खबरी पोस्ट की विशेष रिर्पोट
चंदौली।वृक्षारोपण महाभियान 2023 के वन महोत्सव का शुभारंभ शनिवार को मुख्य अतिथि अनिल राजभर मंत्री श्रम एवं सेवायोजन समन्वय उ.प्र.सरकार करेंगे।
प्रभागीय वनाधिकारी काशी वन्य जीव प्रभाग रामनगर रणबीर मिश्रा ने बताया कि वृक्षारोपण महाभियान 2023 का शुभारंभ 22 जुलाई को दोपहर 12.30 बजे मुख्य अतिथि अनिल राजभर मंत्री श्रम एवं सेवायोजन समन्वय उ.प्र.सरकार के कर कमलों द्रारा नौगढ वन रेंज के औरवाटांड़ मार्ग अर्रा पहाड़ी के निकट होगा।
पौधरोपण कर भूले संरक्षण का संकल्प, सूख रहे पौधे– डाँ परशुराम सिंह
घटती हरियाली से गहराते पर्यावरण संकट के बावजूद आज भी क्षेत्र में वृक्षों को बचाने के प्रति जागरूकता नहीं दिखती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने एवं इनके संरक्षण को लेकर तमाम विभागीय प्रयास नाकाफी दिख रहे हैं। भले ही ग्लोबल वार्मिग को लेकर वैश्रि्वक स्तर पर बहस छिड़ी हुई है लेकिन यहां सच्चाई इससे अलग है। पर्यावरण दिवस या फिर अन्य किसी मौके पर बड़े तामझाम के साथ रैली, सेमिनार तो आयोजित किए जाते हैं लेकिन ऐसे आयोजनों का अंजाम क्या होता है इसका पता वीरान होते जंगलों से लगाया जा सकता है। उक्त बाते पर्यावरण विद व सनातन धर्म तथा राष्ट्रसृजन अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ परशुराम सिंह ने कही।
यूपी में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य, जहा सीएम बोले- ‘सभी विभागों और संस्थानों को करना होगा प्रयास’किस बात का ?
CM योगी आदित्यनाथ ने कहा प्रदेश में पिछले छह साल में 131 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं । इस कार्य में व्यापक जनसहयोग प्राप्त हुआ है। और इस वर्ष भी वृहद पौधा रोपण अभियान में 35 करोड़ पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने सभी विभागों, संस्थानों और सभी नागरिकों को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर प्रयास करने को कहा है।
सरकार द्वारा शनिवार देर शाम जारी एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में वर्ष 2023-24 के वृहद पौधा रोपण अभियान के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये. बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है. यहां वन महोत्सव अब जनांदोलन का रूप ले चुका है. प्रदेश में पिछले छह साल में 131 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं. इस कार्य में व्यापक जनसहयोग प्राप्त हुआ है. यह सुखद है कि पौधे लगाने के साथ ही, इनके संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
क्या कहती है ‘‘‘स्टेट ऑफ फॉरेस्ट’ रिपोर्ट?
‘‘‘स्टेट ऑफ फॉरेस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2021 के बीच प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र में 794 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. हमारा लक्ष्य प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र को वर्तमान के नौ प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2026-27 तक 15 प्रतिशत तक करने का है. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगाने और संरक्षित करने होंगे.’’
क्या हो रहे विभागीय प्रयास ?
