केंद्र में उपचार के साथ ही खान-पान की भी मिलती है सुविधा
केन्द्र ने बच्ची को दिया नया जीवन
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
चकिया‚चंदौली।चकिया ब्लाक के विशुपुर गांव की रानी, उम्र 9 माह दो दिन से दस्त से परेशान थी। चिकित्सकों ने बच्ची की हालत कमजोर देखते हुए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी। 29 दिसंबर 2022 को 5.250 किलो वजन के साथ रानी पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती हुई। भर्ती के दौरान के डॉक्टर और नर्स ने रानी का पूरा ख्याल रखा। 14 दिन बाद डिस्चार्ज के समय उसका वजन 6.100 किलो हो गया। परिजन ने कहा कि इस केंद्र ने तो हमारी बच्ची को नया जीवन दिया है।
पोषण पुनर्वास केंद्र की कहानी सुनते है भुक्तभोगियों की जुबानी
ब्लाक शहबगंज भटरौल का शौर्य 1 वर्ष अक्सर रोता रहता था। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चा काफी कमजोर है। साथ ही पोषण पुनर्वास में भर्ती कराने की सलाह दी। 2 जनवरी 2023 को भर्ती के समय शौर्य 6.180 किलो का था। 8 तारीख को उसका वजन 7.130 किलो हो गया। इस दौरान केंद्र में डॉक्टर की नियमित निगरानी परिजन काफी खुश हैं।
रानी और शौर्य तो सिर्फ उदाहरण हैं। जनपद में ऐसे कई मामले हैं जो पोषण पुनर्वास केंद्र से नया जीवन पा रहे हैं।
जनवरी 2022 से अब तक यहां 135 बच्चों को नया जीवन दिया गया
वहीं जिला संयुक्त चिकित्सालय (चकिया) एनआरसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय सिंह गौतम ने बताया कि जिला अस्पताल में एक अप्रैल 2016 से पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया किया जा रहा है। वर्ष जनवरी 2022 से अब तक यहां 135 बच्चों को नया जीवन दिया गया| यहाँ दस बेड की वातानुकूलित व्यवस्था के साथ सेवा प्रदान की जा रही है। केंद्र में कुपोषित बच्चों का 24 घंटे स्टाफ नर्स की देखरेख एवं सफलतापूर्वक इलाज किया जाता हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे स्थिति को देखते हुए रेफर कर एंबुलेंस से सदर भेजा जाता है।
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एनआरसी के नोडल डॉ विनोद कुमार बिन्द ने बताया कि इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिए कुपोषित व अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है| कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं| इन सभी का बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में समुचित इलाज कि सुविधा प्रदान कि जाती है| पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं,उन बच्चों को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान कर स्वस्थ किया जाता है| इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है|
कुपोषित बच्चों का कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके किया जाता है उपचार
एनआरसी केंद्र इंचार्ज/मेडिकल ऑफिसर दिलशाद ने बताया कि यहां पर पहले बच्चों का एपेटाइट टेस्ट (भूख की जांच) की जाती है| फिर वार्ड में भर्ती किया जाता है| इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है|उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है|दूध से बने आहार, खिचड़ी, एफ-75 व एफ-100 यानी प्रारम्भिक दूध आहार, दलिया, हलवा, आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टी विटामिन और दवाइयां आदि दी जाती हैं|