आपको बता दें कि जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षा मित्रों को विगत तीन माह से मानदेय नही मिल सका है,जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत ही खराब हो चुकी है। इसी कारण से अनेकों शिक्षा मित्र अपनी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरी करने में असमर्थ हो जाने के कारण मानसिक अवसाद के शिकार हो गए हैं।

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विगत दो माह से नहीं मिल रहा था मानदेय,ब्रेन हैमरेज की चल रहीं थी दवाई

खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। कम्पोजिट विद्यालय भैसही पर कार्यरत शिक्षामित्र सुचित्रा बहादुर (46) वर्ष का शनिवार को अवसाद एवं आर्थिक तंगी व धन की कमी के कारण अपनी बीमारी का समुचित इलाज नहीं करा पाने के कारण अपना जीवन इलाज के दौरान खो दिया।

परिवारिजनों व पति सूर्यभान सिंह व बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल

वहीं परिवारिजनों व पति सूर्यभान सिंह व बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं अपने पीछे दो लड़कियों और एक लड़के को छोड़ गयीं बच्चों में किसी की शादी नहीं हुई थी। जिसमें बड़ी लड़की की उम्र 24 वर्ष दूसरे की 21 वर्ष व लड़के की उम्र 18 वर्ष थी।

शिक्षामित्रों का समायोजन 2017 में रदद् होने के बाद से महिला शिक्षामित्र रही अवसाद में

बता दें कि शिक्षामित्रों का समायोजन 2017 में रदद् हो गया था। तभी से महिला शिक्षामित्र सुचित्रा बहादुर अवसाद में थीं। जिस कारण छः माह पहले इनको ब्रेन हैमरेज हो गया था तभी से इनका इलाज चल रहा था । लेकिन परिवार का अकेले भरण पोषण करने वाली अल्प मानदेयधारी शिक्षामित्र सुचित्रा बहादुर उधर अकेले पूरे घर का पूरा खर्च और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च तो चला ही रही थीं लेकिन इस महंगाई के दौर में दस हजार के अल्प मानदेय में ठीक ढंग से अपना इलाज नहीं कर सकीं।

लड़कियां भी शादी के लायक ‚आखिर अब कैसे होगा बच्चों का पालन-पोषण व पढ़ाई-लिखाई व बच्चों की शादी बना यक्ष प्रश्न

उनके आकस्मिक निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। लड़कियां भी शादी के लायक है आखिर अब कैसे होगा बच्चों का पालन-पोषण व पढ़ाई-लिखाई व बच्चों की शादी ये एक यक्ष प्रश्न है ?
बच्चों का कहना है कि मम्मी ने जिन्दगी भर शिक्षा विभाग की सेवा किया और बदले में उन्हें मौत मिली आखिर उनका क्या कसूर था?
उन्होंने अपने भरण-पोषण के लिए मुख्यमंत्री योगी जी से गुहार लगाई है।

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