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शोध से पता चला कि यदि पक्षी मौसम में बहुत जल्दी या बहुत देर से प्रजनन शुरू करते हैं तो वे कम बच्चे पैदा करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, पक्षी जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ हैं, जिसके परिणामस्वरूप शुरुआती वसंत जैसी स्थिति पैदा हो गई है।

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। क्षेत्र के जाने माने पर्यावरण विद व कई राष्ट्रीय पुरस्कारों व उपाधियों से सम्मानित डॉ परशुराम सिंह से खबरी के इडिटर के.सी.श्रीवास्तव एड. की खास भेटवार्ता जिसमें उन्होने विश्व में हो रहे पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ ही साथ हो रहे दिखावटीपन को खत्म करने की बात कही। उन्होने बताया कि – बीते कुछ वर्षों में दुनियाभर के कई देशों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण आग की घटनाएं सामने आई। हालांकि, अब एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसने इंसानों के साथ ही जानवरों के लिए भी चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बढ़ता तापमान पक्षियों के लिए प्रजनन को कठिन बना रहा है। दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के औसत तापमान में लगातार वृद्धि देखने को मिली, जिस वजह से कई जंगलों में भयंकर आग लगी और इससे जानमाल का काफी नुकसान भी हुआ। ऐसे में कनाडा ‚चिली ‚कजाकिस्तान ‚स्पेन में भीषण आग का तांडव देखने को मिला।

इस वर्षा ऋतु पौधारोपण कर अपना धर्म निभाएं‚उन्हे लगाए ही नही बचाएं भी

डॉ सिंह ने कहा कि  आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। लेकिन बढ़ते विकास के कारण इसे लगातार नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में इस वर्षा ऋतु पौधारोपण कर अपना धर्म निभाएं।उन्हे लगाए ही नही बचाएं भी।

पक्षियों को लेकर रिपोर्ट में जताई चिंता

  • दरअसल, ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस’ पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में पक्षियों को लेकर चिंता जताई गई है।
  • रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बढ़ता तापमान पक्षियों के लिए प्रजनन को कठिन बना रहा है।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि बढ़ते वैश्विक तापमान से पक्षियों के लिए यह निर्धारित करना अधिक कठिन हो जाता है कि वसंत कब है और प्रजनन का समय कब है।
  • शोध से पता चला कि यदि पक्षी मौसम में बहुत जल्दी या बहुत देर से प्रजनन शुरू करते हैं तो वे कम बच्चे पैदा करते हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, पक्षी जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ हैं, जिसके परिणामस्वरूप शुरुआती वसंत जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
  • यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर हम जैव विविधता के संरक्षण के प्रति चिंता जताते हुए संगोष्ठियां करते दिखते हैं, नए कानून बनाते हैं वहीं दूसरी ओर प्रति वर्ष बृक्षों के साथ हो रहे दुर्ब्यवहार की ओर ध्यान ही नही देते । सभी अपने लाभ में मस्त हो जाते है।केवल बृक्षो को लगा देने से कुछ नही होगा आज आवश्यकता है उनके संरक्षण की।
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