विशेष रिर्पोट-खबरी पोस्ट के एडिटर इन चीफ के सी श्रीवास्तव एड० की बेटी दिवस के पश्चात बेटी बचाओं के राष्ट्रसृजन अभियान के ब्रांड एम्बेसडकर डाॅ परशुराम सिंह से विशेष भेटवार्ता–
हर किसी के नसीब में कहां होती हैं बेटियां
जो घर खुदा को आए पसंद, वहां होती हैं बेटियां।।
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
कहते हैं जिन घर में बेटियां होती हैं, उस घर में चहल पहल और खिलखिलाने की आवाजें हमेशा गूंजती हैं यानी बेटियां खुशियों का प्रतीक हैं। जिस प्रकार से घर की शोभा रंगोली या अल्पना बढ़ाती है,उसी तरह बेटियां परिवार की शोभा और मान होती हैं। हालांकि समाज में बेटियों को पुरुषों से कमतर समझा जाता है। रूढ़िवादी विचारधारा के लोग बेटियों को पराई मानते हैं और बेटे को वंश आगे बढ़ाने का जरिया मानते हैं। उक्त बाते डॉ परशुराम सिंह ने खबरी पोस्ट के चीफ एडिटर के सी श्रीवास्तव एड०से एक विशेष भेट के दौरान कही। उन्होने कहा कि ऐसे में कई घर-परिवार हैं जो बेटों को बेटियों से ज्यादा अहम मानते हैं और जिम्मेदारियां सौंपते हैं। लेकिन यह भी मान्यता है कि बेटी से ही संसार है, जो समाज की अमूल्य धरोहर व जननी मानी जाती है। हिंदू धर्म में तो बेटियों को साक्षात मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. इसलिए इन्हें लक्ष्मी स्वरूपा भी कहा जाता है।
हर बार बेटी दिवस सितंबर माह के चौथे रविवार को है मनाया जाता
भारत में तो बेटियों की चाह न होने पर भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे आपराधिक कृत्य किए जाते हैं। बाल विवाह के मामले पहले से कम हुए हैं लेकिन भ्रूण हत्या आज भी व्याप्त है। ऐसे में बेटियों को बचाने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर साल सितंबर माह में खास दिन मनाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस सितंबर माह के चौथे रविवार मनाया जाता है। इस साल 24 सितंबर को विश्व बेटी दिवस मनाया जा रहा है।
बेटी की हंसी, बेटी का प्यार
बेटी वह है जिसके बिना आने वाले कल का सपना देखना व्यर्थ है । दो कुल को रोशन करने वाली बेटियों के बारे में जितना बखान या गुणगान किया जाए कम है। यही कारण है कि, भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में बेटी दिवस मनाया जाता है. हर साल सितंबर माह के चौथे रविवार को बेटी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल बेटी दिवस (Daughter’s Day 2023) 24 सितंबर 2023 को मनाया गया।
आखिर क्यों मनाया जाता है बेटी दिवस
बेटी दिवस को मनाए जाने का कारण बताते हुए स्वीप आइकान बेटी बचाओं अभियान के डॉ परशुराम सिंह बताते हे कि कि बेटियों के हक के लिए आवाज उठाना और उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरुक करना। इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत 2007 में हुई थी. इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इसके साथ ही हम आप को बताते है कि हिंदू धर्म में बेटियों का क्या महत्व है आइये जानते हैं कुछ इस तरह से ।
हिंदू धर्म में बेटियों का महत्व (Daughter Importance in Hinduism)
हिंदू परिवार में जब किसी कन्या का जन्म होता है तो अक्सर यह कहा जाता है कि, साक्षात लक्ष्मी जी (Lakshmi ji) आई हैं. इसका कारण यह है कि बेटी को घर के लिए लक्ष्मी माना गया है. शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि, बेटी का जन्म पुण्यवान व्यक्ति के घर पर ही होता है, क्योंकि मां लक्ष्मी कभी अधर्मी लोगों के घर वास नहीं करतींं।
बेटियां वो होती हैं, जिससे दो कुल रोशन होते हैं
हिंदू धर्म में बेटियों को देवी समान पूजनीय माना जाता है. इसलिए बेटियों या कुंवारी कन्याओं को किसी के पांव भी नहीं छूना चाहिए. बेटियां वो होती हैं, जिससे दो कुल रोशन होते हैं. इन श्लोकों से आपको बेटियों के महत्व और गुणों के बारे में पता चलेगा। उन्होने संस्कृत के इन श्लोको से सटीक ब्याख्या की।
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरुं ब्राह्मणमेव च।
