्च न्यायालय का निर्णय याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया तो सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट के जरिये आरक्षण निर्धारण का रास्ता अपनाएगी। इस कार्रवाई में लगभग तीन महीने का समय लगेगा। ऐसे में पार्टी प्रदेश से लेकर क्षेत्रीय और जिलों की नई टीम गठित करेगी। पार्टी के सात अग्रिम मोर्चों, प्रकोष्ठों और विभागों की भी नई टीम का गठन कर दिया जाएगा। जनवरी में पहले प्रदेश टीम का गठन किया जाएगा उसके बाद क्षेत्रीय और जिलों की टीम बनेगी।
निर्णय सरकार के पक्ष में आया तो जनवरी के अंतिम सप्ताह तक चुनाव संपन्न
इसी के समानांतर निकाय चुनाव की तैयारी के लिए पेज प्रमुख की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण, विभिन्न जातियों के सम्मेलन, लाभार्थी सम्मेलन और अग्रिम मोर्चे के सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। वहीं यदि निर्णय सरकार के पक्ष में आया तो जनवरी के अंतिम सप्ताह तक चुनाव संपन्न करा दिया जाएगा।
25 दिसंबर को होंगे जनप्रतिनिधि सम्मेलन
25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर भाजपा की ओर से जनप्रतिनिधि सम्मेलनोंं का आयोजन किया जाएगा। सभी 1 लाख 70 हजार बूथों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को सुना जाएगा और एप पर उसकी फोटो भी अपलोड की जाएगी। सरकार की ओर से सुशासन दिवस पर जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।