सलिल पांडेय
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
★राह चलते पुलिस देख डर जाते हैं लोग
★’परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्’ स्लोगन क्यों हटाया गया था?
★मगर सच यह भी है कि पुलिस न रहे तो जीना मुश्किल हो जाए
★ पत्रकारों का इंकलाब : कलम से हो रहा विस्फोट
★कानपुर में थानेदार एवं उसके मातहतों द्वारा राह चलते एक सर्राफा व्यवसायी की खड़ी दोपहरिया चांदी लूट कर अपनी चांदी बनाने की घटना से यूपी पुलिस की किरकिरी हुई है।
★फिल्मी गीत है कि ‘भरतपुर लूट गयो ओ मेरी अम्मा’ की तर्ज पर अब गीत जो बनेगा, उसका मुखड़ा ‘कानुपर लूट गयो ओ मेरे बाबा, सरे राह खुल रहा पुलिसिया ढाबा’। इस फिल्मी गीत में भी सिपाही ही दर्शाए गए हैं।
★गीत में ‘बाबा’ के अर्थ की व्याख्या की जरूरत नहीं।
गीता का श्लोक क्यों हटा?
★श्रीमद्भगवतगीता में श्रीकृष्ण ने ‘परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्’ श्लोक का ध्येय पुलिस का होता रहा है।
★लेकिन इसे बाद इस श्लोक के हटा देने के पीछे जनश्रुतियों में निम्नांकित घटना का उल्लेख होता है।
★घटना यह है कि किसी बड़े पुलिस अधिकारी की गाड़ी से सड़क दुर्घटना होती है और जनता ने उक्त पुलिस अधिकारी का पीछा किया तो वे घबराए हुए हाई-वे के थाने में गाड़ी सहित घुस गए।
★वे वर्दी में नहीं थे। परिवार साथ था । थाने में घुसने पर घबराए पुलिस अधिकारी कुछ बोल पाते तभी पहरा वाले ने उन्हें बेइज्जत करना शुरु किया। दूर से देख रहे थानेदार ने भी गालियां दी।
★थाने तक जनता आ गई। पुलिस का रुख देखकर जनता भी हमलावर हो गई।
★इसके बाद जब तक पता चलता कि गाड़ी पुलिस के बड़े अधिकारी की है तब तक गाड़ी क्षतिग्रस्त और अधिकारी जनता के आक्रोश के शिकार हो गए थे।
★इस घटना के बाद पुलिस अधिकारी ने उक्त स्लोगन पुलिस दफ्तरों से हटवा दिया।
★इस घटना का उल्लेख होता रहा है। इसमें कितनी सत्यता है, इसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं लेकिन प्रायः पुलिस की गलत भूमिका के मद्देनजर इस तरह के आरोप लगते हैं।
वर्तमान स्थिति
★प्रायः राह चलते वे लोग जिनका पुलिस या किसी दबदबेदार शख्स से निकटता नहीं है, राह चलते उन्हें यदि पुलिस दिख जाती है तो डर तो जाते हैं।
पुलिस की जरूरत भी समाज को
★पुलिस की चांदी-लूट या अन्य किसी प्रकार की करनी से महकमा बदनाम तो जरूर होता है लेकिन पुलिस को यदि 24 घण्टे के लिए निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया जाए तो और भी भयानक स्थिति हो जाएगी।
★पूरा समाज जंगलराज में बदल जाएगा।
★पुलिस का यह भी असर देखने में आता है कि पुलिस के एक-दो जवान रात के अंधेरे में गश्त जब लगाते हैं तो घटना को अंजाम देने निकले बदमाश उन्हें देख भाग भी जाते हैं।
★अनेक घटनाओं में पुलिस के लोग मारे भी जाते हैं।
★परीक्षा ड्यूटी से लेकर VIP ड्यूटी देते है। चाहे जेठ-आषाढ़ की दुपहरिया या पूस-माघ की कड़क ठंडी हो, घर से कोसो दूर रहने वाले पुलिस कर्मी ड्यूटी भी देते हैं।
★गिरावट हर क्षेत्र में आई तो पुलिस भी अछूती न रही।
★जब कुएं में ही भांग है तो पूरा इलाका नशे में रहेगा ही।
★2 अपमान लौटा के चल दिए कलमधारी
★मिर्जापुर में सत्ता पक्ष के एक कार्यक्रम में कलमधारियों पर जब अपमान का दांव चला गया तब जबर्दस्त एकता दिखाते ‘कलम’ से बम विस्फोट होने लगा।
★महाभारत के युद्ध में केशव के साथ पांडवों ने बाण चलाया था तो यहां के एक कार्यक्रम में ‘कलम के बाण’ कई दिनों से चल रहे हैं। इसमें सामान्य से लेकर पितामह तक के घायल होने की खबरें आ रही हैं।
★ महाभारत में पांच गांव मांगा गया था तो यहां न्यौता भेज कर बुलाने के बावजूद बैठने के लिए कुर्सी मांगने को लेकर शंखनाद हो गया।
★हल्ला है कि केशव भी भीतर ही भीतर घुटन महसूस कर रहे थे और जल्द ही यहां से अंतर्ध्यान हो गए।