- मृत्यु के समय बाबा साहब के पास थीं 35,000 किताबें
- अम्बेडकर की दूसरी पत्नी डा0शारदा ने 1937 में ली थी MBBS की डिग्री
- डा0सविता के परिवार के आठ सदस्यों में से 6 ने की थी इन्टरकास्ट मैरिेज
- 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब अंबेडकर ने 5 लाख अनुआइयों के साथ ली थी बौध्द धर्म की दीक्षा
अंबेडकर ने ब्राह्मण लड़की से की थी दूसरी शादी:कहते थे- उनकी वजह से 10 साल ज्यादा जिया; 132वीं जयंती पर कुछ अनछुए पहलू ‘देखो डॉक्टर! मेरे साथी और मेरे अपने लोग मुझ पर ये जोर डाल रहे हैं कि शादी कर लूं। लेकिन मेरे लिए एक काबिल साथी ढूंढना बहुत मुश्किल हो रहा है।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
15 अप्रैल 1948 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने डॉ. शारदा कबीर से दूसरी शादी की थी। उस समय डॉ. अम्बेडकर की उमर 57 साल की थी तो डॉ. शारदा की उमर 45 साल थी। यानी डॉ. अम्बेडकर अपनी दूसरी पत्नी से 12 साल बड़े थे।डॉ. भीमराव अम्बेडकर की इस शादी से ब्राह्मण ही नहीं बल्कि दलितों का भी एक बड़ा वर्ग कुपित हो गया था। डॉ. शारदा की देखभाल से अम्बेडकर की सेहत में सुधार हुआ और जिससे वे संविधान लेखन के लिए समय दे सके।इसके बाद डॉ. शारदा का नाम सविता अम्बेडकर हो गया।
जब अम्बेडकर ने डा0शारदा के सामने रखा था शादी का प्रस्ताव
शारदा कबीर कुछ देर चुप रहीं, फिर बोलीं- जी जरूर आपके पास कोई ऐसा होना चाहिए जो आपका ख्याल रख सके। उनका जवाब सुनकर अंबेडकर ने कहा कि मैं आपके साथ ही अपने लिए सही व्यक्ति की खोज शुरू करता हूं।
इसके बाद अंबेडकर मुंबई से दिल्ली के लिए निकल गए। कुछ दिन बाद शारदा कबीर के पास अंबेडकर की एक चिट्ठी आई। लिखा था – ‘मेरी और तुम्हारी आयु के अंतर और मेरे खराब स्वास्थ्य के कारण अगर तुम मेरे प्रोपजल को अस्वीकार भी करती हो तो मैं अपमानित महसूस नहीं करूंगा। इस पर सोचना और मुझे बताना।’ एक पूरे दिन और पूरी रात सोचने के बाद शारदा कबीर ने ‘हां’ में जवाब दिया।
15 अप्रैल 1948 को अंबेडकर ने शारदा के साथ दूसरी शादी कर ली। शादी के बाद शारदा कबीर को लोग सविता अंबेडकर के नाम से जानने लगे
इस तरह 15 अप्रैल 1948 को अंबेडकर ने शारदा के साथ दूसरी शादी कर ली। शादी के बाद शारदा कबीर को लोग सविता अंबेडकर के नाम से जानने लगे। इस वाकये का जिक्र सविता अंबेडकर ने अपनी आत्मकथा ‘डॉ. अंबेडकरच्या सहवासत’ में किया है। इसका अंग्रेजी अनुवाद डॉ. नदीम खान ने ‘बाबा साहेब – माय लाइफ विद डॉ. अंबेडकर’ नाम से किया है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू जिले में एक महार परिवार में हुआ था। महार जाति को उस समय अछूत समझा जाता था। बाबा साहब के पिता सेना में थे और नौकरी के सिलसिले में यहां रहा करते थे। उनके पुरखे महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबाडावे गांव से थे।
1906 में भीमराव अंबेडकर की पहली शादी रमाबाई से हुई। रमाबाई ने उनकी पढ़ाई में बहुत मदद की। दोनों के 5 बच्चे थे, इनमें से केवल यशवंत अंबेडकर जीवित रहे। 27 मई 1935 को लंबी बीमारी के बाद रमाबाई की मौत हो गई।
अम्बेडकर की दूसरी पत्नी डा0शारदा ने 1937 में ली थी MBBS की डिग्री
