प्रथमेश पूजन के साथ रामनगर की रामलीला का हुआ श्रीगणेश, झाल-मजीरे की झनक संग गूंजे दोहे और चौपाइयां
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी । रामनगर की रामलीला का औपचारिक श्रीगणेश शुक्रवार को प्रथम गणेश पूजन के साथ प्रारम्भ हो गया। इसी के साथ मुख्य स्वरूपों का लगभग पौने दो महीने चलने वाले प्रशिक्षण की शुरुआत भी हो गई। प्रथमेश की पूजा के दौरान लीला प्रेमियों की भीड़ लगी रही। पूरा परिसर हर-हर महादेव और जय-जय सियाराम के जयघोष से गूंज रहा था। परंपराओं की थाती संभाले धर्म-अध्यात्म, श्रद्धा- भक्ति और फक्कड़ मस्ती के अनुष्ठान रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का अनंत चतुर्दशी पर शुक्रवार को शाम होते ही श्रीगणेश हो गया।
सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश जी और हनुमान जी के मुखौटे की पूजा अर्चना
श्रावण मास की प्रथम चतुर्थी पर शुक्रवार की शाम चौक स्थित रामलीला पक्की पर प्रथम गणेश पूजन का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश जी और हनुमान जी के मुखौटे की पूजा अर्चना की गई । इसके अलावा रामलीला के संवाद पोथी की पूजा हुई। रामलीला में काम आने वाले औजारों, ब्रश आदि की भी पूजा की गई।मुख्य स्वरूपों ने सांकेतिक रूप से रामलीला के संवादों का उच्चारण किया। इसके बाद मुख्य स्वरूपों को टीका लगाने के बाद माला पहना कर दक्षिणा प्रदान की गई।
रामलीला के निर्विघ्न समापन का लिया गया संकल्प
यजमान बने रामलीला ट्रस्ट के मंत्री जय प्रकाश पाठक ने रामलीला के निर्विघ्न समापन का संकल्प लिया। मुख्य स्वरूपों ने सांकेतिक रूप से रामलीला के संवादों का उच्चारण किया। रामनारायण पांडेय, योगेंद्र चंद्र पाठक, शांत नारायण पाठक आदि ब्राह्मणों के दल ने पूजा संपन्न कराई। बनारस से लीला प्रेमी इस पूजा को देखने पहुंचे तो स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। रामलीला व्यास रघुनाथ दत्त, संपत राम,शिवदत्त मौजूद रहे। आरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ प्रथम गणेश पूजन का समापन हुआ।
अब घर नहीं जाएंगे लीला के पात्र
प्रथम गणेश पूजन के साथ ही रामलीला में श्रीराम, जानकी, भरत, लक्ष्मण, और शत्रुध्न की भूमिका निभाने वाले बालकों का प्रशिक्षण शुरू हो गया। आज से ये बालक रामलीला की समाप्ति तक रामलीला व्यास के सानिध्य में रह कर संवाद कंठस्थ करने के साथ भाव भंगिमाओं की शिक्षा ग्रहण करेंगे। इस दौरान वे अपने घर नही जाएंगे बल्कि बलुआ घाट धर्मशाला में ही प्रवास करेंगे।