डाॅ परशुराम सिंह पर्यावरणविद
26 जनवरी को हम सभी भारतीय पूरे देश में ही नही वरन पूरे विश्व में आजादी का 75 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है ऐसे में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर न्यूज इडिटर के.सी. श्रीवास्तव एड० के साथ राष्ट्र सृजन अभियान व सनातन धर्म के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व आदर्श जन चेतना समिति के संरक्षक व विख्यात पर्यावरणविद व चंदौली जनपद के स्वीप आईकान डॉ० परशुराम सिंह के साथ बात चीत में उन्होने बताया कि–
26 जनवरी, 1950 के ही दिन हमारा संविधान लागू हुआ था। हमारे संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने 18 दिन लगे थे। इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों दिल्ली के कर्तब्यपथ पर होने जा रहे समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।
भारत के इतिहास में 26 जनवरी का दिन काफी महत्वपूर्ण है। 26 जनवरी, 1950 के ही दिन हमारा संविधान लागू हुआ था। हमारे संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने 18 दिन लगे थे।आजादी के बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। गौर करने वाली बात है कि इसे आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
- 26 जनवरी 2024 को देश मनाएगा 75वां गणतंत्र दिवस
- आखिर क्यों 26 जनवरी को ही क्यों देश मनाता है गणतंत्र दिवस
- संविधान और लोकतंत्र के अलावा भी है एक वजह
सवाल उठता है कि आखिर क्यों 26 जनवरी को ही मनाया जाता है गणतंत्र
अब सवाल उठता है कि आखिर 26 जनवरी के दिन ही संविधान को क्यों लागू किया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 26 जनवरी, 1930 के दिन ही देश को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। ऐसे में इस दिन को यादगार बनाने के लिए इसके ठीक 20 साल बाद 26 जनवरी, 1950 के दिन संविधान को लागू किया गया।भारतीय संविधान की कॉपी आज भी संसद भवन की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है। भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा गया संविधान कहा जाता है।
गणतंत्र दिवस के लिए कैसे चुने जाते हैं मुख्य अतिथि?
भारत में हर साल गणतंत्र दिवस काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई मुख्य अतिथि भी आते हैं। ऐसे में क्या आप जानती हैं कि गणतंत्र दिवस के लिए कैसे चुने जाते हैं मुख्य अतिथि। आज के इस आर्टिकल में हम बताने वाले हैं कि गणतंत्र दिवस के लिए कैसे चुने जाते हैं मुख्य अतिथि, आप भी जान लें।
पूरे 6 महिने की होती है प्रक्रिया
गण्भतंत्रर दिवस भारतीयों के लिए काफी खास होता है। ऐसे में इस आयोजन में आने वाले गेस्ट भी काफी खास होते हैं। गेस्ट को बुलाने के लिए करीब 6 महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी जाती हैं। अतिथि को कैसे बुलाना है, कैसे उन तक निमंत्रण भेजना है या फिर कैसे उनके ठहरने का इंतजाम करवाया है इन सभी बातों का खास ख्याल रखना होगा।
विचार की होती है जरूरत
मुख्य अतिथि के तौर पर किसे बुलाना है इसका विचार करना इतना आसान नहीं होता है। इसके लिए काफी सोच विचार करना होता है। इसमें सबसे प्रमुख भारत और उस देश के संबंधों का ध्यान रखना पड़ता है जिसका प्रतिनिधि बुलाया जा रहा है।
ऐतिहासिक संबंधों का रखना होगा खास ख्याल
भारत के ऐतिहासिक संबंध को देखना काफी जरूरी हो जाता है। पहले कैसे संबंध थे वहीं अब कैसे संबंध है। इन बातों का विशेष ख्याल रखना होता है। इन सभी चीजों के बाद विदेश मंत्रालय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस मामले में अनुमति लेता है और उसकी सलाह के बाद या अनुमति मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है। ऐसे में इस प्रक्रिया को करने के लिए करीब 6 माह का समय लगता है।
खास बातें जिनकी वजह से मनाया जाता है 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस
- 1- पहली बार गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया था। इसी दिन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया था।
- 2- आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) मनाया जाता रहा।
- 3- आजादी के आंदोलन से लेकर देश में संविधान लागू होने तक, 26 जनवरी की तारीख का अपना महत्व रहा है। 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। कहा गया कि अगर ब्रिटिश सरकार ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का दर्जा (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया।
- 4- 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
- 5- साल 1950 में देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी के दिन भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। इस दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्हें तोपों की सलामी दी गई। तब से तोपों की सलामी की यह परंपरा बनी हुई है।
- 6- स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर कार्यक्रम जहां लाल किले पर होता है और प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं जबकि गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम राजपथ पर होता है और राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। राष्ट्रपति देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं।
- 7- दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। पहली परेड में करीब 3000 सैन्यकर्मियों व 100 एयरक्राफ्ट में हिस्सा लिया था। 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ।
- 8- राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू हुई। राजपथ पर हुई इस परेड में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद चीफ गेस्ट थे। साल 1965 में पाकिस्तान के फूड एंड एग्रिकल्चर मिनिस्टर राना अब्दुल हामिद गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
- 9. 2018 में भारत की गणतंत्र दिवस परेड में फ्रेंच आर्मी ने भी हिस्सा लिया था। ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई विदेशी मिलिस्ट्री दस्ता भारतीय गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले रहा था।
- 10- गणतंत्र दिवस का समारोह सिर्फ 26 जनवरी तक ही सीमित नहीं है। इसका समापन 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम के साथ होता है।