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  • ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम 5 बजे तक लगाई रोक
  • ज्ञानवापी परिसर में अंदर सर्वे, बाहर चारों तरफ हर-हर महादेव की गूंज
  • सुप्रीम कोैर्ट के CJI ने ASI के सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक लगाया रो

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुस्लिम पक्ष को हाइकोर्ट जाने का आदेश देते हुए ASI के सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक रोक लगाने का आदेश दिया है. बता दें कि आज सुबह सात बजे से एएसआई का सर्वे चला. इसमें करीब 30 से अधिक लोग शामिल थे

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चल रहे ASI के सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सीजेआई डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक रोक लगा दिया. वहीं मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया. दरअसल, मुस्लिम पक्ष, हिंदू पक्ष और यूपी सरकार ने अपनी दलीलें रखीं। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे पर रोक लगाने की मांग की।इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले यूपी सरकार से जवाब मांगा. यूपी सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि किसी तरह की कोई खुदाई नहीं हुई है. परिसर में केवल मैपिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग चल रही है।

CJI ने ASI के सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक लगाया रोक

मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि पहले ही सर्वे पर रोक लगाया जा चुका है। काफी देर तक सुनवाई चलती रही। इसके बाद डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुस्लिम पक्ष को हाइकोर्ट जाने का आदेश देते हुए ASI के सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक रोक लगाने का आदेश दे दिया। . बता दें कि आज सुबह सात बजे से एएसआई का सर्वे चला। इसमें करीब 30 से अधिक लोग शामिल थे।परिसर के पश्चिमी दीवार, गुंबद, चौखट और परिसर में वीडियोग्राफी व जीपीआर सर्वे हुआ।

सर्वे के दौरान चलता रहा हर हर महादेव का जयघोष

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में सोमवार को जहां एक तरफ सर्वे की कार्रवाई चल रही थी, वहीं राम-राम की रसधार के बीच शिव का नाम गूंज रहा था। भारी इंतजाम और सुरक्षा को देखकर एकबारगी तो श्रद्धालु कुछ पल के लिए ठिठके, लेकिन जैसे ही उनको पता चला कि ज्ञानवापी में सर्वे का काम हो रहा है तो उनके भी हर्ष का कोई ठिकाना नहीं रहा। हर हर महादेव का जयघोष हुआ, जो लगातार चलता रहा।

विश्वनाथ धाम में एक तरफ मोरारी बापू की राम कथा से राम नाम की रसधार बही और दूसरी ओर हर-हर महादेव का जयघोष

यातायात को दुरुस्त कराने के साथ ही काशी विश्ववनाथ धाम के गेट नंबर चार के सामने की सड़क को खाली करा दिया गया। अचानक पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती, चहल-पहल से कतारबद्ध श्रद्धालु भी सकते में आ गए। कुछ को लगा कि शायद कोई वीआईपी आने वाला है। इसी बीच पता लगा कि ज्ञानवापी की असलियत को सामने लाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से जांच कराई जा रही है तो सबके चेहरे खिल उठे।काशी विश्वनाथ धाम में एक तरफ मोरारी बापू की राम कथा से राम नाम की रसधार बही और दूसरी ओर हर-हर महादेव का जयघोष लगाते हुए भक्तों की टोलियां बाबा के जलाभिषेक के लिए आगे बढ़ी।

एक झलक पाने के लिए हर कोई था बेकरार‚ सच जल्द सामने आए की जा रही थी कामना

दूर से हर कोई बस टीम की कार्रवाई की एक झलक पाना चाह रहा था। सच जल्द सामने आए, इसकी कामना भी कर रहा था।बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आए मध्य प्रदेश के रीवा के देवतालाब निवासी रमानिवास तिवारी, यूपी के मऊ के कृष्णाकांत तिवारी, गाजीपुर की ललिता देवी, भदोही के लालजी पांडेय, चंदौली जनपद के चकिया निवासी अवधेश यादव सहित अन्य श्रद्धालुओं ने कहा कि वर्षों से जारी विवाद का सच तो सामने आना ही चाहिए। 