नैव गावं कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा॥
अर्थ है: आग, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कुंवारी कन्या, बुजुर्ग और बच्चों को पांव नहीं छूना देना चाहिए. क्योंकि ये सभी आदरणीय, पूज्य और प्रिय हैं और इनका पांव छूना असभ्यता है।
दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया॥
अर्थ है: अकेली कन्या दस पुत्रों के समान है. शास्त्रों में कहा गया है कि, दस पुत्रों के लालन पालन से जो फल मिलता है, वह अकेले कन्या के पोषण से ही मिल जाता है।
अतुलं तत्र तत्तेजः सर्वदेवशरीरजम्।
एकस्थं तदभून्नारी व्याप्तलोकत्रयं त्विषा॥
अर्थ है: सभी देवताओं से उत्पन्न हुआ और तीनों लोकों में व्याप्त. वह अतुल्य तेज जब एकत्रित हुआ तो नारी बना।
जामयो यानि गेहानी शपन्त्यप्रतिपूजिताः।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्ततः।।
अर्थ है: जिस कुल में नारी का सत्कार नहीं है, वह उनके श्राप से नष्ट हो जाता है, जैसे मारण करने से हो जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, हिंदू धर्म के महापुराणों में एक गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जो व्यक्ति मृत्यु के अंतिम क्षण में किसी स्त्री का स्मरण करते हुए प्राण त्यागता है तो उसका अगला जन्म कन्या के रूप में होता है।
हिंदू धर्म में कन्या है पूजनीय
हिंदू धर्म में कन्या को न सिर्फ देवी कहा जाता है, बल्कि देवी की तरह पूजा भी जाता है. इसलिए हिंदू धर्म में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवरात्र, व्रत उद्यापन, विशेष अनुष्ठान और कई अन्य अवसरों पर कन्याओं की पूजा की जाती है. कन्या पूजन को लेकर धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि, एक कन्या को पूजने से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग व मोक्ष, तीन कन्या की पूजा से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्या पूजन से राज्यपद, पांच कन्या को पूजने से विद्या, छह कन्या की पूजा से छह तरह की सिद्धि, सात कन्या पूजन से राज्य, आठ कन्या की पूजा से संपदा और नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
कन्याओं में होती है देवियों के समान विशेषताएं
- घर की बेटी लक्ष्मी के समान कोमल और प्यारी हो सकती है, जो घर में धन और समृद्धि लाती है.
- बेटी माता सीता की तरह समझदार, साहसी और वकाफादर हो सकती है.
- बेटियां राधारानी की तरह भी हो सकती हैं, जो राधा की तरह असीम प्रेम दे सकती है.
- बेटी रुक्मिणी की तरह सुंदर और विनम्र हो सकती है.
- बेटी मां दुर्गा हो सकती है, जो नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है.
- बुराईयों का नाश करने के लिए बेटी काली भी हो सकती है.
जानिए किस उम्र की कन्या किस देवी का रूप?
हिंदू धर्म में कन्याओं को देवी का रूप तो माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, किस उम्र की कन्या को किस देवी का रूप माना जाता है. इस संदर्भ में बताया गया है कि, 2 वर्ष की कन्या को कुंवारी माता का स्वरूप माना गया है, 3 वर्ष की कन्या को देवी त्रिमूर्ति का स्वरूप, 4 वर्ष की कन्या देवी कल्याणी का स्वरूप, 5 वर्ष की कन्या देवी रोहिणी का स्वरूप, 6 वर्ष की कन्या मां कालिका के रूप में पूजी जाती है, 7 वर्ष की कन्या को मां चंडिका का स्वरूप, 8 वर्ष की कन्या देवी शांभवी का स्वरूप, 9 वर्ष की कन्या को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है और 10 वर्ष की कन्या को देवी सुभद्रा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
और अन्त में आज काफी रोचक वार्तालाप के दौरान कुछ खास ही मुड में आ रहे थे स्वीप आइकान और उनका सायराना अंदाज भी जाग उठा और उन्होने कहा कि –
सितारों को छूना, मंजिल को पाना
बेटी हम तेरे सपनों को समझते हैं
लाडो हम साथ हैं तेरे,
अपने प्यार और समर्थन का इजहार करते हैं।
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