PM मोदी सिविल सेवा दिवस के अवसर पर ’21 अप्रैल, 2023′ को सुबह 11 बजे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सिविल सेवकों को संबोधित करेंगे। पीएम ने राष्ट्र निर्माण में सिविल सेवकों के योगदान की लगातार सराहना की है साथ ही उन्हें और भी अधिक मेहनत करने के लिए उत्साहित किया है।
‚खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क नई दिल्ली।
यूपी के दो युवा आईएएस अधिकारी अपने काम से पूरे देश में छाप छोड़ने में रहे हैं सफल जिनका होगा आज मोदी के हाथो सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को नई दिल्ली में सिविल सर्विस डे पर लोक प्रशासन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले देश के अन्य चुनिंदा आईएएस अधिकारियों के साथ रामपुर के डीएम रविंद्र कुमार मंदर और चित्रकूट के डीएम अभिषेक आनंद को पीएम अवार्ड से सम्मानित करेंगे। यूपी लगातार इस सम्मान को हासिल करने वाला राज्य बना हुआ है।ऐसे में माना जा रहा है कि यह कार्यक्रम देश भर के सिविल सेवकों को उत्साहित और प्रेरित करने में पीएम मोदी के लिए एक उपयुक्त मंच के रूप में काम करेगा, ताकि वे विशेष रूप से अमृत काल के इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान समान उत्साह के साथ देश की सेवा कर सकें।
वर्ष 2013 बैच के आईएएस अधिकारी रविंद्र मंदर रामपुर के जिलाधिकारी
वर्ष 2013 बैच के आईएएस अधिकारी रविंद्र मंदर मार्च, 2021 से रामपुर के जिलाधिकारी हैं। रविंद्र ने पीएम के सुपोषित भारत विजन से प्रेरणा लेकर जिले में नवाचार की पहल करते हुए संवर्धन-सुपोषित रामपुर नाम से अभियान चलाया। इसके अंतर्गत स्थानीय कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) के साथ समन्वय कर बच्चों व महिलाओं के लिए पौष्टिक तत्वों से युक्त आहार पोषण किट तैयार कराकर वितरण कराया गया। पिछले दो वर्ष में इस अभियान के तहत 5000 से अधिक बच्चों, खून की कमी वाली गर्भवती व धात्री महिलाओं और कुपोषित किशोरियों को सुपोषित किया गया। रविंद्र की इस पहल के इनोवेशन-डिस्ट्रिक्ट श्रेणी में पुरस्कृत किया जाएगा। इस पहल से पोषण किट के जरिए जहां किसानों की आय में वृद्धि हुई, वहीं लोगों को कुपोषण के दंश से छुटकारा दिलाने में कामयाबी मिली।
2014 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक आनंद जो चित्रकूट में है कलेक्टर
इसी तरह वर्ष 2014 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक आनंद प्रदेश के आठ सबसे पिछड़े जिलों (आकाक्षांत्मक) में शामिल चित्रकूट में जुलाई 2022 से कलेक्टर हैं। अभिषेक ने बालिकाओं, विशेष जरूरतों वाले बच्चों और स्कूली बच्चों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की योजना पर काम किया। विद्यालयों के भौतिक बुनियादी ढांचे में बदलाव किया गया। इसके लिए ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला खनिज निधि, नीति आयोग, सांसदों/विधायकों और सीएसआर से लगभग 86.70 करोड़ रुपये जुटाए गए।
इस राशि से 320 स्कूल बाउंड्री, 308 लड़कों के शौचालय, 340 लड़कियों के शौचालय, 165 किचन शेड, एक साथ कई प्वाइंट वाले 659 हैंडवाशिंग यूनिट, 690 परिसरों का विद्युतीकरण और 1500 से ज्यादा कक्षाओं के फर्श पर टाइल्स लगाए गए। इस पहल ने रूर्बन मिशन, नीति आयोग, सीएसआर और जिला खनिज निधि के माध्यम से 280 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं की व्यवस्था कर दी गई है। विभिन्न फंडों के माध्यम से अगले छह माह में 550 और स्मार्ट क्लासरूम बनाने की तैयारी है। अभिषेक ”समग्र शिक्षा के माध्यम से एक समान और समावेशी कक्षा के वातावरण के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा” देने की श्रेणी में पुरस्कृत किए जाएंगे।
अभिषेक की पहल के परिणाम
- नामांकित विद्यार्थियों की संख्या में लगभग 10% की वृद्धि हुई।
- आउट ऑफ स्कूल 2,758 बच्चों की पहचान कर उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है।
- सरकारी स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले 1704 बच्चे पंजीकृत।
- स्मार्ट क्लासरूम वाले स्कूलों में उपस्थिति औसतन 70% से बढ़कर अब 90% से अधिक।
- विद्यार्थियों में वैज्ञानिक व सामाजिक अवधारणाओं की बेहतर समझ और पाठ्येतर गतिविधियों में भागीदारी बढ़ी।
- सरकारी स्कूलों व वहां की सुविधाओं के प्रति बच्चों के माता-पिता, जनप्रतिनिधियों व जनता के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव।
- उत्तर प्रदेश स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार, 2022 जीतने वाले 9 में से 3 विद्यालय चित्रकूट के हैं।
- जिले के 90% से अधिक स्कूल अब राज्य शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित भौतिक बुनियादी ढांचे के मापदंडों में संतृप्त हैं।
रविंद्र की पहल के परिणाम
- वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के मद्देनजर रामपुर में खुली प्रदेश की पहली मिलेट्स शॉप।
- रामपुर कृषक उत्पादक संगठन को प्रोत्साहन। इस एफपीओ ने सोलर कोल्ड स्टोरेज, साइलो की स्थापना, कुपोषण दूर करने के लिए पोषण किट का निर्माण व वितरण किया।
- मिशन मुस्कान के तहत चाइल्ड केयर एंड प्रोटेक्शन फंड स्थापित किया। इसमें स्वैच्छिक दान प्राप्त किया जाता है। इस पहल से अब तक 54 लाभार्थियों का इलाज, 857 का पोषण प्रबंधन और दिव्यांगता से ग्रस्त 47 बच्चों की सर्जरी कराई गई।
पहली बार कब मनाया गया था ‘सिविल सेवा दिवस’ ?
