- महिलाएं परिवार संचालन के लिए बदले दृष्टिकोण
- राष्ट्रीय बालिका दिवस पर CMO डॉ सीएल वर्मा के उद्गार
सलील पांडेय की रिर्पोट
खबरी पोस्ट नेशनल न्यूज नेटवर्क
मिर्जापुर। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सी एल वर्मा ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कहा कि घर-परिवार को एक सूत्र में बांध कर रखने की प्राचीन संस्कार का निर्वाह जितने अच्छे ढंग से महिलाएं निभाती थी, उसमें भारी कमी आई है। कोई महिला पढ़-लिखकर स्वावलंबी जब हो जाती है तो वह घर-परिवार से कटने लगती है। उसे महसूस होता है कि वह पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गई और उसे अब किसी की जरूरत नहीं है। जबकि पहले ऐसा नहीं था। घर की महिलाएं रिश्तों का निर्वाह करती थीं।
मेडिकल साइंस के साथ सोशल-साइंस के पहलुओं पर हुई चर्चा
नगर के सिविल लाइन स्थित स्वास्थ्य विभाग के विवेकानंद सभागार में पीसीपीएनडीटी के तहत आयोजित कार्यक्रम में मेडिकल साइंस के साथ सोशल-साइंस के पहलुओं पर चर्चा करते हुए CMO डॉ वर्मा ने कहा कि यह दुःखद स्थिति है कि महिलाएं विवाह के बाद जब बहू बनकर ससुराल जाती है तो वह शिकायत करती है कि सास ठीक नहीं है और वही महिला जब सास बनती है तब शिकायत करती है कि बहू ठीक नहीं है। डॉ वर्मा ने हर किसी को आत्मावलोकन करने की सलाह देते हुए कहा कि जब खुद की कमी दूर की जाएगी तो पूरा घर-परिवार और समाज अच्छा लगने लगेगा।
विज्ञान नये आविष्कार लोकहित के लिए करता है लेकिन उसका होने लगता है दुरुपयोग
डॉ वर्मा ने कहा कि विज्ञान नए आविष्कार लोकहित के लिए करता है लेकिन उसका दुरुपयोग होने लगता है। डायनामाईट का प्रयोग विकास के लिए पर्वत आदि चट्टानों को तोड़ने की के लिए था लेकिन उसका प्रयोग बम-विस्फोट में किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड मशीन बीमारी और इलाज की जगह भ्रूण-परीक्षण के लिए किया जाने लगा, जो कानूनन अपराध है। इस पर विभाग सख्त एक्शन लेता है।
इस अवसर पर अपर सीएमओ डॉ गुलाब वर्मा, डॉ मंजुलता, सलिल पांडेय एवं इंद्रजीत शुक्ल आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन चन्द्र शेखर मिश्र ने किया।