आजादी के उपरांत वनों के संरक्षण के लिए कानून तो बनाए गए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाली कहानी ही रही। यहां तक स्कूलों से बच्चे को पेड़ लगाने के प्रति सजग करने के उद्देश्य से छात्र वृक्षारोपण योजना चलाई गई। वहीं संपूर्ण ग्रामीण स्वरोजगार योजना व मनरेगा के तहत भी प्रखंड के प्रत्येक पंचायतों में 50-50 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। जिसमें प्रत्येक पंचायतों में लक्ष्य से काफी कम पौधे लगाए गए हैं। वह भी मृत प्राण होने के कगार पर हैं।ऐसे में क्या एक बार फिर से पौधे लगाने के बाद जब तक उसे संरक्षित नही किया जायेगा तब तक कोई नतीजा नही निकलेगा।
रस्म अदायगी भर बन कर रह गया है पर्यावरण
हर मौके पर फिलहाल पेड़ लगाने की बात ही कही जाती है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान सभी पंचायत के नेताओं ने जोर-शोर से चलाया। लेकिन औपचारिकता पूरी होने बाद लोगों को यह नहीं रहता है कि पर्यावरण क्या है। ऐसे में यह दिवस रस्म अदायगी भर बनकर रह जाता है।
अब इन पौधों को न तो वक्त पर पानी दिया गया और न ही मवेशियों से बचाने के इंतजाम किए गए। कागजों पर ये भले ही जिम्मेदारों को हरे भरे दिख रहे हों।परन्तु ग्राउंड रिर्पोट की पड़ताल में यह सूखे, मुरझाए और दम तोड़ चुकने वाले हालत में मिले। इलाके को हरा-भरा रखने की कवायद औंधे मुंह है। पौधरोपण के दौरान इन्हें बचाने, देखरेख करने का संकल्प भी दिलाया गया था।
अभियान चलाकर खूब वाहवाही लूटी गई, लेकिन बाद में इनकी ओर पलट कर किसी ने नहीं देखा। अब जिम्मेदार एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।यही हाल हर बार का है। एक बार फिर से जनपद में लगाये जायेंगे ५२ लाख पौधे और अगर एक बार पिछले लगाये हुए पौधों की तरफ देखा जाय तो लगता है दस फीसद भी नही बन पाये होंगे।
22 जुलाई को चंदौली जिले में 52 लाख पौधे लगाने का टारगेट
जिला वृक्षारोपण समिति के अध्यक्ष व जिलाधिकारी निखिल टीकारम फुंडे द्वारा जनपद के अन्तर्गत आवंटित लक्ष्य के सापेक्ष कराये जाने वाले वृक्षारोपण की तैयारी के सम्बन्ध में नोडल अधिकारी को अवगत कराया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम वृक्षारोपण अभियान दिनांक 22 जुलाई को 30 करोड़ पौधारोपण एवं 15 अगस्त को 5 करोड़ पौधारोपण का जनपदवार लक्ष्य आवंटित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जनपद चन्दौली में निम्न प्रकार तिथिवार लक्ष्य आवंटित किया गया है-
- 22 जुलाई को 52,60,818 पौधे
- 15 अगस्त को 9,69,402 पौधे लगाए जाने हैं
इसके पहले ही चन्दौली में वृक्षारोपण अभियान 2023 के अन्तर्गत दिनांक 22 जुलाई को प्रस्तावित वृक्षारोपण कार्यक्रम एवं तैयारी पर प्रगति की समीक्षा की गयी।जिला वृक्षारोपण समिति के अध्यक्ष व जिलाधिकारी निखिल टीकारम फुंडे द्वारा जनपद के अन्तर्गत आवंटित लक्ष्य के सापेक्ष कराये जाने वाले वृक्षारोपण की तैयारी के सम्बन्ध में नोडल अधिकारी को अवगत कराया गया।
वृक्षारोपण के दिन समस्त क्षेत्रों को सेक्टर एवं जोन में विभाजित
प्रगति के सम्बन्ध में जिलाधिकारी द्वारा वृक्षारोपण हेतु गड्ढा खुदान की प्रगति शत-प्रतिशत एवं पौध उठान की प्रगति तथा वृक्षारोपण के दिन समस्त क्षेत्रों को सेक्टर एवं जोन में विभाजित करते हुये सेक्टर एवं जोनल मजिस्ट्रेट की तैनाती के सम्बन्ध में अवगत कराते हुये जनपद स्तरीय अधिकारी भी वृक्षारोपण के दिन क्षेत्र में भ्रमण किये जाने के सम्बन्ध में नोडल अधिकारी को अवगत कराया गया।
बैठक में नोडल अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि समस्त विभागों द्वारा निर्धारित तिथि को लक्ष्य के अनुरूप वृक्षारोपण कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण किया जाय तथा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुये आवश्यक प्रबन्ध अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाय, जिसकी मानिटरिंग सम्बन्धित विभाग द्वारा स्वयं करायी जायेगी।