· भारत सरकार हर साल 21 अप्रैल को ‘सिविल सेवा दिवस’ के रूप में मनाती है। यह सिविल सेवकों के लिए खुद को नागरिकों के लिए समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा और कार्य में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक अवसर है। इस तरह का पहला समारोह ’21 अप्रैल 2006′ को विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था।
‘सिविल सेवा दिवस’ के लिए क्यों चुनी गई ये तारीख ?
· ये तारीख चुने जाने का कारण यह है कि 21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मेटकाफ हाउस में स्वतंत्र भारत में सिविल सेवकों के पहले बैच को संबोधित किया था। ज्ञात हो, उन्होंने अपने प्रेरक भाषण में सिविल सेवकों को ‘भारत का स्टील फ्रेम’ कहा था।
· इसी दिन राष्ट्रीय राजधानी में, सिविल सेवकों की उत्कृष्टता के लिए उन्हें भारत के प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है। पुरस्कार स्वरूप इन्हें एक पदक, स्क्रॉल और 100,000 रुपये की नकद राशि दी जाती है। वहीं एक ग्रुप के मामले में कुल पुरस्कार राशि 500,000 रुपये तय किए गए जिसमें प्रति व्यक्ति अधिकतम 100,000 रुपये है। एक संगठन के लिए, नकद राशि 500,000 रुपये तक सीमित है।
कब बदला गया का नाम ?
· ईस्ट इंडिया कंपनी के अंत के बाद, 1886 में CSS का नाम बदलकर इम्पीरियल सिविल सर्विस कर दिया गया। यह ब्रिटिश क्राउन के अधीन था। बाद में, उसी वर्ष एचिसन आयोग द्वारा यह घोषणा की गई कि भारतीयों को भी सार्वजनिक सेवाओं में रोजगार दिया जाना चाहिए। इस प्रकार, इंपीरियल सिविल सर्विस को तब भारतीय सिविल सेवा का नाम दिया गया था। भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन वर्ष 1922 में किया गया था। 1 अक्टूबर 1926 को सर रॉस बार्कर की अध्यक्षता में भारत के लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। 1924 में अखिल भारतीय सेवाओं का नाम बदलकर सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज कर दिया गया। चूंकि 1939 के बाद यूरोपीय लोगों की उपलब्धता कम हो गई, इसलिए सेवा में भारतीयों की संख्या में वृद्धि हुई। 1947 के बाद, भारतीय सिविल सेवा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) बन गई। भारत में IAS अधिकारी बनने वाले पहले व्यक्ति सत्येंद्रनाथ टैगोर थे।
वर्ष 2020 ‚21 में चंदौली ‚वाराणसी‚सिध्दार्थनगर‚ प्रयागराज के जिलाधिकारी भी हुए थे पुरस्कृत
- वर्ष 2019 में माघ मेले के सफल आयोजन के लिए प्रयागराज के तत्कालीन मंडलायुक्त आशीष गोयल और मेलाधिकारी विजय किरण आनंद व उनकी टीम।
- चंदौली में ओडीओपी योजना के तहत रसायनमुक्त काले चावल के उत्पादन व निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए तत्कालीन डीएम नवनीत सिंह चहल।
- वर्ष 2021 में ये हुए पुरस्कृत
- वाराणसी के तत्कालीन डीएम कौशलराज शर्मा (अब मंडलायुक्त) पीएम स्वनिधि योजना में डिजिटल पेमेंट व गुड गवर्नेंस श्रेणी में।
- सिद्धार्थनगर के तत्कालीन डीएम दीपक मीणा (डीएम मेरठ) को ओडीओपी के अंतर्गत काला नमक चावल के उत्पादन को प्रोत्साहन के लिए।