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मिर्जापुर से सलिल पांडेय की रिर्पोट

  • मिर्जापुर नगरपालिका द्वारा तिरंगे के सम्मान में बहुरंगी कार्यक्रमों का आयोजन
  • यज्ञ -हवन में पूरे समय भाग ले रहीं थी DM श्रीमती दिव्या मित्तल
  • घंटाघर की घड़ी फिर से बोल पड़ी
  • शीर्षस्थ विभूतियों मतवाला, भवदेव पांडेय और मन्नी लाल जायसवाल का मरणोपरांत सम्मान
  • बांदा से आई सुश्री अनामिका ने दिखाई वीरता का भाव
  • फसाड लाइट और टाईट उपास्थिति से कार्यक्रम को नगर ने दिया 100 में 100 अंक
  • अध्यक्ष और ईओ – युग युग जीओ का भाव दिखा नगर के लोगों में

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर। राष्ट्रीय पर्व पर लहराते तिरंगे के सम्मान में मिर्जापुर नगरपालिका
परिषद ने वैविध्य भरा रंग बिखेर दिया। राष्ट्रीय भावनाओं को सशक्त करने के लिए अध्यात्म और साहित्य का समावेश किया ही, साथ ही ऐतिहासिक दृष्टि से गर्व के घंटाघर परिसर में लगी बंद घड़ी की गूंज पुन: शुरू कराने के संकल्पों को साकार भी किया, जिस गूंज के लिए संकल्प तो लिए जाते थे लेकिन पूरे नहीं हो पा रहे थे।

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शुभ संकल्पमस्तु

प्रात: तिरंगा फहराने के बाद परिषद के अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरी ने वैविध्यपूर्ण कार्यक्रमों की जो रूप -रेखा बनाई, उसमें दैवी शक्तियों की कृपा भी इसलिए शामिल हो गई क्योंकि वैदिक मंत्रों के बीच यज्ञदेवता द्वापर के नारायण ‘श्याम सुंदर’ को भी आमंत्रित किया गया था। गोधूलि बेला, जब ‘श्याम सुंदर’ गायों को लेकर लौटते थे, उसी समय विधिवत पूजन -अर्चन के बीच हवन किया गया जिसकी लौ दक्षिणावर्ती थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दक्षिण दिशा में हवन की अग्नि की लपट यज्ञदेवता की मौजूदगी का सूचक है।

सामूहिकता की भावना

धर्म के इस महत्वपूर्ण हवन में जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल पूरी आस्था के साथ आहुति ही नहीं दे रहीं थी बल्कि हर मंत्रों के साथ ‘स्वाहा’ का भी उच्चारण मनोयोग से कर रहीं थी। ‘स्वाहा’ भगवान विष्णु की पत्नी को भी कहते हैं। इसका शाब्दिक अर्थ ‘स्व और आहा’ है। ‘स्व’ का अर्थ अपना और ‘आहा’ का अर्थ प्रकाश (दिन) होता है। यानी अपना जीवन प्रकाशमय हो। इस हवन में भारी सामूहिकता थी। जिसकी किसी की भी श्रद्धा थी, सब ने आहुति सामग्री हवन में डाली।

वास्तु दोष का निवारण

वास्तुशास्त्र के अनुसार बंद घड़ी अशुभता का सूचक है। वर्षों-वर्ष से नगर की यह घड़ी बंद थी। बड़े आकर्षक ढंग से जिलाधिकारी श्रीमती मित्तल ने मंच पर भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलित कर डिजिटल घड़ी को ठीक आठ बजे से गतिमान किया। ऐतिहासिक घंटाघर के तिमंजिले के मध्य मंजिल से फुलझड़िया छूटने लगी तो तीन महीने पहले ही दीपावली का एहसास नगर के लोगों को होने लगा। तालियों की गड़गड़ाहट ने शहर के मन की प्रसन्नता की अभिव्यक्ति झलक रही थी।

मरणोपरांत सम्मान

साहित्य की राजधानी रहे मिर्जापुर नगर के शीर्षस्थ साहित्यकारों में स्व महादेव प्रसाद सेठ ‘मतवाला’, लंबे समय के बाद समीक्षा जगत में मिर्जापुर को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करने वाले ‘हिंदी गौरव, साहित्य-भूषण, अज्ञेय सम्मान, विद्या वाचस्पति’ के अतिरिक्त साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के लेखक स्व डॉक्टर भवदेव पांडेय और पिछली शताब्दी में कजली को शीर्ष पर ले जाने वाले स्व मन्नी लाल जायसवाल के योगदान को नगरपालिका ने याद किया। उनके परिजनों को शानदार स्मृतिचिह्न, आकर्षक मोतियों की माला और राष्ट्रीय ध्वज का प्रतिनिधित्व करता उत्तरीय पहनाया।

अंत भला तो सब टला

कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव की खुशबू तो जल्दी लोग भूलेंगे नहीं क्योंकि इसमें बांदा से आमंत्रित की गई थीं राष्ट्रीय अम्बर में छाई हुई कवयित्री सुश्री अनामिका अंबर जैन। इनके नाम की गूंज कई दिनों से हर तरफ हो रही थी। साथ में चार कवि और भी आए थे। फिर तो कवि – सम्मेलन का बिगुल बजते घंटाघर प्रांगण में स्थित घंटेश्वर महादेव का डमरू और घंटा भी बजने लगा। सुश्री अनामिका ने मां शारदा के 108 नामों की स्तुति के साथ जैसे आवाहन पूरा किया, महादेव मां पार्वती के साथ दौड़े आते दिखाई पड़ ही गए। मंच पर कवियों सहित पूरा नगर खड़े होकर आरती में हाथ जोड़ कर आशीष की कामना करता दिखाई पड़ा।

होमवर्क के लिए 100 में 100 नंबर

नगरपालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरवानी की इस योजना को उनके अधिशासी अधिकारी श्री अंगद गुप्ता ने ‘अंगद के सशक्त पांव’ के रूप में लिया। इसमें संस्कार भारती के पूर्व सचिव श्री विंध्यवासिनी केसरवानी ने कुशल संयोजन किया। इन तीनों आयोजकों पर त्रिदेवों की कृपा झलकती दिखी, लिहाजा मिर्जापुर नगरपालिका के इस कार्यक्रम को विशेषण देने में कोई शब्द प्रयोग किया जाए, कम ही होगा। डिजिटल स्क्रीन पर जिले का इतिहास भी शानदार ढंग से प्रस्तुत किया गया।

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