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भ का अर्थ है भक्ति, ग का अर्थ है ज्ञान, व का अर्थ है वैराग्य और त का अर्थ परम तत्व

अनिल दूबे की रिर्पोट

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज

बबुरी ‚चंदौली।स्थानीय क्षेत्र के इमिलिया उतरौत मे चल रही भागवत भागवत कथा मे आचार्य शिवम् द्विवेदी जी महाराज ने बताया कि भागवत शब्द चार अक्षरों से मिलकर बना है। इसमें भ का अर्थ है भक्ति, ग का अर्थ है ज्ञान, व का अर्थ है वैराग्य और त का अर्थ परम तत्व की प्राप्ति है। मतलब जो भक्ति, ज्ञान, वैराग्य को बढ़ाकर परमतत्व की प्राप्ति कराए वही भागवत है। चतुर्थ दिवस की कथा मे महाराज जी ने सभी नर्कों का वर्णन किया तथा भरत की कथा व ध्रुव चरित्र भक्त प्रहलाद की कथा के बाद राम अवतार की कथा के बारे में बताया।

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त्रेतायुग में भगवान धरती पर श्रीराम के रूप में अवतरित हुए पृथ्वी को रावण के त्रास से मुक्त किया

उन्होंने बताया कि त्रेतायुग में भगवान धरती पर श्रीराम के रूप में अवतरित हुए पृथ्वी को रावण के त्राससे मुक्त किया। श्रीराम कि कथा हमे बताती है कि मनुष्य को चाहिए कि वे भगवान राम के जीवन से आदर्शों की सीख लें। उनका अनुसरण करें।
भगवान चाहते तो संकल्प मात्र से अपनी बाधाएं दूर कर सकते थे लेकिन अवतार लेकर मनुष्यों को भगवान ने ये दिखाया कि जीवन की कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए।

कृष्ण जन्म कि कथा सुनाई ‚ भगवान के चरण स्पर्श से यमुना ने भी अपना रास्ता दे दिया

फिर श्री राम के विवाह से लेकर राज्याभिषेक तक कि कथा सुनाई इसके बाद चंद्र वंश की कथा में कृष्ण जन्म कि कथा सुनाई उन्होंने बताया कि द्वापरयुग मे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को रात्री के बारह बजे रोहणी नक्षत्र मे हुआ था। भगवान को कंस से बचाने के लिए बाबा वसुदेव नंद कुमार के घर पर जब ले जा रहे थे तब यमुना के बाढ से बचाने के लिए शेषनांग ने अपने फन से छाया किया। तभी भगवान के चरण स्पर्श से यमुना ने भी अपना रास्ता दे दिया।वही बाबा वासुदेव ने भगवान कृष्ण को नंद के घर छोड़ कर यशोदा के कन्या को लेकर कारागृह मे आ गए।

आने वाले कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि जीवन के चुनौतियों का सामना करना चाहिए

भगवान अपने अवतार के साथ मनुष्य को यह संदेश दिया कि जीवन मे आने वाले कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि जीवन के चुनौतियों का सामना करना चाहिए।और चुनौतियों मे मनोबल को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। कथा के अंत में बधाई व सोहर के गीत के बाद आरती किया गया।
कथा मे मुख्य यजमान अरुण सिंह, अनील सिंह, सुनील सिंह, सतीश सिंह, नरायण सिंह, अजीत सिंह, भवेश गौतम, विश्वेश सिंह, शिवांश सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।