सलिल पांडेय

योग-दिवस है न कि धोख-दिवस

★1-गणित के अनुसार योग का अर्थ है जोड़ न कि घटाना।
★2-मनुष्य शरीर विभिन्न अवयवों का जोड़ है।
★किसी भी देवी-देवता के निमित्त रचित श्लोकों में विभिन्न अंगों, मन-बुद्धि, शरीर संचालन की आंतरिक प्रणाली का उल्लेख स्वतः योग की गाथा है।
★श्री दुर्गासप्तशती में ‘रक्त, मज्जा, वसा माँसास्थि-मेदांसि पार्वती’ का उल्लेख रक्त, मज्जा, वसा, मांस, अस्थि, मेदा के योग को परिभाषित करता है।
★इसके अतिरिक्त भी जीवन के पग-पग को संरक्षित करने के लिए देवी से प्रार्थना की गई है।

मूलतः ‘क्षिति जल पावक गगन समीरा का सन्तुलित योग’ ही उच्चतम योग है

★इसके लिए क्षिति यानी धरती को बंजर न किया जाए और आवश्यकता से अधिक अट्टालिकाएं खड़ी की जाए।
★जल की पवित्रता के लिए कुओं पर कब्जा, नदियों को अपवित्र करने, अनावश्यक जल के अपव्यय से बचना भी योग है।
★अग्नि के लिए ट्यूब-टायर, कूड़े-करकट, पालीथिन आदि न जलाए जाएं बल्कि नित्य हवन किया जाए।
★आकाश की रक्षा के लिए ओजोनपर्त (लेयर) को क्षति पहुंचाने वाले कार्य न किए जाए। बेसुरे संगीत (यथा डीजे), अनर्गल भाषण, अमर्यादित शब्दों के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

श्रीराम एवं श्रीकृष्ण ने प्रदूषण के खिलाफ युद्ध किया

★मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम इसीलिए महल से निकल गए।
★वनवास के दौरान धरती, नदी, हवन-पूजन, बादलों एवं पेड़ों से संवाद किया।
★रावण प्रकृति-विरोधी था, उसका अंत किया।
★श्रीकृष्ण गोपालन के जरिए धरती, कालियानाग-वध के जरिए जल प्रदूषण, अग्नि की सुरक्षा के लिए प्रलम्बासुर (जो विषाक्त अग्नि छोड़ता था)का वध, गगन की रक्षा के लिए व्योमासुर (जो आकाश को प्रदूषित करता था) का वध किया तथा वायु-तत्व की रक्षा के लिए वनों में भ्रमण करते तथा मुरली बजाते थे।

नए दौर के योग-दिवस में जो होता है

★शानदार मंच बनता है जहां भाषण जमकर होता है।
★योग करने वाले को मदिरा (शराब) नहीं पीनी चाहिए।
★मांस सेवन नहीं करना चाहिए।
★लेकिन गारंटी नहीं कि योग की महत्ता बताने वाले महापुरुषों में अग्रगण्य महंगे होटलों में इससे बच पाते हों और ज्ञान लेने वाले भी अखाद्य पदार्थों से बच पाते हैं।
★बड़े व्यक्ति बनने के लिए रोटी-दाल खाने के बजाय मांस-मदिरा, AC कमरे और लक्ज़री गाड़ी अनिवार्य है।
★उत्तम जीवन के योग के लिए पशुओं की तरह छीन-झपट कर अर्जित पदार्थों से परहेज परम् आवश्यक है।

★देते रहें योग पर भाषण और करते रहें योग, पर दवा-विहीन जीवन न हो पाएगा।

सलिल पांडेय, मिर्जापुर