हुआ तुसाराघाट जब पहले ही दिन रोक दिया गया सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सर्वे का कार्य

वाराणसी जिला जज की अदालत के आदेश से ज्ञानवारी परिसर में शुरु हुआ वैज्ञानिक सर्वे पहले ही दिन रोक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण ऐसा हुआ। सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सुबह सात बजे से डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से की दीवारो की नापजोख

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार सुबह सात बजे से सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्से का सर्वे शुरू कर दिया। करीब साढ़े पांच घंटे तक इमारत के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी दीवार की माप-जोख डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से की गई। दीवारों की फोटो खींची गई और वीडियोग्राफी कराई गई। इमारत की नींव के पास से मिट्टी और ईंट-पत्थर के नमूने जुटाए गए।

पहले दिन कहीं की गई कही भी खोदाई‚ मौजूदा इमारत के कोने-कोने का लिया जायजा

सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक टीम ज्ञानवापी परिसर में रही। ज्ञानवापी परिसर से बाहर आईं हिंदू पक्ष की चार वादिनी और उनके अधिवक्ताओं ने साफ किया कि पहले दिन कहीं खोदाई नहीं हुई है। एएसआई की टीम ने लगभग दो घंटे तक मौजूदा इमारत के कोने-कोने का जायजा लिया। सील वजूखाने को दूर से ही देखा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होते ही एएसआई ने रोक दिया सर्वे का काम

चारों तरफ की फोटो खींची गई और वीडियो शूट किए गए। वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर एएसआई के साथ ही प्रशासन के भी थे। उधर, इस संबंध में मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होते ही एएसआई ने सर्वे का काम रोक दिया। अब बुधवार की शाम पांच बजे के बाद इस संबंध में अदालत के आदेश से ही एएसआई आगे का निर्णय लेगा।

जिला जज की अदालत ने चार अगस्त तक मांगी है सर्वे रिपोर्ट

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर रिपोर्ट चार अगस्त तक देने का आदेश एएसआई को बीते 21 जुलाई को दिया था। इसी क्रम में लखनऊ, आगरा, दिल्ली, पटना और वाराणसी से एएसआई की 43 सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम सोमवार की सुबह 6:30 बजे श्री काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर-4 पर पहुंची। 

विशेषज्ञों की चार टीम ने चार अलग-अलग दिशाओं में किया सर्वे का कार्य

श्री काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार के सामने एएसआई की टीम पुलिस सुरक्षा में सुबह 6:30 बजे ही पहुंच गई थी। कुछ देर बाद गेट खुला, फिर विशेषज्ञों और उनके उपकरणों की जांच की गई। फिर, पुलिस सुरक्षा में उन्हें ज्ञानवापी परिसर की तरफ भेजा गया। विशेषज्ञों की चार टीम चार अलग-अलग दिशा में लगभग दो घंटे तक मुआयना कर इमारत को देखती रही। इसके बाद सर्वे का काम शुरू हुआ। टीम का फोकस सबसे ज्यादा देर तक इमारत की पश्चिमी दीवार पर रहा। हिंदू पक्ष हमेशा कहता रहा है कि इसी तरफ से मां श्रृंगार गौरी के मंदिर का द्वार खुलता है।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को किया गुमराह‚ हम खटखटाएंगे न्यायालय का दरवाजा -विष्णु शंकर जैन

इधर, हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर जिला न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है और इलाहाबाद कोर्ट को मामले पर नए सिरे से फैसला करने के लिए कहा है। हम अपनी दलील हाईकोर्ट में रखेंगे। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और कहा कि वहां खुदाई शुरू हो गई है, जो सच नहीं है।

