ठंड दिल और दिमाग दोनों पर भारी पड़ रही है। गलन की वजह से नसों में सिकुड़न आने से ब्लड प्रेशर उछाल मार रहा है। नसों में खून का थक्का जमने से हार्ट और ब्रेन अटैक पड़ रहा है। वही डाक्टरों का कहना है कि कड़ाके की सर्दी में हाइपरटेंशन, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से खून की नसों में थक्का बनने से रुकावट हो रही है, जिससे नसें फट रही हैं। यह स्थिति बुजुर्गों में जानलेवा हो रही है।

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

कानपुर । सोमवार को COLD ATTACK के कारण हार्ट अटैक से एक दर्जन रोगियों की मौत हो गई। वहीं, ब्रेन अटैक से बर्रा के निरंजन (62) और गोविंदनगर के कमलेश्वर वर्मा (51) को भी काल में गाल में समा लिया।

COLD ATTACK के बाद इतना भी समय नही मिला कि उन्हे भर्ती करने की नौबत आती

उन्हें एंबुलेंस से हैलट लाया गया था। जहा पर डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया। ये मौतें सिर्फ एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में रिकॉर्ड की गई हैं। इनमें कार्डियोलॉजी में भर्ती छह हृदय रोगियों की मौत हो गई। इसके अलावा सात रोगी ऐसे थे जिन्हें भर्ती करने की नौबत ही नहीं आई।

परिजन जब तक उन्हें इंस्टीट्यूट लेकर पहुंचे मौत हो गई थी। वहीं, निजी अस्पतालों और घरों में भी लोगों की मौतें हुई हैं। इसके अलावा ब्रेन अटैक से दो की मौत हुई है। इन रोगियों को हैलट तक एंबुलेंस ने पहुंचा दिया।वहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी में 785 रोगियों का किया गया उपचार

ब्रॉट डेड आने वाले रोगियों का कंट्रोल रूम में नाम-पता दर्ज नहीं किया जाता है। कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी में 785 रोगियों का उपचार किया गया। इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा का कहना है कि जाड़े में हार्ट अटैक के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। रोगी लापरवाही कतई न करें।

COLD ATTACK के रोगियों के लिए मेडिसिन का वार्ड न्यूरो ने लिया

तबीयत अगर बिगड़े तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक वर्मा ने बताया कि ठंड के साथ ब्रेन अटैक के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो विभाग का वार्ड फुल हो गया है। रोगियों के लिए मेडिसिन का वार्ड न्यूरो ने लिया है। इसमें रोगियों का इलाज किया जा रहा है।

COLD ATTACK के रोगियो को ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने के बाद ब्रेन अटैक पड़ा

ज्यादातर रोगियों को ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने के बाद ब्रेन अटैक पड़ा है। 12 रोगी ऐसे हैं जिन्हें पहले एक बार अटैक पड़ चुका था और वे दवा से ठीक हो गए लेकिन लापरवाही बरतने के कारण दोबारा अटैक पड़ गया। इससे उनके मस्तिष्क की नस में खून का रिसाव हो गया। 

COLD ATTACK के रोगियो को कोरोना के असर से बढ़े हार्ट और ब्रेन अटैक के मामले

न्यूरो साइंसेज विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि कोरोना के असर से हार्ट और ब्रेन अटैक के मामले बढ़ गए हैं। ब्रेन अटैक के 40 फीसदी रोगियों की घर में या अस्पताल लाते वक्त मौत हो जाती है। 60 फीसदी ही अस्पताल तक पहुंच पाते हैं। न्यूरो साइंसेज में इस वक्त ब्रेन अटैक के 45 रोगी इलाज करा रहे हैं। 35 बेड का न्यूरो वार्ड फुल हो गया है।