वृक्षारोपण की क्रमिक प्रगति ऑनलाइन कंट्रोल रूम द्वारा होगीअपलोड
22 जुलाई को वृक्षारोपण की रिपोर्टिंग जिले स्तर पर स्थापित कंट्रोल रूम को मुख्य विकास अधिकारी द्वारा समय से प्रेषित की जाय, जिससे वृक्षारोपण की क्रमिक प्रगति ऑनलाइन कंट्रोल रूम द्वारा अपलोड किये जाने की कार्यवाही सम्पादित की जा सके। वृक्षारोपण तिथि को सम्बन्धित विभागों द्वारा वृक्षारोपण के उपरान्त तत्काल जियो टैगिंग की कार्यवाही शत-प्रतिशत प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण की जायेगी। उपरोक्त समस्त कार्यवाही विभागीय पोर्टल के माध्यम से राज्य स्तर पर अनुश्रवण की जानी है। अतः समस्त सूचनायें विभागीय पोर्टल पर निर्धारित समयावधि के अन्दर अपलोड की जाय।
हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं. फिर भी ग्रीनरी है कि बढऩे का नाम नहीं ले रही
जिले में हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं. फिर भी ग्रीनरी है कि बढऩे का नाम नहीं ले रही है. इस साल भी 52 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य दिया गया है. पिछले साल जिले में लगभग इसी प्रकार पौधे रोपे गए थे. अगर इनकी देखभाल की गई होती तो ग्रीनरी का दायरा कुछ और होता. या यूं कह लें कि अधिकतर पौधे फाइलों में रोप दिए जाते हैं। लेकिन इस बार जांच का दायरा बढा है जियो टैगिंग की जा रही है।
प्रदेश में नंबर वन है सोनभद्र तो नम्बर टू चंदौली
प्रदेश में सबसे अधिक वन क्षेत्र सोनभद्र जिले में है। यहां कुल 35.39 फीसदी वन क्षेत्र मौजूद है। दूसरे नंबर पर चंदौली जिला है जहां पर वन क्षेत्र 21.78 फीसदी है। सबसे कम वन क्षेत्र भदोही जिले में है जहां महज 0.37 फीसदी ही हरियाली बची है। इसके अलावा वाराणसी में भी हरियाली काफी कम है। जो जिले घने और संकरे हैं वहां पर हरियाली काफी कम है। यहां पेड़ से अधिक झाडिय़ां मौजूद हैं।
कागजों में कुछ, असलियत में कुछ और सच में कुछ और
बताया जाता है कि हर साल लगने वाले कुल पौधों की तीस प्रतिशत खराब हो जाते हैं। लेकिन असलियत कुछ और है। खराब होने वाले पौधों की संख्या दोगुने से अधिक होती है। विभागों के अधिकारियों ने बताया कि पौधे तो लग जाते हैं लेकिन इनकी देखभाल नहीं हो पाती है। विभागों के पास माली भी मौजूद नही है। ऐसे में जो पौधे लगते हैं वह देखभाल के अभाव में खराब हो जाते हैं। यह भी अजब व्यवस्था है कि पौधे गए रोपों की ग्राउंड रिपोर्ट तीन साल बाद मिलती है। तीन साल बाद यह बताया जाता है कि इन पौधों की क्या स्थिति है और यह पर्यावरण के लिए कितने सहायक साबित हुए हैं। ऐसे में अधिकारियों के पास भी पुख्ता रिपोर्ट नही होती कि रोपे गए लाखों पौधों का क्या हुआ है।
हम क्या सबक सीख सकते हैं ?
पौधों की प्रजातियों की विलुप्ति को रोकने के लिए शोधकर्ताओं ने कई उपाय सुझाये हैं।
- अपने आस-पास के पौधों का रिकॉर्ड रखें।
- हर्बेरिया का समर्थन करें, जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोग किए जाने वाले संरक्षित पौधों के नमूनों और संबंधित आंकड़ों का एक संग्रह है।
- वनस्पति विज्ञानियों का समर्थन करें, जो महत्वपूर्ण शोध करते हैं।
- बच्चों को स्थानीय पौधों को देखना और पहचानना सिखाएं।
पैदा हो सकता है गंभीर संकट
पृथ्वी पर जीवन पौधों पर निर्भर करता है, जो हमें ऑक्सीजन और भोजन प्रदान करते हैं। पौधे विलुप्त होने से उन जीवों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ सकता है, जो उन पर निर्भर हैं। इनमें मनुष्य भी शामिल हैं।
इन क्षेत्रों में विलुप्ती की दर ज्यादा द्वीप, उष्णकटिबंधीय और भूमध्यसागरीय जलवायु वाले क्षेत्रों में पौधों के विलुप्त होने की उच्चतम दर पाई गई।
विलुप्ति की वजह
वैज्ञानिक इसकी मुख्य वजह मानवीय हस्तक्षेप मानते हैं। बहुत से देशों में जंगलों को खेती के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऐसे बहुत से पौधे हैं, जिनके भोजन अथवा औषधी के रूप में इस्तेमाल की संभावना तलाशने से पहले ही वे विलुप्त हो जाएंगे।