दो दिनों तक लगाई गई SC की रोक

इसी बीच पता चला कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 जुलाई) शाम  पांच बजे तक सर्वे पर रोक लगा दी है। इसके बाद डीएम, मंडलायुक्त और वादी पक्ष के साथ ही एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर से बाहर चली गई। इससे पहले अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे का बहिष्कार किया था। मसाजिद कमेटी की तरफ से कोई प्रतिनिधि ज्ञानवापी परिसर नहीं पहुंचा था।

ज्ञानवापी परिसर का सच ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से आएगा सामने

जब सर्वे का काम बंद हुआ तो श्रद्धालुओं ने निराशा जताई। उनका कहना था कि मौजूदा संरचना को बगैर नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से सच को सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है तो उसे रोकना नहीं चाहिए।ज्ञानवापी परिसर का सच ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सामने आएगा। एएसआई की टीम सोमवार को जीपीआर उपकरण के साथ पहुंची। इसे परिसर के पश्चिमी हिस्से में लगाकर जांच की गई। डीजीपीएस तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। एएसआई के अफसरों के अनुसार जीपीआर तकनीक खुदाई किए बगैर जमीन के नीचे की असलियत जानने का सस्ता और समय बचाने वाला जरिया है।

इस खास यंत्र से एएसआई करेगी ज्ञानवापी मस्जिद की जांच, पलक झपकते मिलेगी ये अहम जानकारी

वाराणसी से सिविल जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के निर्देश पर ज्ञानवापी परिसर और मस्जिद की दीवारों, गुंबदों और वहां कलाकृतियों की जांच की जाएगी। इस जांच को वैज्ञानिक तरीके से कराया जा रहा है। ये जांच ठीक उसी तरह होगी, जैसी अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर श्रीराम जन्मभूमि परिसर में हुई थी। अत्याधुनिक यंत्रों के साथ एएसआई के पुरातत्ववेत्ताओं की टीम ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कर जिला जज के कोर्ट को 4 अगस्त तक रिपोर्ट देगी।

रडार जमीन के नीचे 15 मीटर तक की गहराई में क्या है, ये बता देता है

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में जमीन के नीचे क्या है, इसकी जांच ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर से की जाएगी। ये रडार जमीन के नीचे 15 मीटर तक की गहराई में क्या है, ये बता देता है। रडार के जरिए पता चल जाएगा कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे क्या कोई पुराना ढांचा है और अगर कोई ढांचा है, तो वो किस प्रकार का है। कोर्ट ने इसके अलावा जरूरी होने पर खुदाई के लिए कहा है। रडार से जमीन के नीचे किसी प्रकार की संरचना मिलने पर खुदाई कर उसका कालखंड एएसआई के पुरातत्वविद जान सकते हैं। इसके अलावा जरूरी होने पर वहां मौजूद पुरानी लकड़ी और पत्थर के सैंपल लेकर उनकी कार्बन डेटिंग भी एएसआई करा सकती है। कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि संबंधित वस्तु कितने साल पुरानी है। ये अचूक वैज्ञानिक विधि है और इसे पूरी दुनिया में मान्यता हासिल है।

अत्याधुनिक तरीके से जांच से सब कुछ हो जायेगा दूध का दूध ‚ पानी का पानी

इसके अलावा एएसआई के पास अन्य यंत्र भी होते हैं, जिनकी मदद से सर्वे के काम को आसान किया जाता है और बिल्डिंग के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है। यहां जो भी कलाकृतियां पहले कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में मिली थीं, उनकी जांच भी एएसआई करेगी। कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में मस्जिद के गुंबदों के नीचे शंकु के आकार के गुंबद भी देखे गए थे। शंकु के आकार के इन गुंबदों के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि वे आदि विश्वेश्वर मंदिर के हैं। वहीं, मस्जिद परिसर में दीवारों पर उकरे त्रिशूल जैसे चिन्ह और अन्य कलाकृतियां भी पहले के सर्वे में मिली थीं।

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