jpeg-optimizer_WhatsApp-Image-2024-04-07-at-13.55.52-1
WhatsApp Image 2024-07-26 at 15.20.47 (1)
WhatsApp Image 2025-01-23 at 00.23.00
IMG-20250121-WA0018
Iqra model school
WhatsApp Image 2025-01-24 at 20.30.30
WhatsApp Image 2025-03-04 at 14.19.24
previous arrow
next arrow

कांग्रेस नेता अवधेश राय हत्याकांड में आज यानी सोमवार को वाराणसी MP/MLA कोर्ट फैसला सुनाएगा। इस मामले में माफिया मुख्तार अंसारी आरोपी है। 31 साल बाद इस केस की सुनवाई पूरी हुई है।

मुख्तार अंसारी बांदा जेल से होंगे वर्चुअली पेश जबकि केस के अन्य आरोपी कोर्ट में फिजिकली

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी । फैसले से पहले पुलिस और प्रशासन ने होमवर्क पूरा कर लिया है। मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से वर्चुअली पेश किया जाएगा। जबकि केस के अन्य आरोपी कोर्ट में फिजिकली पेश होंगे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है। मुख्तार के करीबियों की सूची बनाकर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

3 अगस्त, 1991 को लहुराबीर में अवधेश राय की गोली मारकर की गई थी हत्या

वाराणसी के लहुराबीर क्षेत्र में 3 अगस्त, 1991 को अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अजय राय के अनुसार, हथियारबंद हमलावरों ने उनके भाई अवधेश राय को गोली मार दी थी। घायल को कबीर चौरा अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

घटना को लेकर मृतक के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, राकेश न्यायिक समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में इसकी जांच CBCID को सौंप दी गई थी।

वारदात को अंजाम देते समय भी विधायक नही‚फैसले के समय भी नही

31 साल पुराने इस मामले में अभियोजन और गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। मुख्तार अंसारी ने जब वारदात को अंजाम दिया था, उस दौरान वह विधायक नहीं था। जब केस में फैसला आ रहा, तब भी वह विधायक नहीं है।
मुख्तार के वकील की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर हमले की आशंका जताई गई है। उन्होंने बताया कि उन पर जेल में हमला हो सकता है। कई लोग इसकी कोशिश में लगे हैं। मुख्तार ने अवधेश राय हत्याकांड के पहले बैरक में कुछ लोगों के बिना आमद दर्ज किए घुसने पर सवाल उठाए हैं।

मुख्तार अंसारी की इन -इन केशों में हो चुकी है सजा

जेलर को धमकाने में 7 साल का कारावास
लखनऊ में मुख्तार के खिलाफ 7 केस दर्ज हैं। जेलर एसके अवस्थी को धमकाने में आलमबाग थाने में दर्ज केस में मुख्तार को 22 सितंबर, 2022 को 7 साल की सजा हुई।

23 साल पुराने केस में 5 साल की सजा
मुख्तार अंसारी को 23 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट के मामले में 23 सितंबर, 2022 को दूसरी सजा सुनाई गई। मुख्तार के खिलाफ 1999 में हजरतगंज थाने में गैंगस्टर एक्ट में मामला दर्ज कराया गया था।

मुख्तार को तीसरी सजा 10 साल की
15 दिसंबर, 2022 को मुख्तार को कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय मर्डर और एडिशनल एसपी पर हमले समेत कुल 5 मामलों में 10 साल की सजा हुई।

गाजीपुर में 2 गैंगस्टर केस में सजा
गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2023 को मुख्तार अंसारी को दो गैंगस्टर केस में सजा सुनाई। इसमें पहला केस 1996 में दर्ज हुआ था। जिसमें मुख्तार और उसके सह आरोपी भीम सिंह को 10-10 साल का कारावास और पांच लाख जुर्माना लगाया था।

सहआरोपी अफजाल के साथ के केश में भी 10 साल की सजा

दूसरी बार 2007 के गैंगस्टर केस में मुख्तार के साथ सांसद भाई अफजाल अंसारी सह आरोपी थे। इसमें मुख्तार को फिर 10 साल की सजा और 5 लाख जुर्माना लगाया गया। जबकि अफजाल अंसारी को जज ने 4 साल ही सजा सुनाई।

प्रदेश में बिना ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के जजमेंट का पहला केसअधिवक्ता श्री कान्त त्रिपाठी
मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया कि उनके कई साल की वकालत में यह पहला केस है, जिसमें ओरिजिनल डॉक्यूमेंट पेश नहीं किए गए। यह भी नजीर बनेगा कि बिना ओरिजिनल कॉपी के केस का फैसला आ रहा है।

2020 से अब तक नियमित सुनवाई का आदेश आने के बावजूद डॉक्यूमेंट ADJ कोर्ट प्रयागराज से पेश नहीं किया गया। मुख्तार के खिलाफ इस केस के ट्रायल में 100 से अधिक सुनवाई में इसका मुद्दा उठाया, डॉक्यूमेंट की कॉपी ही कोर्ट में रखी गई।

सिल्वर जुबली का मुख्तार का सियासी सफर
मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर साल 1996 में पहली बार मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गया। 2012 में कौमी एकता दल का गठन किया और चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

माफिया डान मुख्तार के खिलाफ दर्ज हैं 61 मुकदमे
मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के अलग-अलग थानों में 61 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 8 मुकदमे ऐसे हैं, जो कि जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए थे। ज्यादातर मामले हत्या से संबंधित हैं। सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में दर्ज हैं। बता दें मऊ में दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्टूबर, 2005 को गाजीपुर कोर्ट में सरेंडर किया था। इसके बाद से जेल में बंद है।