संस्कार भारती के बैनर तले तहसील चकिया के कैम्प कार्यालय पर मनाई गई गॉधी व शास्त्री की जयन्ति

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खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

चकिया‚चंदौली। सोमवार की अपरान्ह राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचन्द गाँधी व देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती संस्कार भारती के स्थानीय कैम्प कार्यालय पर बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर संस्कार भारती के जिला संरक्षक राजकुमार जायसवाल व तहसील प्रभारी के सी श्रीवास्तव एड० के साथ ही मौजूद लोगो ने दोनों महान विभूतियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। 

अहिंसा के ताकत को पूरी दुनिया देख चुकी है– संस्कार भारती

प्रभारी के० सी० श्रीवास्तव एड० ने कहा कि अहिंसा लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरी दुनिया इसे देख चुकी है। उन्होंने कहा कि पूरा देश आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती तो लाल बहादुर शास्त्री की 119वीं जयन्ति पर नमन कर रहा है। 

शास्त्री की कहानियां कर देंगी हैरान – के सी श्रीवास्तव एड०

वही कहा कि लाल बहादुर शास्त्री कद में छोटे जरूर थे पर हिला दिया था पाकिस्तान को। , कम लोगों को पता होगा कि शास्त्री जी को भी घरवाले प्यार से नन्हे पुकारते थे। तपती दुपहरी में नन्हे नंगे पाव स्कूल जाते थे। रास्ते में दो बार गंगा नदी पार करनी होती थी। वे सिर पर किताबें बांध लेते थे। ये कहानी देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की है। हो सकता है आज की पीढ़ी आश्चर्य करे कि कोई ऐसा भी हो सकता है। जी हां, आज के दौर में लोग पैसे के पीछे भागते हैं। हमेशा कुछ ज्यादा पाने की ललक रहती है। जेहन में सिर्फ अपना हित होता है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सर्वोच्च पद पर होते हुए भी बिल्कुल अलग थे। उनके संघर्ष की कहानियां आपको हैरान कर देंगी।

लाल बहादुर शास्त्री ने सन 65 की लड़ाई में ईट का जबाव पत्थर से दिया था

वह कद में भले ही छोटे थे लेकिन 65 की लड़ाई में उन्होंने पाकिस्तान को जिस तरह से तगड़ा जवाब दिया उसने बता दिया कि शास्त्री जी नरमदिल भले हैं पर दुश्मन को छोड़ने वाले नहीं हैं।तब उन्होंने खुले मंच से कहा था, ‘अगर तलवार की नोक पर या ऐटम बम के डर से कोई हमारे देश को झुकाना चाहे, दबाना चाहे तो ये देश हमारा दबने वाला नहीं है। एक सरकार के नाते हमारा क्या जवाब हो सकता है सिवाय इसके कि हम हथियारों का जवाब हथियारों से दें।’ तत्कालीन पीएम की इस गर्जना से पाकिस्तान सहम गया था।

दर्द बांटने की शास्त्री ने जो शिक्षा दी वह भारतीयों को युगों-युगों तक दिखाती रहेगी नेकी की राह

सत्य और अहिंसा के पुजारी के तौर पर अगर हम महात्मा गांधी को पूजते हैं तो उसी दिन (2 अक्टूबर) जन्मे शास्त्री जी ने दूसरों का दर्द बांटने की जो शिक्षा दी वह भारतीयों को युगों-युगों तक नेकी की राह दिखाती रहेगी। सर्वोच्च पद पर होते हुए भी उनकी विनम्रता और जमीन से जुड़े होने की भावना ऐसी थी कि लोग कहते हैं कि शास्त्री जैसा कोई दूसरा नहीं होगा। 

डॉ सुभाष जायसवाल को बनाया गया सह संयोजक

कार्यक्रम के दौरान ही तहसील प्रभारी के सी श्रीवास्तव एड0 ने घोषणा किया कि डॉ सुभाष जायसवाल को चकिया तहसील में संस्कार भारती के साथ जोडा जा रहा है और आप को तहसील सह प्रभारी की जिम्मेदारी भी दी जा रही है। आप से यह अपेक्षा भी की जा रही है कि आप संस्कार भारती के क्रिया कलापों को आगे ले जाने में कोई कसर नही छोडेंगे।

इस दौरान संस्कार भारती के तहसील मंत्री मुकेश कुमार‚त्रिनाथ पांडेय‚परवेज अंसारी ‚सोनू यादव‚आशिष जायसवाल‚सहित कई लोग मौजूद रहे।

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