World Liver Day 2023: World Liver Day is focused on making everyone adopt a healthy lifestyle and spreading more awareness about liver diseases
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
हेल्थ डेस्क
फैटी लिवर। इन दिनों यह कॉमन प्रॉब्लम है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग सभी इससे परेशान है। लिवर का हेल्दी रहना कितना जरूरी है यह समझाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे मनाया जाता है। इस बार की थीम है कि फैटी लिवर कभी भी किसी को हो सकता है। इसलिए सचेत रहें।ऐसे में जब हम ज्यादा चर्बी वाला खाना खाते हैं तो एक्स्ट्रा चर्बी लिवर में जमा होती है। इस वजह से फैटी लिवर की प्रॉब्लम होती है।
लिवर का क्या काम है? जाने सारी जानकारियों को एक साथ एक लेख में
लिवर पेट के ऊपर साइड में इंसान की पसलियों के अंदर होता है। यह शरीर में कई तरह से काम करता है। जैसे- दवाई और टॉक्सिक पदार्थों को तोड़ना, बाइल बनाना ताकि फैट को बर्न किया जा सके।
इसके अलावा लिवर का काम विटामिन्स और ग्लूकोज को स्टोर कर ऐसे प्रोटीन को बनाना है जो ब्लड क्लॉटिंग के लिए जरूरी माने जाते हैं।
लिवर की खराबी से हो सकती है ये बीमारियां
- हेपेटाइटिस ए
- हेपेटाइटिस बी
- लिवर सिरोसिस
- लिवर कैंसर
- नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)
लिवर डैमेज होने की अलग-अलग स्टेज
फैटी लिवर: जब लिवर पर चर्बी यानी फैट जमती है तो उसे फैटी लिवर कहते हैं।
जब हम खाना खाते हैं तब उसके फैट्स पचने के बाद खून से लिवर में जाकर प्रोसेस होते हैं। ऐसे में जब हम ज्यादा चर्बी वाला खाना खाते हैं तो एक्स्ट्रा चर्बी लिवर में जमा होती है। इस वजह से फैटी लिवर की प्रॉब्लम होती है।
फाइब्रोसिस: लिवर डैमेज की पहली स्टेज को लिवर फाइब्रोसिस कहा जाता है। लिवर फाइब्रोसिस में लिवर के हेल्दी टिश्यूज पर घाव बन जाते हैं।
इस स्थिति में लिवर सही से काम नहीं करता है। घायल हुए टिश्यूज, लिवर के अंदर ब्लड फ्लो को रोकते हैं। जिसकी वजह से लिवर के हेल्दी सेल्स खराब होने लगते हैं।
लिवर सिरोसिस: फाइब्रोसिस के बाद अगर लिवर और ज्यादा डैमेज हो गया है, तो इस स्थिति को लिवर सिरोसिस कहा जाता है।
इसमें मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत आ सकती है। हालांकि, लाइफस्टाइल में चेंजेज और मेडिकल ट्रीटमेंट से लिवर फाइब्रोसिस को लिवर सिरोसिस तक पहुंचने से बचाया जा सकता है।
लिवर कैंसर: लिवर कैंसर को हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा या हेपेटिक कैंसर भी कहा जाता है। जब यह कैंसर लिवर में डेवेलप होता है, तब वो वहां के सेल्स को खत्म करने लगता है। लिवर अपना काम सही तरह से नहीं कर पाता है।
फैटी लिवर के क्या है कारण
तेल मसाला और ऑयली चीजें खाने, वजन ज्यादा होने या ज्यादा शराब पीने वालों को फैटी लिवर की प्रॉब्लम आमतौर से होती है। इस कंडीशन में लिवर बढ़ता या सिकुड़ता है। इस वजह से यह ठीक से काम नहीं कर पाता।
फैटी लिवर डिजीज दो तरह की होती है
- नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर (NAFLD)
- अल्कोहोलिक फैटी लिवर (AFLD)
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर का खतरा शराब नहीं या फिर कम पीने वालों को होता है।
अल्कोहोलिक फैटी लिवर। शराब पीने के बाद लिवर में प्रोसेस होता है।
इसे डिटॉक्सिफाई करने के लिए लिवर की कुछ लिमिट है। अगर उससे ज्यादा शराब कोई पीता है तो लिवर खराब होने लगता है। शराब के साथ तला-भूना खाने से फैटी लिवर की प्रॉब्लम बढ़ती है।
ये दोनों सिचुएशन जानलेवा होती हैं। इसलिए समय रहते सही इलाज कराना बहुत जरूरी है।
फैटी लिवर के क्या हैं लक्षण ?
