परंपरागत जल स्रोतों का संवर्धन करना आवश्यक‚

भारत वैश्विक आबादी के 17% भाग का घर है, लेकिन उसके पास विश्व के ताज़े जल संसाधनों का मात्र 4% ही उपलब्ध है। भारत में न केवल जल की कमी है, बल्कि दशकों से भू जल का दोहन  बढ़ता ही जा रहा है। खबरी पोस्ट से विशेष भेटवार्ता में पर्यावरणविद व बृक्ष बंधु व मानद उपाधि प्राप्त राष्ट्र सृजन अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ परशुराम सिहं ने कही। उन्होने भू जल के विषय में बताय कि –

  • 1960 के दशक से ही जब खाद्य सुरक्षा के लिये सरकार ने (Green revolution) को समर्थन देना शुरू किया, कृषि गतिविधियों के लिये भूजल की मांग में वृद्धि आती गई।
  • भूजल प्रदूषण (Groundwater pollution) और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों (शुष्क क्षेत्रों में अनियमित वर्षा सहित) भूजल संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव का निर्माण किया है। भूजल के अतिदोहन दर (Overexploitation rates) ने आजीविका, खाद्य सुरक्षा, जलवायु-प्रेरित प्रवासन और मानव विकास के लिये खतरा उत्पन्न किया है।
  • इस परिदृश्य में यह आवश्यक है कि जलभृतों को फिर से भरने और भूजल के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये एक तंत्र का निर्माण किया जाए।

भारत में भूजल निष्कर्षण की वर्तमान स्थिति

  • भारत भूजल का विश्व का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, जहाँ भूजल देश के सिंचाई संसाधनों में 60% से अधिक का योगदान देता है।
  • जल संसाधन मंत्रालय के वर्ष 2022 के एक आकलन से पता चलता है कि भूजल निकासी का स्तर वर्तमान में वर्ष 2004 के बाद सबसे कम है।
  • भूजल निकासी में कमी बेहतर जल प्रबंधन का संकेत हो सकती है, साथ ही उन्होने बताया कि भू जल प्रबंधन से संबंधित वर्तमान में मोदी सरकार की पहले प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना‚जल शक्ति अभियान कैच द रेन कैंपेन‚ अटल भूजल योजना ये सभी योजनाएं कारगर साबित हो सकती है।

इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं जिसमें स्वाभविक रूप से पानी की आवश्यकता

डॉ सिंह ने कहा कि इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं जिसमें स्वाभविक रूप से पानी की आवश्यकता बहुत रहती हैं। हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों से विशेष अभियान चलाकर उन्हें वॉटर सेक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। पानी की उपलब्धता के आधार पर ही Crop-Diversification हो, प्राकृतिक खेती हो, नैचुरल फार्मिंग खेती को बढ़ावा दिया जाए। कई जगह ऐसा देखने में आया है कि जहां प्राकृतिक खेती होती हैं, नैचुरल फार्मिंग की जा रही है, वहां जल संरक्षण पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिया है।

वही बता दे कि भोपाल में ‘जल विजन 2047’ विषय पर दो दिवसीय प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया था । सम्मेलन के पहले दिन पीएम मोदी ने राज्यों के जल मंत्रियों को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा की वॉटर विजन@2047 अगले 25 वर्षों की यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है। आज हमारा देश जल संरक्षण की दिशा में अभूतपूर्व काम और निवेश कर रहा है। 

क्या है वॉटर विजन 2047 ?

पीएम मोदी के विजन 2047 योजना का महत्वपूर्ण अंग वॉटर विजन 2047 है। और जो कि आजादी के अमृत काल को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 75वें स्‍वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान पीएम मोदी ने विजन2047 की बात कही थी, उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा था की हम सब अभी आजादी का अमृत महोत्सव माना रहे हैं और आनेवाले 25 साल अमृत काल है और इस काल खंड में हमारे संकल्पों की सिद्धि हमें आजादी के 100 वर्ष तक लेकर जाएगी।

पीएम मोदी ने कहा था की “आने वाले 25 साल हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है और जब स्वतंत्र भारत 100 वर्ष का होगा, तो यह दुनिया का तकनीकी और आर्थिक महाशक्ति होगा।” जिसे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से है प्रतिबद्ध

पीएम मोदी ने कहा था की “आने वाले 25 साल हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है और जब स्वतंत्र भारत 100 वर्ष का होगा, तो यह दुनिया का तकनीकी और आर्थिक महाशक्ति होगा।” जिसे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार का उद्देश्य हर वर्ग, हर क्षेत्र के लोगों का विकास करना, समृद्धि की नई ऊंचाइयों को पहुंचाने के लिए अवसर उपलब्ध कराना, गांव और शहरों में सर्वोत्तम सुविधाएं उपलब्ध कराना, नागरिकों के जीवन में सरकार द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त और दुनिया के सबसे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है। इसी उद्देश्य के साथ पीएम मोदी ने  महत्वाकांक्षी विजन इंडिया2047 पहल की शुरुआत की थी। जो सबका साथ सबका विकास और सबके प्रयास से ही संभव है।