27 जनवरी 1909 को जन्मीं शारदा (भीमराव से शादी के बाद सविता अंबेडकर बनीं) एक मध्यमवर्गीय सारस्वत ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता इंडियन मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार थे। शारदा ने 1937 में मुंबई से MBBS की डिग्री हासिल की। उस समय किसी लड़की का डॉक्टर बनना अचरज की बात थी।
डा0सविता के परिवार के आठ सदस्यों में से 6 ने की थी इन्टरकास्ट मैरिेज
डॉ. शारदा अपनी आत्मकथा में लिखती हैं कि मेरा परिवार पढ़ा-लिखा और आधुनिक था। उनके 8 में से 6 भाई-बहनों ने अपनी जाति के बाहर शादी की, लेकिन उनके माता-पिता ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
MBBS के बाद उन्होंने फर्स्ट क्लास मेडिकल ऑफिसर के तौर पर गुजरात के अस्पताल में काम किया। यहां तबीयत बिगड़ने के चलते वे वापस मुंबई आ गईं। वे आगे MD भी करना चाहती थीं, लेकिन खराब तबीयत के चलते नहीं कर पाईं। इसके बाद वे डॉ. माधवराव मालवंकर के यहां बतौर जूनियर डॉक्टर काम करने लगीं।
डा अम्बेडकर ने गाँधी जी से मिलकर कहा था कांग्रेस अपने काम के लिए गंभीर नहीं है। अगर वो गंभीर होती तो कांग्रेस का सदस्य बनने के लिए खादी पहनने की अनिवार्यता के साथ छुआछूत नहीं मानने की शर्त भी रखती। किसी भी ऐसे इंसान को कांग्रेस का सदस्य बनने की इजाजत नहीं होती जो अपने घर में कम से कम किसी एक अछूत को काम पर न रखे। किसी अछूत बच्चे को पढ़ाने की जिम्मेदारी न ले।
14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया। उनकी पत्नी सविता अंबेडकर और 5,00,000 अनुयायियों ने ली थी बौध्द धर्मं की दीक्षा
1947 के शुरुआती दिनों में शारदा और भीमराव की पहली मुलाकात हुई थी। डॉ. सविता लिखती हैं कि जब बाबा साहब उनसे मिले तो वे कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उनका उठना-बैठना तक मुश्किल था। डॉ. मालवंकर के यहां इलाज के दौरान दोनों मिलते रहे। इस दौरान उनके बीच चिट्ठियों में बातचीत होती थी।
14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया। उनकी पत्नी सविता अंबेडकर और 5,00,000 अनुयायियों ने भी उनके साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। इस बारे में डॉ. सविता अपनी आत्मकथा में बताती हैं कि ‘मैं विनम्रता से ये दर्ज करना चाहती हूं कि यदि मैंने उन्हें नागपुर की धर्म परिवर्तन सभा के लिए प्रोत्साहित न किया होता तो वह ऐतिहासिक घटना कभी नहीं होती।’
डा0अम्बेडकर की मौत के समय उनके लाइबे्री में थी 35 हजार पुस्तके
अंबेडकर अपने जमाने में भारत के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से बीए किया था। इसके बाद उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से पीएचडी की डिग्री ली। उस समय अंबेडकर के पास भारत में किताबों का सबसे बेहतरीन संग्रह था। मशहूर किताब इनसाइड एशिया के लेखक जॉन गुंथेर ने लिखा है कि, ‘1938 में मेरी राजगृह में अंबेडकर से मुलाकात हुई तो उनके पास 8,000 किताबें थीं, उनकी मृत्यु होने तक ये संख्या 35,000 हो चुकी थी।’
किताबो को उधार नही देते ‚हाँ लाइबेरी में पढने के लिए आजादी थी
बाबा साहब अपनी किताबें किसी को भी पढ़ने के लिए उधार नहीं देते थे। वे कहते थे कि जिसे भी किताब पढ़नी है, वो उनके पुस्तकालय में आकर पढ़े। वे पूरी रात किताब पढ़ते रहते और सुबह सोने जाते थे। केवल 2 घंटे सोने के बाद वे सुबह में कसरत करते। इसके बाद नहाकर नाश्ता करते और फिर अपनी कार में कोर्ट जाते थे। इस दौरान वे उन किताबों को पलट रहे होते थे, जो उस दिन उनके पास डाक से आई होती थीं।