दीपावली पर पुराने गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति तथा दीयों का पुनर्प्रयोग हो

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खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क

सलिल पांडेय

मिर्जापुर ।

  • 1-घर-घर में स्थापित छोटी- बड़ी मिट्टी की गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों तथा पंडालों में लगने वाली दुर्गा, काली जी या गणेश आदि की बड़ी मूर्तियों को नदियों, झरनों और तालाबों में विसर्जित करने के बजाय किसी कुम्हार या शिल्पकार को दे दिया जाना चाहिए।
  • 2-कुम्हार/शिल्पकार उन मूर्तियों को पुनः रंग-रोगन कर सदुपयोग कर लेगा। इससे खेतों की मिट्टी की बचत के साथ जल का प्रदूषण भी रुकेगा।
  • 3-घर-घर, दुकान-प्रतिष्ठान या घाटों-मंदिरों में जलने वाले दीयों को भी एकत्र कर कुम्हार को निःशुल्क दे देना चाहिए ताकि उसका पुन: प्रयोग हो सके।
  • 4-बहुत सारी सामग्रियों का पुन:प्रयोग होता है कबाड़ के रूप में । जैसे कागज, लोहा, प्लास्टिक आदि का पुन: प्रयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति में मूर्तियों और दीयों का भी पुनर्प्रयोग किसी दृष्टि से गलत नहीं हो सकता।
  • 5-घाटों पर जलने वाले दीयों का भी पुनर्प्रयोग किया जाना चाहिए। वर्ना घाटों पर आते-जाते लोगों के पैरों से टूटे दीयों से गंदगी फैलती है।
  • 6-सफाई कर्मी टूटे दीयों को नदियों में प्रवाहित कर देते हैं जिससे नदियों का गहरापन कम होता है। जिसका असर बाढ़ के दिनों में दीखता है।
  • 7-हवा के चलने से बुझे दीयों के तेल निकालने पर रोक नहीं होनी चाहिए। वरना इधर-उधर बह गए तेल की चिकनाई से फिसलन बढ़ती है।
  • 8-जब सड़क किनारे रखे कूड़े से प्रतिदिन गरीब बच्चे और महिलाएं पुन: प्रयोग की वस्तुएं लेती हैं तब तेल लेने पर रोक नहीं होनी चाहिए।
  • 9-जब दीपदान कर दिया तब उस दान के दीए से मोह रखना धर्म-विरुद्ध है।
  • 10-दान इसीलिए होता है कि कोई असहाय है तो उसे लेकर वह अपनी आय बढ़ा सके।
  • 11-सरकार 5 किलो अनाज, आवासीय मकान, साइकिल, लैपटॉप दान ही तो करती है। वहां तो लाइन सक्षम लोग लगाते हैं और उसका फ़ोटो भी प्रसारित होता है।
  • 12-किसी भी वस्तु का तब तक प्रयोग होना चाहिए जब तक वह पूरी तरह विनष्ट न हो जाए। इससे धन की बचत होगी।
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