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर वाले अधिकांश लोगों में शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए उन्हें इसकी गंभीरता का अहसास नहीं होता।
धीरे-धीेरे समस्या गंभीर होने लगती है, कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे-
- थकान
- भारीपन का अनुभव
- पेट में दर्द या सूजन
- असामान्य पेट या आंतों के संबंधित समस्याएं
- पेट में गैस या बदहजमी
- उल्टी या उल्टी की इच्छा
- चक्कर आना या भ्रम
- खून की कमी
- त्वचा में खुजली या सूखापन
- मसूड़ों के संबंधित समस्याएं, जैसे खून का बहना, सूजन या दर्द
फैटी लिवर की बीमारी को लाइफस्टाइल में बदलाव कर किया जा सकता है रिवर्स ?
हां, ऐसा संभव है। अगर स्टेज वन में है तब लाइफस्टाइल में बदलाव कर 30% से 40% तक कंट्रोल किया जा सकता है।
डायबिटीज अगर किसी को है उसको कंट्रोल करना जरूरी है। ऐसे लोगों का hba1c करीब 6 के आसपास होना चाहिए।
अगर किसी को माेटापा है या कोई ओवरवेट है तो अपना वजन कम करें। इनका BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स 28 से कम होना चाहिए।
इसी तरह लिपिड या कोलेस्ट्रॉल की खराबी है तो उसे एक्सरसाइज, डाइट और दवाई से ठीक करना होगा ।
वहीं अगर फैटी लिवर डिजीज फाइबरोसिस या सिरोसिस के स्टेज पर पहुंच गई है, सूजन या पैच हो गए हैं तब दवाइयाें से ही ठीक करना सही है।
इसके लिए एक शर्त भी है। जो लोग अपनी जिंदगी की कीमत समझते हैं, उसे सीरियस लेते हैं वही ऐसा कर पाएंगे। इसके लिए लाइफस्टाइल में बदलाव लाना जरूरी है।
हम क्या और किस तरह का बदलाव कर सकते हैं?
- प्रोसेस्ड फूड खाना बंद करें।
- ऑयली फूड न लें।
- शराब काे लत न बनाएं।
- मीठी चीजें कम खाएं।
- फाइबर वाली चीजें ही खाएं।
- बादी चीजें कम खाएं। जैसे-बैंगन, टमाटर, आलू, फूलगोभी।
- नॉनवेज खाना है तो मछली खाएं।
- स्टेरॉयड क्रीम और इंजेक्शन यूज नहीं करें।
- ज्यादा पेनकिलर जैसे कॉम्बिफ्लेम, ब्रूफेन, वॉवरेन खाने से बचें।
- सबसे जरूरी मॉडरेट एक्सरसाइज रेगुलर करें।
मॉडरेट एक्सरसाइज ? इसमें लिवर को हेल्दी रखने के लिए क्या कर सकते हैं?
आमतौर पर एक्सरसाइज तीन तरह से की जाती है…
- माइल्ड: एक्सरसाइज करते समय बातचीत कर सकते हैं।
- मॉडरेट: एक्सरसाइज के दौरान कम बात करनी चाहिए।
- सीवियर: इस एक्सरसाइज में सांस तेज चलती है। इस वजह से बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए।
लिवर को हेल्दी रखने के लिए मॉडरेट एक्सरसाइज के तौर पर कार्डियो जरूरी है। कार्डियो करने के लिए आपके पास कई ऑप्शन हैं। जैसे-
- तेज भागें-चलें
- स्विमिंग करें
- साइकलिंग भी कर सकते हैं।
यह सब करने से हार्ट की भी एक्सरसाइज होती है। उससे लिवर के मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है। पूरी बाॅडी का मेटाबॉलिज्म में इम्प्रूव हो जाता है।
रोज लगभग कितनी एक्सरसाइज करना हेल्थ के लिए अच्छा होता है?
यंगस्टर्स को 240 से 300 मिनट और बुजुर्ग को 150 से 200 मिनट हर हफ्ते एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि आप एक दिल ज्यादा एक्सरसाइज कर लें और बाकी दिन कम।
हर दिन थोड़ी-थोड़ी एक्सरसाइज करते रहना चाहिए। डेली कम से कम 22-25 मिनट एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी होता है। इससे लिवर के साथ शरीर के दूसरे बॉडी पार्ट जैसे किडनी, हार्ट भी हेल्दी रहेगा।
फैटी लिवर को कंट्रोल रखने के लिए क्या करना चाहिए
लिवर ज्यादा डैमेज नहीं होने पर ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत नहीं पड़ती है।
सिचुएशन जब कंट्रोल से बाहर हो जाए तभी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।
फैटी लीवर को कम करने के लिए वेट कंट्रोल रखना चाहिए।
ऑयली चीजें खाने की बजाय फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाना फायदेमंद होगा। एक्सरसाइज करके भी बढ़े हुए वेट को कंट्रोल किया जा सकता है।